Imam Jafar sadiq Ki Kramat
Imam Jafar Sadiq
Allah se magna
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हज़रत लेस बिन साद का बयान है कि मैंने 111हिजरी मे हज किया जब मैंने असर कि नमाज मस्जिदे हरम मे अदा की और कोह अबु केस पर चढ़ा तो वहा एक शख्स को बैठा दुआ मांगते देखा वोह शख्स यूँ दुआ माँग रहे थे"या रब या रब" फिर खामोश हो गये थोड़ी देर बाद उस शख्स ने फिर अल्लाह को याद किया "या हय्यू या कय्यूम " फिर उन्होंने कहा इलाही मैं अँगूर खाना चाहता हु खुदाया मुझे अँगूर खिला दें मेरी दोनों चादरे फट गई हैँ मुझे नई चादर अता करदे...
रावी का बयान है कि अभी उस शख्स कि दुआये इलतेजाये ख़तम भी ना होने पाई थी कि मैंने कि मैंने एक अंगूरों का भरा हुआ टोकरा देखा हालांकि उस वक़्त रूये जमीन पर अँगूर का वजूद कही ना था और चादरे देखी कि जिनकी मिसाल मैंने दुनिया मे कही नहीं देखी उस शख्स ने कुदरत के उस अतिये को देख कर अँगूर खाने चाहे मैंने कहा मैं भी आपका शरीक हु...
उन्होंने पूछा कियोंकर मैंने जवाब दिया कि जब आप दुआ कर रहे थे तो मैं आमीन कह रहा था ये सुन कर उन्होंने कहा आगे आइये और शोक से खाइये मैं आगे बढ़ा और अँगूर खाये मैंने अपनी उमर मे ऐसे लज़ीज़ अँगूर कभी नहीं खाये थे हमने पेट भर कर अँगूर खाये मगर टोकरा उसी तरह भरा हुआ था उस शख्स ने फरमाया कि इनको कल के लिये उठा ना रखो और ना इन्हे छीपाओ उस शख्स ने एक चादर खुद लेली और दूसरी मुझे देदी...
मैंने कहा ये आप ही रखले मुझे जरुरत नहीं मेरी खुवाहिश पर उस शख्स ने एक चादर तहमंद के तोर पर खुद बांध ली और दूसरी औढली फिर दोनों पुरानी चादरे हाथ मे लिये पहाड़ से उतरे जआद मुर्दा के दरमियान एक शख्स ने उनसे सवाल किया अये फ़र्जन्दे रसूलूल्लाह मैं नंगा हु ये मुझे उढ़ा दें जिस तरह अल्लाह ताला ने आपको उढ़ाये हैँ उस शख्स ने वोह दोनों चादरे उस सायल को देदी ये देख कर मैंने पूछा कि ये कौन बुज़ुर्ग हैँ सायल ने जवाब दिया कि ये सैय्यदना इमाम जफ़र सादिक रजि अल्लाहु तआला अन्हा थे....
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Thanks for reading: इमाम जफ़र सादिक कि करामत Imam Jafar sadiq Ki Kramat, Sorry, my Hindi is bad:)