islamic stories
मशहूर ताबई हरम बिन हयान अब्दी खैरुल ताबइन हज़रत खुवाजा अवैस करनी से अपनी पुर असर मुलाक़ात का वाक़्या इस तरह बयान करते हैँ खुवाजा अवैस करनी कोफा मे मुकीम थे मैंने आपकी तारीफ सुनी मुलाक़ात का शौक ग़ालिब हुआ और मैं उनकी जियारत के लिये कोफा पंहुचा लोगों ने बताया कि वोह दरयाये फुरात पर मिलेंगे फुरात के किनारा पर पंहुचा तो देखा कि एक शख्स अकेले बैठा दुपहर के वक़्त वजू कर रहा था और कपडे धो रहा था...
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मैं अवैस के औसाफ सुन चुका था इस लिये फ़ौरन पहचान गया फरबा और रंग गन्दमि था सर मुंडा हुआ था और दाढ़ी घनी थी बदन पर बहुत बाल थे चेहरा बहुत बड़ा और मुहिब था सॉफ का पजामा पहने हुए थे और सॉफ ही की एक चादर जिस्म पर थी मैंने करीब पहुंच कर सलाम किया उन्होंने जवाब दिया और मेरी तरफ देख कर कहा अल्लाह तुम्हे सलामत रखे फिर मैंने मुसाफा के लिये हाथ बढ़ाया लेकिन उन्होंने मुसाफा करने से गुरैज किया और अपने पहले अल्फाज दोहराये की अल्लाह तुम्हे सलामत रखे मुझे उनकी हालत पर बड़ा तरस आया और मेरी आँखों से आंसू बहने लगे जब मैंने रकत भरे लहजे मे कहा कि अवैस खुदा तुम पर रेहमत करें और तुम्हारी मगफिरत फरमाये तो वोह भी रोने लगे और मुझसे मुख़ातिब हो कर फरमाया हरम बिन हयान खुदा तुम पर रहेम करे मेरे भाई तुम्हारा किया हाल है तुम्हे मेरा नाम वा पता किसने बताया मैंने अर्ज किया खुदा ने मगर अये अवैस ये तो बताओ कि तुम्हे मेरा और मेरे बाप का नाम कैसे मालूम हुआ इससे पहले ना मैंने तुम्हे देखा है और ना तुमने मुझे...
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हज़रत अवैस ने जवाब दिया तुम्हारा नाम मुझे उसने बताया है जिसके इल्म वा खबर से कोई चीज बाहर नहीं मेरी रूह ने तुम्हारी रूह कि तरफ तवज्जा की और मेरी रूह ने तुम्हारी रूह को पहचान लिया मोमनिन की रूहे एक दूसरे को पहचान लेती हैँ खुवाह साहबे अरवाह का एक दूसरे से कोई तारुफ ना हो और ना कभी वोह एक दूसरे से मिले हो...
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मैंने अर्ज की कि रसूले अकरम की कोई हदीषे मुबारक सुनाइये ताकि मे उसे याद करलु हज़रत अवैस ने फरमाया मैंने सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम की सरफे सोहबत हासिल नहीं हुई अलबत्ता हुज़ूर के सहाबा कराम को देखने की साआदत नसीब हुई है और तुम लोगों की तरह उनकी जुबान से मैंने भी उनकी अहादिष सुनी है लेकिन मे अपने ऊपर ये दरवाजा खोल कर मोहड्डिष मुफ़्ती काजी कहलाना पसंद नहीं करता मुझे खुद अपने नफ़्स के बहुत से काम हैँ ये कहकर वोह मेरा हाथ पकड़ कर रोने लगे...
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मैंने दरखुवास्त की की फिर क़ुरान हकीम ही की कुछ आयात सुना दीजिये मेरे दिल मे आपकी जुबान से क़ुरान सुनने का बेहद इस्तियाक है मेरी आपसे मोहब्बत वा अक़ीदत खुदा के लिये है मेरे लिये दुआ फरमाइये और कुछ वसीयते की जिये जिनको मे हिरजे जान बना कर रखु...
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मेरी दरखास्त सुन कर अवैस करनी ने औज़ुबिल्लाहि मीनसशैतानीरराजीम पढ़ा और चीख मार कर रोने लगे फिर फरमाया मेरे रब का जिक्र बुलंद है उसका कॉल सबसे सच्चा है उसका क़लाम सबसे अच्छा है ये कहकर उन्होंने सूरह दुखान की कुछ आयात की तिलावत की...(हामीम ये किताब जों वाजेह है हमने उसको मुबारक रात मे उतारा हम लोगों को डराने वाले थे ) हुवल अज़ीज़िर रहीम तक पढ़ कर चीख मारी और बेहोस हो गए होस मे आये तो फरमाया हरम बिन हयान तुम्हारा बाप मार गया अंकरीब तुमको भी मरना है किया खबर जन्नत मे जाये या दोजख मे...
