Hazrat habib ajami ki toba
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हज़रत हबीब अजमी इबतेदा मे बड़े मालदार थे आपका जरिया मुआस सूद खोरी था आप लोगों को कर्जा देकर अपनी बसर किया करते एक रोज का वाक़्या है कि आपकी बीवी ने कहा आज घरमे कोई पैसा नहीं कोई इन्तेजाम कीजिये हबीब अजमी घरसे निकले और अपने एक मकरुज का दरवाजा खटखटाया इत्तेफाक कि घर का मालिक घरपे ना था उसकी बीवी ने बताया कि उसका सोहर घरपे नहीं है...
हज़रत हबीब अजमी ने कहा मुझे सोहर नहीं अपनी सूदी किस्त दरकार है उसपर मालिक की बीवी ने जवाब दिया जब सौहर घरपे नहीं तो आपको सूदी किस्त किस तरह मिल सकती है उसपर हबीब अजमी ने फिर कहा कि मुझे तुम्हारी किसी बात से सरोकार नहीं अगर तुम मुझे मेरी किस्त ना दोगे तो मैं वक़्त के जाआ करने का हर्जाना भी वसूल करूँगा कर्ज दार शख्स की बीवी ने कहा जब हमारे पास कोई पैसा नहीं तो सूदी किस्त कहा और हर जाने की रकम कहा हम दें ही कुछ नहीं सकते हबीब अजमी ने दरवाजे पर ठोकर मारकर कहा मैं खाली हाथ तो ना जाऊंगा कुछ ना कुछ लेकर जाऊंगा...
कर्जदार की बीवी को बड़ा गुस्सा आया उसने सोचा की अजीब खसीस किस्म का इन्सान है जब मैं अपनी मज़बूरी और मफदूरी बयान कर रही हु फिर भी तकाजे किये जा रहा है उसने जान छुड़ाने के लिये कहा हमने कल एक बकरी जबा की थी उसका गोस्त वगैरह तो खतम हो चुका है उसकी सिर्री पड़ी है वोह लेना है तो लेलो वही देदो हबीब अजमी ने कहा औरत ने फ़ौरन सिर्री हबीब अजमी की सराफ बढ़ा दी वोह सिर्री लेकर घर को चल दिये और बीवी से जाकर कहा आज हर्जाने मे सिर्री ही मिली है उसको ही पका लो...
हज़रत हबीब अज़मी की बीवी ने कहा खाली सिर्री से तो काम नहीं चल सकता इसके लिये ईंधन लकड़ी मिर्च मसाला और देगर अस्या की भी जरुरत है और ये चीज़े भी नहीं हैँ हज़रत हबीब अज़मी ने कहा फिकर मत करो मैं ये चीज़े भी ले आता हु फ़ौरन बाहेर गये और देगर तमाम चीज़े भी सूद मे ले आये बीवी ने सालन पकाने के लिये हांडी चूल्हे पर रखदी और उसमे सिर्री का गोस्त पकने के लिये रख दिया कुछ देर के बाद सालन तय्यार हो गया और बीवी ने कहा की सालन पक गया है लेहाजा खाना खा लें...
ऐन उस वक़्त दरवाजे पर दस्तक हुई दरवाजा खोला गया तो डरपर एक फ़क़ीर खड़ा भिक का तालिब था फ़क़ीर को देख कर हबीब अजमी सख्त बरहम हुऐ किया तुम्हे मालूम नहीं कि ये एक वसूल करने वाले का घर है और मैं खुद जों सारा दिन लोगों से रक़मे वसूल करता हु तू मुझसे वसूल करने आगया कुछ शर्म कर और अपना रास्ता नाप फ़क़ीर ने आजजाना अंदाज मे इलतेजा की कि जनाब मुझे भूख लगी है बा खुदा मुझे कुछ खाना खिलाये हबीब अज़मी बोले जाओ एक बर तो कह दिया कि खाना नहीं मिलेगा उसपर फ़क़ीर ने कहा अये हबीब अज़मी मैं भी तुम्हारा सागिर्द हू जिस तरह तू लोगों के दरवाजे पर अकड़ कर खड़ा हो जाता है और कुछ लिये बगैर वहा से नहीं टलता मैं भी यहाँ से कुछ लिये बगैर नहीं जाऊंगा...
