Hazrat Hasan Basri Wali Kaise bane
Hazrat hasan basri
Wali kaise bane
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Zindagi Badal Dene Wali
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फिक्र की राह इख़्तियार करने से पहले हज़रत खुवाजा हसन बसरी मोटीयो और ज्वाहरात की तिजारत किया करते थे एक दफा ज्वाहरात लेकर हरकुल बादशाह रोम के पास गये पहले वजीर से मिले और कहा कि मैं सौदागर हु और ज्वाहरात के सिलसिले मे बादशाह से मिलने का खुवाहिश मंद हु वजीर ने कहा कल तो बादशाह एक जरुरी काम के लिये शहर से बाहर जायेगा और मुलाक़ात की सिर्फ ऐ सूरत हो सकती है...
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कि तुम मेरे साथ चले चलो जब बादशाह अपने काम से फ़ारिग होगा तो तुझे मिला दूंगा हज़रत खुवाजा हसन बसरी ने हा मे हाँ मिला दी चुनानचे दूसरे दिन एक घोड़ा खुवाजा हसन के लिये मगाया गया जब मतलूबा मुकाम पर पहुचे तो आपने देखा कि एक रूमी का खेमा एक मैदान मे बना है उसकी तनाबे रेशम कि हैँ और जिन खिलो से बँधी हुई हैँ वोह सोने कि हैँ...
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एक फौज का बड़ा दस्ता असलहा से लैस खेमा का तवाफ कर रहा है फ़ौज्यो कि तवाफ के बाद एहले जाह वा चसम ने खेमा का तवाफ किया उसके बाद हुक्मा फ्लासफरो और दबीरो मुंशी हज़रात ने खेमा का तवाफ किया उसके बाद कोई दो सो के करीब कनिजे और लौंडिया जिन के कयामत खैर हुस्न थे और हर एक के हाथ मे जरो जवाहर का एक थाल था उन्होंने भी खेमा का तवाफ किया फिर केसर और वजरा कि बारी आई उन्होंने भी खेमे के अंदर कुछ देर क़याम किया और फिर चल दिये ...
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ये सारी कैफियत देख कर खुवाजा हसन बसरी हैरान रह गये और वजीर जों उनके साथ था उससे पूछा ये मुख्तलिफ अनवा के लोगों का तवाफ और ये शान वा शौकत वाला खेमा ये सब किया है और खेमा के अंदर कौन है जिसको ये एजाज वा मर्तबा दिये जा रहे हैँ वजीर अर्ज गुजार हुआ कैसरे रूम का बेटा जों कि साहबे जमाल था और साहबे इल्म भी था उसको ना सिर्फ जंग के जुमला उमूर मे दस्तर्स थी बल्कि वोह बेहतरीन सिपेशालार था उसका बाप उससे बहुत पियार करता था कुछ अरसा पहले वोह बीमार पड़ गया बड़े बड़े तबीब और वेदास इलाज को अये मगर कोई उसको ठीक ना कर सका आखिर कर वोह मर गया उसको उसी खेमा मे दफ़न किया गया और हर साल उसकी जियारत को तमाम लोग आते हैँ...
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हज़रत हसन बसरी ने पूछा ये तवाफ का तरीक़ा जो मुख्तलिफ औकात मे मुख्तलिफ तबके करते हैँ उसकी वजा मे जानना चाहता हु अर्ज की फौज के लोग इस वजा से तवाफ करते हैँ कि अगर शहज़ादा ऐसी कोई मुहिम या मुसीबत से दो चार होता तो सारी फौज अपनी जान क़ुर्बान करके शहज़ादे को बचा ने का सामान मुहय्या करती और उसको कोई आंच ना आने देती दांसूर फसलफई और हुक़मा इस वजा से तवाफ करते हैँ कि अगर हिकमत वा दानिश और खर्द सनासी शहज़ादे कि बला दफा कर सकते तो हम अपनी सारी मसाई इस बात पर सर्फ़ कर देते कि शहज़ादे की बला दफा हो जाये खूबसूरत लड़किया और माल वजर का ये मतलब है कि ये माल वजर और जिस्म वा जा अगर शहज़ादे की सेहत याबी मे मदद दे सकते तो उन सब को क़ुर्बान कर दिया जाता...
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शहज़ादे के वालिद और उसके जां नसी कहते हैँ अये जाने पदर और मुअज्जज हमने तो फ़ौज हुक़मा बुजुर्गो और शफीको और मदेरो की तजाविज हासिल की मगर ये सब कारगर इस लिये नहीं हुई कि इस बात पर किसी का कोई बस नहीं था मौत के आगे सब बेबस हैँ खुवाजा हसन बसरी ने जब ये बाते सुनी और सारी सुरते हाल देखी तो उस दिन से अपने आपको मुजाहदात इबादत मे इस क़दर मसरूफ किया कि सत्तर बरस कि उमर मे कभी बे वजू नहीं रहे गोसा तन्हाई को अपना मस्किन बनाया और कसम खाई कि जब तक ज़िंदा हु कभी ना हसूंगा बल्कि आख़िरत कि फिकर मे हमेशा रोता रहूँगा और यूँ आपने औलिया मे वोह मुकाम पाया जिस पर आज भी उन्हें याद किया जाता है
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Thanks for reading: हज़रत हसन बसरी वली कैसे बने Hazrat Hasan Basri Wali Kaise bane , Sorry, my Hindi is bad:)