हजरत जुनेद और मुरीद का वाक़्या Hazrat Juned Aur Murid Ka Waqya
एक मुरीद आपसे कबीदा खातिर हो गया और समझा कि उसे भी मुकाम हासिल हो गया है और वोह शैख तरीकत का जरुरत मंद नहीं रहा एक रोज वोह बा गर्ज इम्तेहान आया जुनेद को उसकी कलबी कैफियत से आगाही हुई उसने कोई सवाल पूछा आपने कहा नफ़ती जवाब चाहते हो या मानवी? मुरीद ने कहा दोनो फरमाया नफ़ती जवाब तो ये है कि अगर तूने अपना इम्तेहान किया होता तो मेरा इम्तेहान करने यहाँ ना आता मानवी जवाब ये है कि मैंने तुझे विलायत से ख़ारिज किया मुरीद का चेहरा सियाह हो गया और उसका सुकूने दिल लुट गया तौबा मे मशगूल हुआ और लगू बातों से परहेज करने लगा जुनेद ने फरमाया कि तुझे ये खबर नहीं कि औलिया वाक्फे इसरार होते हैँ और तू उनके मुकाबले की ताब नहीं रखता फिर उस पर दम किया उसे अपनी मुराद हासिल हुई वोह मशाइख के काम मे नसरफ से दस्तबरदार हुआ और तौबा की,
हजरत जुनेद फरमाते हैँ कि इखलास मैंने एक हजाम से सीखा मक्का मुआज्जमा मे एक हजाम एक शख्स के बाल दुरुस्त कर रहा था मैंने कहा की अल्लाह ताला की राह पर मेरे बाल दुरुस्त करदो हजाम ने उस आदमी को जिसकी वोह हजामत बना रहा था कहा की तुम जरा अलैदाह हो जाओ जब अल्लाह का नाम आगया तो सबसे पहले अल्लाह का काम करना चाहये फिर मुझको बिठा कर पहले मेरे सर को बोसा दिया फिर मेरी हजामत करके एक कागज दिया जिसमे चाँदी के टुकड़े थे और कहा इसको अपनी हाजतों मे सर्फ करो उस दिन से मैंने अहेद किया कि अव्वल जो फ़तू मुझे होगी तो उसी हजाम को दूंगा चुनानचे कुछ अरसा बाद बसरा से असरफियों की एक थैली मेरे पास आई वोह थैली लेकर मैं हजाम के पास गया उसने पूछा ये किया है? मैंने अपनी नियत और वादा का जिक्र किया उसने कहा मर्दे खुदा शर्म नहीं आती अल्लाह ताला के नाम पर काम करने के एवज मुझको मुआवजा दे रहे हो,
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Thanks for reading: हजरत जुनेद और मुरीद का वाक़्या Hazrat Juned Aur Murid Ka Waqya, Sorry, my Hindi is bad:)