Wasle ilahi se duniya ki Mohabbat ka khatma
Hazrat habib ajami Aur kanij ka waqya
Qissa wali allah
Islamic waqya
हबीब अजमी ने एक मर्तबा एक कनीज खरीदी और उसको घरमे भेज कर अपने हुजरे मे इबादत की गरज से चले गये और इबादत मे इस कदर मशगूल रहे कि अपना होश भी ना रहा 20 साल इबादत वा रियाजत मे गुजारने के बाद अचानक उनको एक रोज याद आगया कि मैंने एक कनीज खरीदी थी आपने घरमे पहुंच कर उस कनीज को तो देखा मगर ये भूल गये थे कि ये वाली ही मेरी कनीज है...
उससे कहने लगे अये खातून जरा आप मेरी कनीज को मेरे पास भेज दीजिये कनीज ने जवाब दिया हज़रत आप किस कनीज को बुलवा रहे हैँ आपने फरमाया आप मेरी बीवी से जाकर पूछे वोह आपको कनीज के मुताल्लिक बता देगी कनीज ने अर्ज किया अये हबीब अजमी किया आप मेरे साथ मज़ाक तो नहीं कर रहे कियोकि आपके सामने तो कनीज खड़ी है और आप कह रहे हैँ कि कनीज को मेरे पास भेजो...
हबीब अजमी ने कहा मैं आपसे हरगिज मज़ाक नहीं कर रहा बल्कि मैं तो एक मुद्दत से किसी साथ मज़ाक नहीं किया आपको मैंने बिलकुल नहीं पहचाना कि आप ही मेरी कनीज हैँ बल्कि मेरी तो ये हालत है कि मैं अक्सर लोगों की पहचान भूल गया हू और कई लोग इस बात की शिकायत करते हैँ मगर मैंने जब से अल्लाह को पहचाना है बन्दों का ख्याल मेरे दिल से निकल गया आपने उसी वक़्त कनीज को आज़ाद कर दिया
Sufi muslim
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Thanks for reading: हज़रत हबीब अजमी और कनीज का वाक़्या Hazrat habib ajami Aur kanij ka waqya, Sorry, my Hindi is bad:)