Rahem aur magfirat ki dua
Hazrat habib ajami ki dua
Hazrat habib ajami
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एक दिन हबीब अजमी एक फासी घर के करीब से गुजर रहे थे उसी वक़्त एक कातिल को फांसी दी जाने वाली थी फंदा उस शख्स के गले मे डाल दिया गया था आपको देख कर उस कातिल ने अर्ज की अये हबीब अजमी मैं बुरा सियहकार गुनेहगार हू मेरे लिये मगफिरत की दुआ फरमाये आपने खुदा से अर्ज की अये मालिके मुल्क उस शख्स ने मुझे कोई नेक बुज़ुर्ग समझ कर दुआ की दरखुवास्त की है उसपर रहेम फरमा और उसकी खताओ को मुआफ़ फरमा दे...
आप दुआ करके आगे रवाना हो गये उस कातिल को फांसी मिल गई और वोह मर गया जब उसकी लास उठाई जा रही थी तो अजराह हमदर्दी जेलर ने कहा इस बेचारे को हबीब अजमी की अच्छी दुआ लगी कि ये अगले जहाँ जा पंहुचा उसी रात जल्लाद ने खुवाब मे देखा कि वोह खुनी कातिल बहुत बड़े बाग़ मे इन्तहाई खुश वा खरम बैठा है...
और उसके इर्द गिर्द का माहौल इस कदर दिलकश है कि नज़रो को खाह मखाह हलावत महसूस हो रही है जल्लाद ने उस कातिल से पूछा तू इस कदर खुश कियो है उसने जवाब दिया ये सब हबीब अजमी की दुआ का असर है अल्लाह ताला ने मुझपर खूसूसी महेरबानी फरमाइ अगले रोज जल्लाद हबीब अजमी की खिदमत मे हाजिर हुआ और आपसे अपने काम की मुआफी मांगी आपने उसे मुआफ़ कर दिया और उसको नसीहत भी की और उसके लिये दुआ भी की
Sufi muslim
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Thanks for reading: रहेम और मगफिरत की दुआ हबीब अजमी Rahem aur magfirat ki Dua Hazrat Habib Ajami, Sorry, my Hindi is bad:)