जब दस्तरख़्वान उठने लगे तो यह दुआ पढ़े
اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ حَمْدًا كَثِيرًا طَيِّبًا مُّبَارَكًا فِيهِ غَيْرَ مُݢفِیِّ وَّلَا مُوَدَّعٍ وَلَا مُسْتَغْنًى عَنْهُ رَبَّنَا ( بخاری )
अल्हम्दु लिल्लाहि हम्दन कसीरन तय्यिबम मुबा-रकन फीहि गैरा मुक्फीयिव्वला मुवद्दइन वला मुस्तग्नन अन्हु रब्बना० - बुखारी
तर्जुमा -
सब तारीफें अल्लाह के लिए हैं, ऐसी तारीफ जो बहुत हो और पाकीज़ा हो और बरकत वाली हो, ऐ हमारे रब ! हम इस खाने को काफी समझ कर या बिल्कुल रूख़्सत कर के या उससे गैर-मुहताज होकर नहीं उठा रहे हैं।
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Thanks for reading: जब दस्तरख़्वान उठने लगे तो यह दुआ पढ़े, Sorry, my Hindi is bad:)