Ishke ilahi ka sila
Islamic stories in hindi
Allah se Mohabbat
Hazrat malik bin dinar
Allah ke dost se mulakat
Sufi islam
Ahle bait
Auliya
Sufi islamहज़रत मालिक बिन दीनार फरमाते हैँ मैं हज के लिये बैतूल्लाह जाता था कि एक शख्स से मुलाक़ात हुई उसके पास ना तो कोई तोसा था ना पानी था और ना सवारी प्यादा जोक शौक राह तै कर रहा था मैंने उससे सलाम किया उसने मेरे सलाम का जवाब दिया फिर मैंने पूछा अये जवान तू कहा से आता है कहा इसी के पास से मैंने कहा कहा जाता है कहा उसी की तरफ मैंने कहा तोसा कहा है कहा उसी के जिम्मे मैंने कहा भला पानी और तोसा के बगैर रास्ता क्यूकर कटेगा तेरे पास तो कुछ नज़र नहीं आता कहा हाँ मैंने घर से निकलते वक़्त पांच हरुफ तोसा के लिये लाये हैँ मैंने कहा वोह कोनसे हैँ कहा कौली खुदा काफ हा अइन साद. मैंने कहा इनके माना कहा काफ के माना काफ़ी हा के माना हादी सै के माना ज़घा देने वाला अइन के माना आलिम साद के माना सादिक जिसका मुसाहिब और साथी काफ़ी हादी ज़घा देने वाला आलिम और सादिक हो वोह बर्बाद ना होगा और ना उसे खौफ होगा और ना वोह सफर का तोसा और पानी के लिये मोहताज है...
मालिक बिन दीनार कहते हैँ कि जब मैंने उसकी बाते सुनी तो अपना कुरता उतार कर पहनाना चाहा उसने इंकार किया और कहा अये शैख़ दुनिया के कुर्ते से नंगा रहना बेहतर है दुनिया की हलाल चीज मे हिसाब होगा और उसके हराम मे अज़ाब जब रात हुई तो उस नौजवान ने अपना मुँह आसमान की तरफ करके कहा अये वोह खुदाये करीम जिसे ताअत खुश आती है और गुनाह उसका कुछ नुकसान नहीं करता जों तुझे खुश अये मुझे बख्स और मेरे गुनाह तुझे नुकसान नहीं पहुंचते बख्स दे जब लोगों ने एहराम बांध कर लब्बैक कही मैंने उससे कहा तुम लब्बैक नहीं कहते कहा अये शैख़ मैं तो डरता हू कि मैं लब्बैक कहु और जवाब मे वहाँ से ला लब्बैक वला सादैक हो(मैं तेरी बात नहीं सुनता और ना तेरी तरफ देखता हू) ये कहकर चल दिया फिर मैंने मिना के सिवा कही नहीं देखा वोह कह रहा था जिसे मेरा खून गिराना पसंद है उसके वास्ते मेरा खून हल और हरम मे हलाल है...
खुदा की कसम अगर मेरी रूह को मालूम हो कि किस्से तालुक है तो सर के बल उसके वास्ते खड़ी हो जाये उसे मलामत करने वाले उसकी मोहब्बत मे मुझे मलामत मत कर कियोकि जो खूबी और हुस्न मैं उसमे देखता हू अगर तू देख पाये तो हरगिज ना बचे बल्कि मेरी तरह उसके इश्क मे जान वा दिल कुर्बान कर डाले लोगों ने तो ईद के दिन बकरे और मेंडे कुर्बान किये और मेरे दोस्त ने मेरी जान की क़ुरबानी की फिर कहा खुदा वन्द लोगों ने कुर्बानिया की और तुझसे ताकर्रुब हासिल किया मेरे पास तो कोई चीज भी नहीं कि जिस के जरिये से तकर्रुब हासिल करुँ हाँ एक जान है जो तेरी राह मे कुर्बान करता हू तू मेरी तरफ से इसे कबूल फरमा फिर जोर से एक चीख मारी और मुर्दा होकर गिर पड़ा नागाह हातिफ गैबी ने आवाज दी ये खुदा का दोस्त है ये खुदा का मकतूल है खुदा की तलवार से कतल हुआ है मालिक कहते हैँ मैंने उसकी तजहेज वा तकफीन करके उसे दफ़न किया और उस रात निहायत दर्जा परेशान सोया खुवाब मे देखकर उससे पूछा कि खुदा ने तेरे साथ किया मुआमला किया कहा वोह मुआमला किया जो बदर के शहीदों के साथ किया बल्कि उनसे भी ज़ियादा दिया मैंने कहा जियादती क़ी वजा कहा वोह लोग तो काफिरों क़ी तलवारों से मारे गये और मैं खुदाये जब्बार क़ी मोहब्बत मे. खुदा उससे राजी हो....
Sufi islam
Rate This Article
Thanks for reading: इश्के इलाही का सिला सुफी इस्लाम ishke ilahi ka sila sufi islam, Sorry, my Hindi is bad:)