खलीफा हारून अल रशीद और हजरत फजेल बिन अयाज islamic stories Hindi
खलीफा हारुन अलरशीद ने अपने वजीर फजल बिन राबये के साथ हज किया अरकाने हज की अदाइगी से फ्रागत हुई तो हारुन ने फजल से कहा कि मैं यहाँ किसी मर्दे खुदा रशीदा से मिलना चाहता हू किसी का नाम बताओ जिससे मुझे मिलकर फायदा हो फजल ने हजरत अब्दुर्रज्जाक सनआनी का नाम बताया जो बड़े रहेम दिल और मरजा खलायक थे चुनानचे हारुन अलरशीद उनकी खिदमत मे हाजिर हुआ इधर उधर की बातों के बाद खलीफा ने वजीर से कहा उनसे पूछो उनपर किसी का कर्ज वाजिब होतो बतलायें अदा कर दिया जायेगा फजल बिन राबये ने हज़रत से दरियाफ्ट किया तो हज़रत नें जवाब मे कर्ज की रकम बतला दी और खलीफा हारुन अलरशीद ने फजल को उस रकम की अदाइगी का हुकुम दे दिया,
लेकिन जैसे ही हारुन अलरशीद उनके मकान से निकला तो उसने अपने वजीर फजल बिन राबये से कहा कि फजल मुझे इस मुलाकात से सेरी नहीं हुई मैं किसी और मर्दे फकीर से मिलना चाहता हू फजल राबये ने बहुत गौर किया बहुत गौर और फिकर के बाद उसने हजरत सुफियान बिन अइइनह का नाम लिया जो अपने वक्त के बहुत मशहूर औलिया अल्लाह और मुहड्डिसिन मे से हैँ हारुन अलरशीद उनकी खिदमत मे हाजिर हुआ इबतेदाई गुफ्तगू के बाद हारून अल रशीद ने फिर फजल बिन राबये से कहा कि मालूम करो कि उनको किसी का कोई कर्ज तो अदा करना नहीं है, यहाँ भी वही अस्बात मे जवाब मिला हारून अल रशीद ने अपने वजीर फजल बिन राबये को हुकुम दिया कि वोह रकम हज़रत को अदा करदी जाये,
खलीफा हारून अलरशीद इस मर्तबा बहुत अफसुर्दा खातिर हुआ और परेशानी के लहजे मे फजल बिन राबये से कहा कि मैं तुमसे किसी मर्दे खुदा की मुलाकात की खुवाहिश बयान करता हूँ किया ये सर्जमीन अरब अहले अल्लाह से एक्सीर खाली हो गई है. फजल बिन राबये बहुत घबराया उसे जिन उलमा वा सलहा के मुतालिक मालूम था उस्ने तो उन्ही मेसे दो बेहतरीन औलिया अल्लाह के नाम लिये थे आखिर खलीफा का हुकुम था तामील करना जरुरी था लेकिन कोई ऐसी ग्रामी कद्र शख्शियत अब उसके जहन मे नहीं आरही थी जो खलीफा के अपने मायार पर बिल्कुल ही पूरी उतर जाये आखिर जब खलीफा ने उससे दुबारा कहा तो उसने हजरत खुवाजा फजेल बिन अयाज की जाते ग्रामी की तरफ इशारा किया. हजरत फजेल ने खुरका इरादत हजरत अब्दुल वाहिद बिन ज़ैद से पहना है हजरत जैद ने हज़रत खुवाजा हसन बसरी से और आपने मौलाये कैनात शेरे खुदा अमिरुल मोमिनून हजरत अली रजिअल्लाहुतअलाअन्हु से खुरका इरादत पहना,
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जिस वक़्त हारून रशीद और फजल बिन राबये आपके हुजरा मुबारक पहुचे तो रात हो चुकि थी और आपके हुजरा मुबारक से क़ुरआन मजीद पढ़ने की दिलकश आवाज आरही थी और आपके जुबाने मुबारक पर ये अल्फाज जारी थे أَمْ حَسِبَ الَّذِينَ اجْتَرَحُوا السَّيِّئَاتِ أَن نَّجْعَلَهُمْ كَالَّذِينَ آمَنُواوَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ
