Nigahe Faij Ka Asar hazrat malik bin dinar
निगाहेँ फैज का असर
Ek Nojawan Aur Malik Bin Dinar
Allah Ke Dost
Wali Allah
Sufi Islam
ये एक हकीकत है कि अल्लाह ताला कि अगर नज़रे करम हो जाये तो बड़े बड़े गुनेहगार और पाप करने वाले भी नेकूकार और परहेजगार बन जाते हैँ रवायत है कि एक बदमाश किसिम का नौजवान हज़रत मालिक बिन दीनार के पड़ोस मे रहता था और सरफा उस नौजवान के हाथो खास परेशान थे चुनानचे एक मर्तबा लोगों ने आपसे उसके मुजालिम की शिकायत की लेकिन जब आपने उस नौजवान के पास जाकर नसीहत की तो वोह आपके साथ गुस्ताखी से पेस आते हुऐ बोला कि मैं हुकूमत का आदमी हू और किसी को मेरे कामों मे दखल देने की कतई जरुरत नहीं है कियोकि मैं अपने अच्छे बुरे फाल का खुद जिम्मेदार हू...
हज़रत मालिक इब्ने दीनार ने जब उससे फरमाया कि मैं बादशाह से तेरी शिकायत कर दूंगा तो उसने जवाब दिया कि बादशाह बहुत रहेम दिल और नरम मिजाज है और मुझे यकीन है कि वोह मेरे खिलाफ किसी की बात सुनना गवारा नहीं करेगा मालिक बिन दीनार ने कहा कि अगर बादशाह ने तुम्हारे खिलाफ शिकायत ना सुनी तो मैं अल्लाह ताला से तेरी शिकायत करूँगा उस पर नौजवान ने फखर्या अंदाज मे मुस्कुराते हुऐ कहा कि अल्लाह ताला तो बादशाह से भी ज़ियादा रहीम वा करीम है...
नौजवान की ये बात सुन कर मालिक बिन दीनार वापिस लौट आये लेकिन चंद ही रोज बाद लोगों ने जब दुबारा उस नौजवान के मुजालिम की शिकायत की तो आप फिर उस नौजवान को नसीहत करने तसरीफ लें गये लेकिन इतने मे गैब से निदा आई कि मेरे दोस्त को परेशान मत करो गैब की ये निदा सुनकर हज़रत मालिक बिन दीनार हैरत जदा रेह गये...
और उन्होंने उस नौजवान से जाकर कहा कि मैं इस गैबी आवाज के मुतालिक तुझसे पूछने आया हू जों मैंने रास्ते मे सुनी है नौजवान ये सुनकर खुद भी हैरत जदा हो गया और फिर मसमम इरादे के साथ पर अजम अंदाज मे कहने लगा कि अगर ये बात है तो मैं अपनी तमाम दौलत खुदा की राह मे कुर्बान करता हू चुनानचे कुछ ही दिन बाद वोह नौजवान अपना पूरा अतासा खैरात करके नामालूम सिमत की तरफ रवाना हो गया फिर एक मर्तबा मालिक बिन दीनार जब मक्का मुअज्जमा पहुचे तो उन्होंने उस नौजवान को वहा इन्तहाई कमजोर अलमर्ग हालत मे देखा जों उस वक़्त सजदे मे पड़ा कह रहा था खुदा ने मुझे अपना दोस्त फरमाया है इसलिये मैं भी उसके एहकाम पर अपना तन मन धन सब कुछ कुर्बान करूँगा और मैं ये भी जानता हू कि उसकी राजा और खुशनुदी सिर्फ इबादत से ही हासिल होती है और आज से मैं कोई भी ऐसा काम करने से सच्ची तोबा करता हू जो उसकी तस्लीम और रजा के खिलाफ होगा फिर हज़रत मालिक बिन दीनार ने देखा कि इतना कहने के बाद वोह नौजवान उसी वक़्त अपने मालिके हक़ीकी से जा मिला
Sufi islam
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Thanks for reading: निगाहेँ फैज का असर सूफ़ी इस्लाम Nigahe Faij Ka Asar Sufi Islam, Sorry, my Hindi is bad:)