जब शाम हो तो यह दुआ पढ़े
أمْسَيْنَا وَأَمْسَى الْمُلْكُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ اللهم إني أَسْأَلُكَ خَيْرَ هَذِهِ النَّيْلَةِ فَتَحَهَا وَنَصْرَهَا ونورها وَبَرَكتهَا وَهُدَاهَا وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ مَا فِيهَا وَشَرِّ مَا بَعْدَهَا ( ابوداؤد )
अम्सैना व अम्सल मुल्कु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन। अल्लाहुम्मा इन्नी अस अलुका खैरा हाज़िहिल्लैलति फता-हहा व नस रहा व नू-र हा व बर कतहा व हुदाहा व अउजु बिका मिन शर्रि मा फीहा व शर्रि मा बग-दहा
-अबूदाऊद
तर्जुमा- हमने और सारे मुल्क ने अल्लाह ही के लिए शाम की जो पूरी दुनिया का रब है, ऐ अल्लाह ! मैं तुझसे उस रात की बेहतरी यानी उस रात की फत्ह और मदद और उस रात के नूर और बरकत और हिदायत का सवाल करता हूं और पनाह चाहता हूं तुझसे उन चीज़ों की बुराई से जो इस रात में हैं और जो इसके बाद होंगी।
या यह पढ़े
اللهُمَّ بِكَ أَمْسَيْنَا وَبِكَ أَصْبَحْنَا وَبِكَ نَحْيى وَبِكَ نَمُوتُ وَإِلَيْكَ النَّشْورُ ( ترمذی )
अल्लाहुम्मा बिका अम्सैना व बिका अस्बहना व बिका नहई व बिका नमूतु व इलैकन्नुशूर०
-तिमिजी
आये अल्लाह ! हम तेरी कुदरत से शाम के वक़्त में दाखिल हुए और तेरी कुदरत से सुबह के वक़्त में दाखिल हुए और तेर कुदरत से जीते और मरते हैं और मरे पीछे जी उठकर तेरी ही तरफ़ जाना है।
Sham Hone Ki dua
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Thanks for reading: जब शाम हो तो यह दुआ पढ़े, Sorry, my Hindi is bad:)