इसपर हबीब अजमी दूबारा कहने लगे कि मैंने तो लोगों को कर्ज दिया होता है उसका सूद तलब करता हू तुमने मुझे किया दिया हुआ है जों मुझसे लेने आया है मगर फ़क़ीर कहने लगा कि मालदारों के माल वा जर मे अहले एहतियाज का भी हक होता है और मैं अपना हिस्सा वसूल करने आया हू और वसूल करके जाऊंगा...
Sufi muslim
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हबीब अजमी गुस्से से बोले यहाँ से चला जा मैं अब भी तेरा लिहाज कर रहा हू वर्ना कोई और होता तो उससे कागज पर दस्तखत करवा कर अपने वक़्त के जाया की कीमत वसूल कर लेता फ़क़ीर कहने लगा की अये हबीब अजमी तुम्हारा दम तो कंजूसी से वैसे ही निकला जा रहा है मैंने तुमसे कोई माल वा जर तो नहीं माँगा मैं तो फकत कुछ खाने के लिये मांग रहा हू हबीब अजमी ने शख्त रोइ से कहा अये ना हनजार फ़क़ीर मैंने तुम्हे बताया है कि मैं तुम्हे कुछ ना दूंगा अगर मैं तुम्हे कुछ माल दें भी दू तो तुम उससे अमीर नहीं हो सकते मगर मैं गरीब जरूर हो जाऊंगा अगर मैं तुम्हे खाने के लिये कुछ खाना दू तो तुम्हारा पेट नहीं भरेगा और मैं खाह मखा भूखा रेह जाऊंगा...
इसपर फकीर को भी गुस्सा आगया और कहने लगा कि अये हबीब अजमी अगर मुझे खाना देने से तू भूखा रेह जायेगा तो मुझे खाना मत दें मगर एक बात याद रखना जब अल्लाह किसी को भूखा रखने का इरादा करें तो वोह शख्स कभी पेट नहीं भर सकता और आज तू खुदा के हुकुम से भूखा रहेगा फकीर की ये बात सुन कर हबीब अजमी पर इसका कोई असर ना हुआ मगर उनकी बीवी का दिल पेज किया और उसने ये खाहिश की कि फकीर को खाना दें दिया जाये मगर वोह अपने सौहर के आगे बेबस थी...
उसने बड़ी कोशिश की कि हबीब अजमी कुछ खाना फकीर को दे दें मगर हबीब अजमी पर हर्ष वा तमा का गलबा था उन्होंने बीवी को भी मतून किया और फकीर को भी भगा दिया फकीर तो खुदा का भेजा हुआ फरिस्ता था जों इंसानी रूप मे आया था उसने जब ये बददुआ दी कि अगर तू मुझे खाना नहीं देगा तो तू खुद भी नहीं खा सकेगा उसकी इस बात को झूठ लाने के लिये हबीब अजमी ने अपनी बीवी से कहा लाओ खाना मैं अभी उस फकीर को खाना खाकर दिखाता हू बीवी ने जब सालन निकालने के लिये जब देगची का ढकना उठाया तो हैरान रेह गई कि देगची सोरबे और सालन के बजाये खून से भरी पड़ी थी उसने हबीब अजमी को बुलाकर सारा मुआमला सुनाया और दिखाया...
पहले तो हबीब अजमी ने सालन के रंग वा बू पर गौर किया और जब उनको ऐतमाद हो गया कि ये वाक़ई खून है तो फिर उनका भी माथा ठनका अब बीवी को बोलने का मौका मिला उसने कहा तुमने हमेशा बख़ीली से काम लिया अपनी होस के लिये लोगों का खून चूसा कर्ज कि तहो पर तहे चढ़ा कर लोगों की ज़िन्दगी का अजीरन किया आज इसी मसाइल को जों गालबन खुदा का भेजा हुआ फरिस्ता था उससे निहायत बुरा रावय्या इख़्तियार किया और खुदा ने उस खून से जों तुम लोगों का चूसते हो हमारा सालन बदल दिया...
