हजरत सहल की करामत Karamat Auliya

Islamic stories Islamic waqya Sufi muslim Ahle bait Auliya Sufi Hindi stories हजरत सहल बिन अब्दुल्लाह तस्त्री की करामत Hazrat Sahel Bin Abdullah
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 हजरत सहल बिन अब्दुल्लाह तस्त्री की करामत

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नमाजे जुमा से कब्ल कोई बुजुर्ग मुलाकात के लिये आये तो देखा कि आपके नजदीक एक सांप कुंडली मारे हुऐ बैठा है और जब वोह बुजुर्ग इजाजत लेकर करीब पहुचे तो फरमाया कि जो हकीकते आसमान से ना वाकिफ होता है वही जमीन की चीजों से खौफ खाता है फिर आपने उन बुजुर्ग से पूछा कि नमाज जुमा के लिये किया ख्याल है? उन्होंने कहा मस्जिद जामा तो यहाँ से 24 घंटे की मुसाफत के फासले पर है ये सुनकर आपने उनका हाथ पकड़ा और चस्मे जदन मे मस्जिद के अन्दर दाखिल हो गये और नमाज के बाद लोगों पर नजर डालते हुऐ फरमाया कि मुख्लिस साहबे ईमान तो बहुत कलील हैँ अल बत्ता कलमा गो बहुत जियादा हैँ,


हज़रत सहल की दुआ का असर Hazrat Sahel ki Dua Ka Asar


उमर वेस एक मर्तबा ऐसा अलील हुआ कि अतबा ने जवाब दे दिया चुनानचे उसने आपको बुलाकर दुआ की दरखास्त की तो आपने फरमाया कि दुआ उसी के हक मे असर अंदाज होती है हो ताइब हो चुका हो लेहाजा पहले तुम तौबा करके कैदीयो को रिहा करदो और जब उसने हुक्म की तामील की तो आपने दुआ की कि अये अल्लाह जिस तरह तूने अपनी ना फरमानी की जिल्लत इसको अता की उसी तरह मेरी इबादत की अजमत इसे दिखा दे ये कहते ही वोह तंदुरुस्त होकर खड़ा हो गया और बहुत सी दौलत बतौरे नजराना पेश करनी चाही लेकिन आपने इंकार कर दिया फिर किसी मुरीद ने रास्ता मे अर्ज किया कि अगर आप नजराना कबूल कर लेते तो मैं कर्ज से सबक दोश हो जाता आपने फरमाया कि अगर तुझे जर देखना है तो सामने देख और जब उसने नजर उठाई तो हर सिम्ट सोना ही सोना नजर आया और आपने फरमाया कि खुदा ने जिसको ये मर्तबा आता किया हो उसको दौलत की तमन्ना कैसे हो सकती है


हजरत सहल और एक खुदा रशीदा औरत Hazrat Sahel Aur Ek Khuda Rashida Aurat


एक मर्तबा बयाबान मे आपको एक बहुत ही बदहाल बुढ़िया मिली चुनानचे जब आपने उसकी इयानत करनी चाही तो उसने हाथ उठाकर मुठ्ठी बन्द करली और जब मुठ्ठी खोली तो उसमे सोना था फिर उसने आपसे कहा कि तुम तो जेब से रकम निकालते हो लेकिन मुझे गैब से मिलती है और ये कहकर अचानक गायब हो गई और जब आपने बैतूल्लाह पहुंच कर तवाफ करना शुरू किया तो दौराने तवाफ देखा कि काबा खुद उस बुढ़िया का त्वाफ कर रहा है और जब आप उसके नजदीक हुऐ तो उसने कहा कि जो इख़्तियारी तौर पर यहाँ पहुंचता है उसके लिये त्वाफा जरुरी है लेकिन जो अजतरारी आलम मे आते हैँ काबा खुद उनका तवाफ करता है

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Thanks for reading: हजरत सहल की करामत Karamat Auliya, Sorry, my Hindi is bad:)

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