अज़ान के बाद की दुआ
اَللَّهُمَّ رَبَّ هَذِهِ الدَّعْوَةِ التَّٓامَّةِ وَالصَّلَوٰةِ الْقَٓائِمَةِ اٰتِ مُحَمَّدَ نِالْوَسِيْلَةَ وَالْفَضِيلَةَ وَابْعَثْهُ مَقَامًا مَحْمُودَ الَّذِي وَعَدْتَهُ إِنَّكَ لَاتُخْلِفُ الْمِيعَاد
مشكوة
अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़िहिद्दावतीत्ताम्मति वस्सलावातिल काइमति आति मुहम्मदनिल वसीलती वल फज़ीलता वबअस्हू मकामन महमूदल्लज़ी वा अत्ताहू इन्नका ला तुख़्लिफुल मीआद० । मिश्कात
तर्जुमा
ऐ अल्लाह ! इस पूरी पुकार के रब और कायम होने वाली नमाज़ के रब, मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का वसीला अता फरमा, (जो जन्नत का एक दर्जा है) और उनको फजीलत अता फरमा और उनको मकामे महमूद पर पहुंचा, जिसका तूने उनसे वायदा फरमाया है। बेशक तू वायदा खिलाफ नहीं फरमाता।
फायदा-अंजान की दुआ में लफ़्ज़ व अत्तहू तक बुखारी वगैरह की रिवायत है और इसके बाद जो लफ्ज़ है, वे बैहकी की सुनने कबीर में है- हिस्न
इसके पढ़ लेने से अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शफाअत वाजिब हो जाती है। - मिश्कात
फायदा-जो लफ़्ज़ अज़ान के जवाब में कहे, वही 'इकामत' के जवाब में कहे और जब 'कदका-मतिस्सलाः' सुने तो यों कहे-
اَقَامَهَا اللَّهُ وَاَدَا مَهَا ( مشكوة )
अका महल्लाहु व अदा महा - मिश्कात
तर्जुमा
अल्लाह इसे (यानी नमाज़ को) कायम हमेशा रखे।
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Thanks for reading: अज़ान के बाद की दुआ, Sorry, my Hindi is bad:)