हातिम बिन असम और काजी मोहम्मद बिन मकातिल hindi stories

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 हातिम बिन असम और काजी मोहम्मद बिन मकातिल hindi stories

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एक मर्तबा काजी मोहम्मद बिन मुकातिल बीमार हो गये हज़रत हातिम बिन असम उन्हीं के सहर गये हुऐ थे उनको खबर हुई तो वोह सुन्नते नबवी के पैरवी मे काजी साहब की इयादत को गये उनकी क़याम गाह के सामने पहुचे तो देखा कि एक अलीशान महल के सामने खड़े हैँ जिसका दरवाजा बहुत बुलंद वा बाला है और उसके पीछे एक फ्राख देवढ़ी है हातिम हैरान होकर बोले अल्लाहु अकबर एक आलिम के दरवाजे का हाल? इजाजत मिलने पर मकान के अन्दर दाखिल हुऐ तो देखा कि एक निहायत खूबसूरत बाग है जिसमे जा बजा पानी के फववारे चल रहे हैँ नोकर चाकर इधर उधर दौड़ते फिरते हैँ मकान के हर कमरे के सामने कीमती परदे लटक रहे हैँ हातिम की हैरत मे लम्हा बा लम्हा इजाफा होता जा रहा था जब वोह काजी साहब के कमरे मे दाखिल हुऐ तो देखा कि वोह एक मुकल्लिफ गधे पर आराम फरमा हैँ हातिम को देख कर मसन्द पर बैठ गये और हातिम से कहा तसरीफ रखिये,


लेकिन हातिम ने सुनी अनसुनी करदी और खड़े रहे काजी साहब ने बैठने पर इसरार किया लेकिन वोह इंकार करते रहे आखिर काजी साहब ने पूछा किया आप किसी जरुरत से तसरीफ लाये हैँ?

बोले हाँ

काजी साहब ने कहा तो फरमाइये मैं आपकी किया खिदमत कर सकता हु?

हातिम ने कहा एक मसला पूछना चाहता हूँ

काजी साहब ने कहा पूछिए

Hatim: आपने इल्म किन लोगों से हासिल किया ?

काजी साहब: बड़े मुअतबर और फाजिल उस्तादजा थे

हातिम : आपके उस्तादजा ने किस्से इल्म हासिल किया था?

काजी साहब: रसूलूल्लाह सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम के सहाबा कराम(रजि)से

हातिम: रसूलूल्लाह सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम के पास इल्म कैसे आया था ?

काजी साहब: अल्लाह ताला ने जिबराइल अलैहिस्सलाम के जरिये आपको दिया था

हातिम: तो मैं आपसे ये पूछना चाहता हूँ कि जो आपके पास जखिरा इल्म है ये वही है ना जिसे आपके उस्तादजा ने सहाबा कराम से हासिल किया और सहाबा कराम ने नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम से हासिल किया और हुजूर ने जिबराइल अलैहिस्सलाम के जरिये अल्लाह ताला से हासिल किया किया उसमे कहीं ये भी खबर दी गई है कि अल्लाह ताला के नजदीक उसी का दर्जा बुलंद होगा जिसका आलीशान मकान हो और उसमे हर किस्म का सामान ऐश मौजूद हो काजी साहब नहीं नहीं मैंने तो ऐसी बात नहीं सुनी है और ना पढ़ी है,


हातिम :अच्छा तो फिर आपको इसका इल्म भी है या नहीं जो लोग दुनिया की लज्जत वा आसाइश से रुख फेर कर आख़िरत के लिये जादे राह इकठ्ठा करने मे मशगूल रहेंगे और गुरबा वा मसाकीन से जियादा मोहब्बत करेंगे और हर वक़्त आइंदा जिन्दगी को पेशे नजर रखेंगे खुदा के नजदीक उन्हीं का दर्जा बुलंद होगा इसके साथ ही हातिम को जलाल आगया और वोह पुरजोश लम्हा मे बोले आपने अपने आपको किन लोगों से जिन्दगी से मूतमाइन कर रखा है सर्वरे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम की हयाते मुबारक से हुजूर की सहाबा की जिन्दगी से सलहाये उम्मत की जिन्दगी से या फिरौन वा हामान के अंदाज की जिन्दगी से आपके कल्ब ने इतमेनान पाया है?


काजी साहब हजरत हातिम की तकरीर सुन रहे थे और उनपर एक रंग लर्जा आता था एक जाता था और फर्त मदामत से उनकी आँखों से टप टप आंसू गिर रहे थे जब हातिम ने तकरीर करते करते फरमाया कि अये उलमाये सू, तुम जैसे लोगों को जब एक जाहिल दुनिया दार मुसलमान देखता है तो कहता है कि उलमा जब इस हाल मे हैँ तो मेरा हाल उनसे बुरा नहीं, तो काजी साहब के हाथ से दामने सब्र वा नब्त छूट गया और वोह जार जार रोने लगे पहले ही बीमार थे अब बीमारी मे इजाफा हो गया इधर हातिम ने तकरीर खतम की और उनको उसी हाल मे छोड़ कर घर से बाहर निकल आये,


काजी मोहम्मद बिन मकातिल सेहत याब हुऐ तो उनकी तबियत मे इंकलाब आपकड़ा था कुछ अरसा बाद वोह अपने अहेद से इस्तगना देकर मक्का मुअज्जमा चले गये और निहायत सादगी से जिन्दगी गुजारने लगे यहाँ तक कि मक्का मुअज्जमा ही मे उन्होंने वफ़ात पाई,

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Thanks for reading: हातिम बिन असम और काजी मोहम्मद बिन मकातिल hindi stories, Sorry, my Hindi is bad:)

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