हबीब अजमी की हालत तो पहले ही परेशान कुन थी ऊपर से बीवी की जली कटी बातो ने जलती पर तेल का काम किया और वोह फकीर को ढूंढने के लिये भागे मगर वोह तो ना मालूम कहा गायब हो गया था उसी परेशानी मे घर वापिस अये तो बीवी ने कहा अब मेरा एक मशोरह मान लो पूछा जल्दी बताओ मैं शख्त बेकुल वा बेक़रार हू ना मालूम मुझे कोनसी सजा मिलने वाली है उसपर बीवी ने कहा मेरी बात मानो तो अपना सारा कर्जा जों तुमने लोगों से लेना है एक दम मुआफ करदो तुम्हरी इस सखावत और दरया दिली की खबर सुन कर फकीर खुद बखुद दौड़ा दौड़ा आयेगा...
हबीब अजमी कहने लगे कि मगर मैं सारी ज़िन्दगी रूपये पैसो के बगैर कैसे गुजारूंगा उसपर बीवी ने जवाब दिया उसपर ये कोनसी बड़ी बात है इतनी मुद्दत तुमने ऐश से ज़िन्दगी बसर की है अब तो बाकी ज़िन्दगी मे मेहनत वा मुशाक्कत करना तिजारत कर लेना पैसा तुम किसी भी तरह कमा सकते हो अब हबीब अजमी सोचो मे गर्क हो गये घिनावना कारोबार दौलत वा हश्मत और ऐश वा इशरत छोड़ना आसान काम ना था जुँ जुँ कारोबार को छोड़ने की सोचते दिल वा दिमाग़ मे उलझन बढ़ती जा रही थी मगर फिर अचानक हबीब अजमी के दिल मे सुदी कारोबार से नफरत वा कराबियत पैदा हो गई उसी वक़्त पाक वा साफ होकर मुसल्ले पर आगये नमाज अदा करके सजदे मे गिर गये और अर्ज की अये खुदाये मुतलक मैं गुनेहगार और सिया कार हू ज़िन्दगी भर गलतियों और बद अमालियो का शिकार रहा हू उनसे ला ताल्लुक़ होना चाहता हू मेरी मदद फरमा कियोकि मेरी अकल कमजोर है लेहाजा मुझे अकल के हवाले करने के बजाये तू खुद मेरी दस्तगीरी और रेहनुमाई फरमा मैं तेरे साथ वादा करता हू कि मैं अपने तमाम सूदी कारोबार खतम कर दूंगा और अपने सारे करजे लोगों के मुआफ़ कर दूंगा...
दुआ खतम हुई हबीब अजमी के दिलो दिमाग़ सुकून वा इतमेनान से पुर हो गये अल्लाह ताला ने उनको उसके फैसले पर कायम रहने का हौसला दिया और गुनेहगारी तर्क करने की हिदायत दी आपने फ़ौरन अपनी बीवी को बताया मैं तुम्हारे सामने अपने गुनाहों से तायेब होकर फाआल ज़िन्दगी गुजारने का इक़रार करता हू तू मेरी गवाह रहना बीवी बड़ी खुश हुई और बोली आपने ज़िन्दगी की हक़ीक़त को पा लिया गुनाहगारी तर्क करदी और अस्तगफार के जरिये सिराते मुस्तकीम इख़्तियार की मैं आपकी कयामत तक गवाह रहूंगी ये सुन कर हबीब अजमी का चेहरा तसफी और तसल्ली के नूर से चमक उठा...
वोह फ़ौरन घर से बाहेर निकले और बुलंद आवाज से लोगों को बताते जाते कि मैंने जिस किसी से कर्ज लेना है वोह मुझसे कर्ज की मुआफी की फ़ारिग खती लिखवा लें जब लोगों ने सुना हबीब अजमी अपने फितरत वा आदत के खिलाफ ऐलान कर रहे हैँ तो अक्सर ने ये कहा कि हबीब अजमी लोगों के खून निचोड़ने के नये तरीके का ऐलान कर रहे हैँ गली के लड़को ने आपको देखा तो एक दूसरे को ख़बरदार करने लगे हबीब अजमी के करीब मत जाना कियोकि उसके करीब जाना जहन्नम की आग छूने के बराबर है...