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हारून अल रशीद ने इस आयेत को सुनते हि कहा बस यहि काफी है लेकिन फिर भी फजल ने हुजरे का दरवाजा खट खटाया आवाज आई कौन है फजल बिन राबये ने कहा अमिरुल मोमिनिन हारून अल रशीद, तो हजरत ने अन्दर ही से जवाब मे फरमाया, हमारा अमिरुल मोमिनन से किया ताल्लुक है, हारून अल रशीद ने खुदही जवाब दिया मैं आपसे अपने लिये दुआ कराने आया हूँ आपसे अपने नफ़्स की इस्लाह चाहता हूँ और ये काम आपको जरूर करना होगा हजरत खुवाजा फजेल बिन अयाज ने फ़ौरन चिराग गुल किया और हुजरे का दरवाजा खोल कर आप एक कोने मे खड़े हो गये हारून अल रशीद ने हुजरे मे पहुंच कर आपको ढूंढा और उसका हाथ इत्तेफाकन हजरत खुवाजा के हाथ मे पड़ा तो आपने बड़े ही दर्द मंद लहजे मे फरमाया,
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आह आजतक इस हाथ से जियादा नरम हाथ मैंने कोई नहीं देखा और येह हाथ वाक़ई बहुत ही नरम हैँ बशर तैकि कयामत के दिन दोजख की आग से मेहफूज रहे,
हारून अल रशीद रोने लगा रोता रहा यहाँ तक कि बेहोश हो गया कुछ देर बाद होश मे आया तो बोला कि मुझे कुछ और नसीहत कीजिये,
हज़रत खुवाजा ने फरमाया कि अये अमिरुल मोमिनिन, तेरे जदे अमजद ने जो हुजूर रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम के चचा थे एक कौम पर हुकूमत करने की दरखुवास्त की थी जिस पर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने फरमाया था कि अये इम मोहतरम खुदा की फरमाबदारी मे आपका एक सांस उन हजार बरसों से कही जियादा बेहतर है जिन मे खलके खुदा आपकी इताअत करे,
हारून अल रशीद ने कहा मुझे कुछ और नसीहत फरमाइए,
हजरत खुवाजा ने इरशाद फरमाया ये तेरा चेहरा बहुत खूबसूरत दिलकश और अबदार है लेकिन मुबारा ये तेरा चेहरा कही दोजख की आग मे झुलस कर ना रेह जाये इसलिये तुझे खुदा तरसी और उससे पहले उसकी हक गुजारी करनी चाहये हारून अल रशीद ने नसीहते सुनली तो अर्ज किया कि अगर आपको किसी का कर्ज अदा करना होतो बिला तकलीफ फरमा दीजिये,
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हजरत खुवाजा फजेल बिन अयाज ने फरमाया कि हाँ खुदा का बहुत बड़ा कर्ज देना है जिसके अदा करने मे मशगूल हूँ हक ताला से दुआ है कि वोह अपने फजल वा करम से और तौफीक से उसे अदा करदे आपकी ये बातें सुन कर हारून अल रशीद रोने लगा रोते रोते उसकी हिचकी बंध गई फिर जब सम्भला तो उसने बड़े ही अदब वा एहतराम से एक हजार तलाई दिनारों की थैली आपके सामने रखदी तो हजरत खुवाजा ने बरहम होकर फरमाया मेरी नसीहत का किया यहि बदला है अफसोस कि मेरी नसीहत की बातें तुझे कुछ फायदा ना पहुंचा सकी मैंने तुझे नसीहत की दुनिया की बजाये खुदा की तरफ आने को कहा और तू मुझे मुसीबत वा बला मे फसाता है खुदा के बजाये दुनिया की तरफ मुझे घसीटना चाहता है अफसोस है तुझपर हारून अल रशीद रोता हुआ आपके हुजरे से बाहर निकल आया और अपने वजीर फजल बिन राबये से कहा कि हजरत खुवाजा फजेल बिन अयाज मर्दे कामिल हैँ साहबे दिल, बखुदा और खुदा रशीदा हैँ और जब तक दुनिया मे ऐसे मुकद्दस लोग मौजूद रहेंगे इस दुनिया मे रहने वालों पर खुदा की रेहमते नाजिल होती रहेंगी
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Thanks for reading: खलीफा हारून अल रशीद और हजरत फजेल बिन अयाज islamic stories Hindi, Sorry, my Hindi is bad:)