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इब्ने हयान आदम फ़ौत हो गए हउआ फ़ौत हो गई इब्ने हयान नूह और इब्राहिम खलिलुल्लाह फ़ौत हो गऐ इब्ने हयान मूसा फ़ौत हो गए इब्ने हयान दाऊद खलीफतुर रेहमान फौत हो गए इब्ने हयान मोहम्मद रसूल अर्रहमान फौत हो गए इब्ने हयान अबूबक्र खलीफातुल मुसलमिन फौत हो गए इब्ने हयान मेरे भाई उमर बिन खत्ताब फौत हो गए ऐ कहकर वो उमरा का नारा लगाये और उनके लिये मगफिरत की दुआ की हज़रत उमर फारूक उसवक्त ज़िंदा थे इस लिये मैंने कहा खुदा आप पर रहेम करें उमर खात्ताब तो अभी फौत नहीं हुए फरमाया हा जो कुछ मैंने कहा है अगर तुम उसको समझो तो जान जाओगे मैं और तुम भी मुर्दा हैँ होने वाली बात हो चुकी है
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उसके बाद हज़रत अवैस करनी ने सरकारे दो आलम पर दरूद भेजा फिर कुछ और दुआये पढ़ी और फरमाया हरम बिन हयान मेरी वसीययत ऐ है की किताबुल्लाह को मज़बूती से पकड़ो सलहाये उम्मत की सोहबत इख़्तियर करो और नबी ऐ करीम पर हमेशा दरूदो सलाम भेजते रहो मैंने अपनी और तुम्हारी मौत की खबर देदी आइंदा किसी साअत मौत से ग़ाफ़िल ना रहना वापस जाकर अपनी कौम को भी नसीहत करना और डराना ख़बरदार जमाअत का साथ कभी ना चोड़ना वर्ना बेदीन हो जाओगे और कयामत मे अतिसे जहन्नम का इधन बनना पड़ेगा
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फिर उन्होंने दुआ की इलाही ऐ शख्स कहता है कि उसको तेरे लिये मोहब्बत है और इसने तेरे लिये ही मुझसे मुलाक़ात की इस लिये खुदा मुझे तौफीक दे कि मे जन्नत मे इसका चेहरा पहचान जाऊ और दारूस्सलाम मे मेरी इसकी मुलाक़ात हो वोह दुनिया मे जहा कही भी रहे इसको अपने हिफ्ज वा अमान मे रखना इसको कनाअत अता कर इसको अपनी नियामतो का शुक्र गुजार बना और इसको जजाये खैर दे...
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दुआ के बाद अवैस ने मुझसे फरमाया अये हरम बिन हयान अब मे तुझे अल्लाह के सुपुर्द करता हु आज के बाद मे तुमको ना देखूंगा मुझे शोहरत पसंद नहीं है गोसा खुलुती ही मेरा रफ़ीक़ है आइंदा मुझे तलाश करने कि कोशिश ना करना मुझे ढूंढने मे तुम कामयाब नहीं हो सकोगे मैं तुम्हे हमेशा याद रखूँगा और तुम मुझे हमेशा याद रखना मेरे लिये दुआये खैर करते रहना अच्छा अस्सलामु अलैकुम वा रहमातुल्लाह ऐ कह क़र वोह एक सिम्त को चले गये...
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उसके बाद मैंने उनको बहुत तलाश किया लेकिन किसी से उनके बारे मे कुछ मालूम ना हो सका अलबत्ता कोई हफ्ता ऐसा ना जाता जिसमे उनको एक दो बार खुवाब मे ना देखता हु अल्लाह ताला अवैस पर रेहमत नाजिल फरमाये और उनकी मगफिरत फरमाये
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Hazrat Haram bin hayyan ki Khuwaja awais karni se mulaqat
Hazrat Haram Bin Hayyan
Hazrat Khuwaja Awais Karni
Sufi muslim
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Thanks for reading: हज़रत हरम बिन हैयान हज़रत अवैस करनी से मुलाक़ात Haram bin hayyan ki Khuwaja awais karni islamic stories, Sorry, my Hindi is bad:)