कलमा पढ़ने पर बख्शशिश Qalma padhne par bakh shish

Qalma padhne par bakh shish Qalma padhne ka ajar Qalma padhna Khuwaja hasan basri Hazrat Khuwaja Hasan Basri Shamoon ka qalma padhna
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Hazrat Khuwaja Hasan Basri

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शमून नामी मशहूर आतिश प्रश्त खुवाजा हसन बसरी का पडोसी था वोह 70 बर्ष तक आतिश प्रश्ती करता रहा आखरी उम्र मे वोह बीमार पड़ गया कई रोज गुजर गये उम्दा इलाज और तदबीर भी उसे सेहत याब ना कर सकी एक दिन खुवाजा हसन बसरी उसकी इयादत को गये इयादत के बाद आपने उसको नसीहत की तुमने एक उम्र कुफ्र वा सिर्क मे गुजार दी है अब तुम अपने अंजाम को पहुंचने वाले हो तो इस्लाम ले आओ शायद खुदा तुम पर महेरबान हो जाये...



शमून ने जवाब दिया खुवाजा साहब मुझे मुसलमानो की तीन आदत ना पसंद है उनकी बदौलत मे इस्लाम से दूर रहा हु और अब भी मुझे उसमे कोई कशिश नहीं महसूस होती खुवाजा साहब ने फरमाया तू बयान कर वोह कोनसी ना पसंदीदा बाते हैँ जिन की वजा से तू मुंकिर है उसने जवाब दिया अव्वल ये कि मुसलमान दुनिया को बुरा कहते हैँ जबकि सब चीज हर कोई दुनिया की तलबगार और मतवाले हैँ दूसरा मौत पर पूरी तरह यकीन रखते हुऐ भी मौत के लिये कोई अमली सामान तैयार नहीं करते तीसरा ये कि खुदा के दीदार और खुदा को हासिल करने के भी कोशिश मे रहते हैँ और हर वोह काम भी करते हैँ जों खुदा को पसंद नहीं...



खुवाजा हसन बसरी ने जवाब दिया तुम्हारी गुफ्तगू बड़ी अच्छी है इसमें हक सनासी की दलिले हैँ मगर ये बता कि तूने सिर्फ उन बातो की वजा से सत्तर बर्ष आतिस प्रस्ती मे बर्बाद कर दिये जबकि एक मुसलमान और कुछ ना करें कम से कम खुदा की वाहदानियेत पर यकीन तो रखता है और इसबात से उसे खुदा का कुर्ब तो मिलेगा तेरा ख्याल किया है तूने आतिस को पूजा है तो आगे जाकर आग से मेहफ़ूज़ रहेगा और हम लोगों ने आतिस प्रस्ती नहीं की तो हमें आग जला देगी ये कहकर खुवाजा साहब ने फरमाया एक आग जलाई जाये मैं और समून दोनों अपना हाथ आग मे रख देंगे देखते हैँ आग आतिस प्रस्त को जलाती है या खुदा प्रस्त को....



ये कहकर जलती आग मे खुवाजा साहब ने अपना हाथ रख दिया मगर खुदा की करम से आगने आपको कोई नुकसान ना दिया समून ने ये रूह प्रद मंज़र देखा तो उसका दिल हिदायत इलाही से मुनव्वर हो गया और फ़ौरन खुवाजा हसन बसरी के सामने हाथ जोड़ कर बोला हज़रत इसी वक़्त क़लमा पढ़ाइये कुफ्र वा शिर्क मे एक उम्र बसर की है चंद सांस बाक़ी हैँ किया खबर कि ये घड़ी फिर नसीब हो कि ना हो इसके साथ ये मुतालबा किया कि अगर मैं खुदा पर ईमान लेआउ तो किया मुझे गारेंटी दे सकते हैँ कि मैं अजाबे इलाही से बच जाऊंगा खुवाजा साहब ने फरमाया क्यू नहीं मैं तुम्हे लिख कर देता हु कि अगर तुम मुसलमान हो जाओ तो खुदा तुम्हे जरूर बख्स देगा चुनानचे एक इक़रार नामा तैयार किया गया जिसपर खुवाजा हसन बसरी और देगर आदिल हज़रात के दस्तखत बतौरे गवाह के रकम किये गये फिर शमून ने क़लमा पढ़ा और मुसलमान हो गया इधर वोह मुसलमान हुवा उधर उसकी रूह जिस्म से निकल गई खुवाजा साहब ने उसको ग़ुस्ल दिया कफनाया और वोह अहेद नामा उसके हाथ मे दे दिया और उसको अपने हाथो क़ब्र मे उतारा...



रात को खुवाजा साहब को एक पल के लिये भी नींद ना आई सारी रात नवाफ़िल मे अदा की और खुदा के आगे अर्ज करते रहे अये रब्बे करीम मैं तो खुद एक गुनेहगार आदमी हु मैं किसी की बख्शिश की किया ज़मानत दे सकता हु मैंने एक दावा कर दिया है अब तू मेरी लाज रखने वाला है वर्ना कयामत के रोज मैं उस शख्स को किया मुँह दिखाऊंगा जिसने मेरी ज़मानत पर क़लमा पढ़ा इसी उलझन मे खुवाजा साहब की आंख लग गई खुवाब नज़र आया किया देखते हैँ कि शमून के सर पर ताज है और वोह मुकल्लिफ लिबास मे मलबूस जन्नत के बागाआत मे शैर कर रहा है...



खुवाजा साहब ने फरमाया अये शमून सुना तेरा किया हाल है शमून बोला अये हसन बसरी मैं बताने के लिये वोह जुबान और अल्फाज नहीं रखता कि खुदा ने मुझपर किया किया महेरबानयाँ की हैँ मुझे मेरे गुनाहों की मुआफ़ी दी मुझे बख्शिश के मेहलात मे उतारा मुझे अपना दीदार करवाया और वोह इनामात दिये हैँ कि बस मैं कुछ भी बयान करने की क़ुदरत नहीं रखता फिर उसने वोह अहेद नामा हज़रत हसन बसरी को वापिस कर दिया और कहा अब आप पर कोई ज़िम्मेदारी नहीं आप हर ज़मानत से बाहेर हैँ...



जब खुवाजा हसन बसरी की आंख खुली तो हैरान रह गये कि वोह इक़रार नामा आपके हाथ मे था जों आप शमून को देकर क़ब्र मे उतार आये थे आप फ़ौरन सजदे मे गिर गये और अर्ज की अये मालिक तेरी जात कितनी महेरबान और गफूरूररहीम है एक आतिस प्रस्त को जिसने सत्तर साल तेरी ना फरमानी की और फ़क़्त एक मर्तबा कलमा पढ़ा तूने इतनी ना फरमान्यो को बेमाना कर दिया और उसको ना सिर्फ बख्शशिश दिया बल्कि उसको बुलंद बाला दरजात अता फरमाये...


आवाज़ आई हसन बसरी तूने हमारे भरोसे पर वादा किया और एक गुमराह को सीधी राह पर लाया फिर हम तुम्हे क्यू कर रुस्वा करते हमें तो तुम्हारा भरम रखना मंज़ूर था

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Thanks for reading: कलमा पढ़ने पर बख्शशिश Qalma padhne par bakh shish, Sorry, my Hindi is bad:)

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