Auliya
Dikhawe ki humdardi Ki Majammat
Hazrat imam jafar sadiq
Hazrat sufiyan suri
Gosa nasini ikhtiyar karna
Dikhawe ki Duniya
Khikhawe Ki Humdardi
Auliya
जिस दौर मे हज़रत इमाम जफ़र सादिक ने गोसा नसीनी इख़्तियार करली और तारीके दुनिया हो गये तो उसवक्त हज़रत सुफियान सूरी ने आपकी खिदमत मे हाजिर होकर फरमाया इमाम साहब आपने तारीके दुनिया होकर लोगों से बड़ी नियामत चीन ली है वोह आपके फउज बरकात से मेहरूम हो गये हैँ...
किया ऐसा नहीं हो सकता कि आप उनकी खातिर गोसा नासिनी तर्क कर करके दुबारह अपनी सोहबत से फैज याब फरमाये हज़रत सुफियान सूरी की सारी बाते सुनकर आपनके होंटो पर एक हल्कि से मुस्कुराहट फ़ैल गई चंद लम्हे ख़ामोशी इख़्तियार करने के बाद आपने हज़रत अबु सुफियान सूरी को अपने दो अशआर पढ़कर सुनाये जिनका तर्जुमा कुछ इस तरह से है "किसी जाने वाले इन्सान की वफ़ा की भी चली गई और लोग अपने ख़यालात मे गर्क हो गये अगर चे जाहरी तोर पर एक दूसरे से मोहब्बत करते हैँ लेकिन उनके दिलो मे जहरीले साँपो और बिच्छूओ का जहर भरा हुआ है...
गोया आपके कहने का मकसद ये था कि इस नफसा नफ़सी अफरा तफरी कि दुनिया मे इन्सान को इन्सान के दुख दर्द से कोई वास्ता नहीं रहा वोह महेज दिखावे और दुनिया दारी की खातिर एक दूसरे से मोहब्बत का इज़हार करते हैँ जबकि हक़ीक़त मे वोह जहरीले जानवरो से भी ख़तरनाक हैँ और किसी भी वक़्त एक दूसरे की हलाकत तबाही और बर्बादी का सबब बन सकते हैँ उसके बाद हज़रत अबु सुफियान सूरी खामोशी से वापिस चले गये
Auliya
Sufi muslim
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Thanks for reading: दिखावे की हमदर्दी की मज़ममत Dikhawe ki humdardi Ki Majammat, Sorry, my Hindi is bad:)