हातिम बिन असम और उनके मुर्शिद hatim bin asam

हातिम बिन असम और उनके मुर्शिद hatim bin asam hindi stories islamic waqya safik balkhi सफीक बल्खि
Sakoonedil

 हातिम बिन असम और उनके मुर्शिद hatim bin asam

Islamic stories
Hindi stories 
हातिम बिन असम और उनके मुर्शिद hatim bin asam

 hatim bin asam


हजरत हातिम असम को जब अपने मुर्शिद हजरत सफीक बल्खि की खिदमत मे रहते हुऐ 33 बर्ष गुजर गए तो एक दिन हजरत सफीक बल्खि ने उनसे पूछा हातिम मेरे पास रहते हुऐ कितना अरसा हो गया अर्ज की 33बर्ष हजरत शफीक ने फरमाया इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलैहिर्राजिवून इतनी तवील मुद्दत और सिर्फ 8मसले मालूम हुऐ कि तुम्हारी उम्र रायगा गई हजरत हातिम ने अर्ज किया कि अये उस्तादे मुहतरम मैं झूठ बोलने से तबअन नफरत करता हू फी अल वाक़्या मैं सिर्फ 8मसाइल ही हासिल कर सका हजरत शफीक ने फरमाया अच्छा तो वोह कौन से 8 मसाइल हैँ जरा मैं भी सुनु,


हजरत हातिम ने अर्ज की पहला मसला ये है कि मैंने लोगों को देखा कि एक शख्स किसी खास सै को मेहबूब रखता है जो तादमे मुर्ग उसके साथ रहती है जब उसका रिश्ता हयात मुनकाते हो जाता है तो वोह अपनी मेहबूब से जुदा होता है लेकिन मैंने हन्नात को अपना मेहबूब बना लिया जो मरने के बाद भी मेरे साथ रहेगी,


दूसरा मसला ये है कि मैंने अपने नफ़्स के खुवाहिसात पर काबू पाने की आदत डाली यहाँ तक कि वोह हक ताला की इताअत मे राजी हो गया,


तीसरा मसला ये है कि मैंने लोगों को देखा कि वोह एक दूसरे की हालत देखकर हसद करते हैँ चुनानचे मैंने इस बारे मे हक ताला से रेहनुमाई चाही तो उसके कलाम मे ये पाया, हम ने तक्सीम किया है लोगों मे उनकी जरूरयाते मुआश को, इस हुक्मे इलाही को मैंने जहन नशीन कर लिया और हसद से यक्सर किनारा कश हो गया जब किस्मत अल्लाह के यहाँ से है तो फिर खल्क से अदावत कैसी?


चौथा मसला ये है कि मैंने हर शख्स को देखा कि वोह किसी ना किसी चीज पर भरोसा करता है कोई माल पर भरोसा करता है कोई जमीन पर कोई तिजारत पर कोई हिज्र पर कोई सेहते बदनी पर लेकिन जब मैंने अल्लाह का कलाम देखा तो उसमे ये पाया, जो अल्लाह ताला पर भरोसा करता है अल्लाह ताला उसके लिये काफी है,


पांचवा मसला ये है कि मैंने लोगों को देखा कि वोह अपने हस्ब वा नस्ब माल वा दौलत और जाह वा मुत्सिब पर नाजा हैँ मैंने उन चीज़ों पर गौर किया तो बेकार मालूम हुऐ कियोकि अल्लाह ताला ने फरमाया है अल्लाह ताला के नजदीक सबसे बेहतर वोह है जो जियादा परहेजगार है चुनानचे मैंने तकवा इख़्तियार किया कि हक ताला के नजदीक बेहतर करार पाऊ,


छटा मसला ये है कि मैंने लोगों को देखा कि हर शख्स रोटी के एक टुकड़े के लिये अपने नफ़्स को जलील करता है और ऐसे ऐसे काम कर गुजरता है जो ना जायज हैँ हालांकि अल्लाह ताला का वाजेह इरशाद है कि कोई जानदार नहीं जिसका रिज्क अल्लाह ताला के जिम्मे ना हो, मैंने ये यकीन करके की मैं भी उस मखलूक मे शामिल हू जिसका रिज्क अल्लाह ताला के जिम्मे है हुसुले रिज्क के लिये इधर उधर दौड़ना भागना तर्क कर दिया और हक ताला के हुकूक अदा करने के लिये अपने आप को वक्फ कर दिया,


सातवां मसला ये है कि मैंने लोगों को देखा कि जिस शख्स के पास कोई कीमती चीज है वोह उसको संभाल संभाल कर रखता है और उम्र भर उसकी हिफाजत करता है लेकिन जब मैंने क्लामे अल्लाह को देखा तो उसमे ये पाया, तुम्हारे पास जो कुछ है वोह सब खतम हो जायेगा और जो अल्लाह ताला के पास है वोह बाकी रहेगा पस अपनी दानिस्त मे मैंने जो चीज को कीमती पाया उसको अल्लाह ताला की तरफ फेर दिया ताकि उसके पास मौजूद रहे,


आठवा मसला ये है कि मैंने लोगों को देखा कि वोह जमीन पर फसाद बरपा करते हैँ और एक दूसरे का गला काटते हैँ मैंने क्लामे इलाही की तरफ रुजु किया तो उसमे ये पाया, शैतान तुम्हारा दुश्मन है उसको दुश्मन शमझो वोह अपने गिरोह को उसकी तरफ बुलाता है ताकि दोजखी हो जाये, चुनानचे मैंने सिर्फ शैतान को अपना दुश्मन समझ लिया और बाकी सब मखलूक की अदावत तर्क करदी,


हजरत शफीक बलखी ने ये सुनकर फरमाया अये हातिम अल्लाह तुझपर फजल करे मैंने तमाम क़ुतुब पर गौर किया तो उन सब की असल यहि 8मसले हैँ दूसरे सब मसाइल इन्ही 8मसलों की साखे हैँ

Islamic stories

Hindi stories 

Rate This Article

Thanks for reading: हातिम बिन असम और उनके मुर्शिद hatim bin asam, Sorry, my Hindi is bad:)

Getting Info...

एक टिप्पणी भेजें

Cookie Consent
We serve cookies on this site to analyze traffic, remember your preferences, and optimize your experience.
Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.