ये बाते सुन कर हबीब अजमी को बड़ा दुख हुआ मगर किसी को किया कहते ये सब उनकी अपनी बद आमालिया थी किसी पर किया दोस दिया जा सकता था रोते रोते वोह खुवाजा हसन बसरी की मजलिस की तरफ चले वहा पर मोजु( Topic)भी आपके हस्बे हाल था जिसने आपके जहन के बंद दरिचो को खोल दिया और बाद मे खुवाजा हसन बसरी की रूह पुर्द तकरीर और नसीहतो ने आपकी काया पलट कर रखदी और आपने बीवी के इलावा खुवाजा हसन बसरी को भी अपनी तोबा का गवाह बना लिया और खुदा से वादा किया कि वोह सूद जैसे मकृदा कारोबार का ख्याल भी दिल मे ना लायेंगे और लोगों से अपने सारे कुसुरो कि मुआफी मागेंगे...
खुवाजा हसन बसरी ने आपके फैसले और अस्तगफार को बड़ा सराहा और आपके हक मे दुआ की हबीब अजमी खुवाजा हसन बसरी की दुआ लेते वापिस घर लौटे रास्ते मे आपको एक शख्स मिला जों आपका कर्जदार था आपने उससे कहा चलो मेरे साथ मेरे घरमे कागज से तुम्हे तुम्हारे करजे से फ़ारिग खती लिखकर देता हू कर्जदार बोला कि अगर मैं आपके घर गया तो आप वहा मेरे साथ बुरा सुलूक करेंगे मैं तो हरगिज़ ना जाऊंगा हबीब अजमी बोले हबीब अजमी बोले बेशक़ तुम मेरे साथ चलो मैं तुम्हारे साथ चलता हू मुझे अपने घर लें चलो वहा जाकर मैं तुम्हे फ़ारिग खती लिखकर देता हू मगर वोह शख्स बिलकुल ना माना और बोला आप मेरे घर जाकर वहा शोरोगुल मचा कर मुझे मोहल्ले भर मे रुस्वा करेंगे आप रोने लगे और खुदा से अर्ज की अये खुदा मैं इतना बे ऐतबार हो चुका हू कि मेरी नेकी पर भी लोग यकीन नहीं करते...
आपने उस कर्ज दार से कहा तू जा और कागज यहाँ लेंआ मैं तुम्हे यही पर ही फ़ारिग खती लिख कर देता हू अब उस शख्स को थोड़ा सा ऐत्माद पैदा हुआ और वोह आपके साथ घर चलने पर आमादा हो गया रास्ते मे फिर गली के लड़को से हबीब अजमी का सामना हो गया लड़के आपको देखकर बोले हट जाओ कही हमारी उड़ाई हुई गर्द हबीब अजमी पर ना पड़ जाये और हम गुनेहगार हो जाये ये बात सुनकर कर्ज दार को बड़ा ताज्जुब हुआ हबीब अजमी उसी वक़्त सजदे मे गिर गये अर्ज की या मौला करीम तेरी क़ुदरत के भी अजीब तमाशे हैँ इधर मैंने तोबा की है उधर तूने मेरे नेक नामी का ऐलान कराना शुरू कर दिये हैँ उसी वक़्त आपने अपने तमाम कर्जदारों को फ़ारिग खती लिखकर देना शुरू करदी और ऐलान करवा दिया कि मेरा कोई भी मकरूज जहाँ भी हो वोह मुझसे फ़ारिग खती लिखवा लें तमाम कर्ज दारों को फ़ारिग खतिया लिख कर देने के बाद आपने अपना तमाम असासा लोगों मे तक्सीम कर दिया जब सारा कुछ बाँट चुके तो एक साइल आगया उस वक़्त आपके पास कुछ ना रहा था आपने उसको अपना कुरता दे दिया अभी वोह सायल मौजूद ही था कि एक और आगया आपने उसको अपने बीवी की चादर देदी और अपना दामन दुनियावी दौलतो से झाड दिया
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Thanks for reading: हज़रत हबीब अज़मी की तोबा का किस्सा Hazrat habib ajami ki toba ka kissa, Sorry, my Hindi is bad:)