हजरत बसर हाफी और अबु उबेद खुदा की मोहब्बत
Auliya
हजरत बसर हाफी रहमातुल्लाह अलै फरमाते हैँ कि मैंने अरफा के दिन एक शख्स को देखा कि खुदा की मोहब्बत के गलबा मे रो रहा था और निहायत शिद्दत से पुकार कर कह रहा था पाक जात है वोह अगर हम उसे सजदा करें और सरों आँखों को काँटों और सुइयों पर रखें तो उसके नियमतों का हक दस मेसे एक भी ना अदा कर सके खुदा वन्द हमने किस कदर खताये की और तुझे उसवक्त याद ना किया और तू अये मालिक हमको पोशिदा याद करता है हमने जिहालत से गुनाह किया और तुझसे अपनी दानिस्त मे छिपाया और तू हमारे साथ महेरबानी से पेश आया और हमारे गुनाहों की पर्दा पोशी फरमाइ,
कहते हैँ वोह मेरी नजरों से गायब हो गया,
जब मैंने ना देखा लोगों से पूछा तो मालूम हुआ कि वोह अबु उबेद खुवासे खासाने खुदा मेसे हैँ सत्तर बर्ष हुऐ कि उन्होंने आसमान की तरफ मुँह उठा कर नहीं देखा लोगों ने उसका सबब पूछा तो बोले मैं शर्माता हू कि अपना मुँह अपनी मेहसिन की तरफ करुँ, ताज्जुब है कि नेक फरमाबदार होकर बा वजूद हुस्ने इताअत के अजज वा इनकेसार करे और ना फरमानी वा सर्कशी से पेश अये और अपने गुनाहों से ना शर्माये, खुदा वन्दे करीम अपने दीदार से मेहरूम ना करना और अपने नेक दोस्तों की बरकत से हमको नफा दारेन अता फरमाना और उन्ही बुजुर्गों के साथ हमारा हशर करना
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Thanks for reading: हजरत बसर हाफी और अबु उबेद खुदा की मोहब्बत Auliya stories in hindi, Sorry, my Hindi is bad:)