हजरत सहल और एक रईस जादी sahel aur rais jadi
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हजरत सहल तबाबत का पेशा करते थे जब उन्होंने फकीरी इख़्तियार किया तो एक अरसा तक रियाजत वा मुजाहदात मे मशगूल रहे यहाँ तक कि उनको कशरत से रवैयाए सालेह होने लगे और एक दो मर्तबा किसी मुआमले मे कशफ़ भी हुआ हजरत सहल के दिल मे ये ख्याल गुजरा कि वोह मर्तबा विलायत पर फायज हो गये उनका ये ख्याल अहिश्ता अहिश्ता तकब्बुर की हद तक पहुंच गया अल्लाह ताला को अपने खास बन्दों का गुमराह होना पसंद नहीं है चुनानचे हजरत सहल के दिल से विलायत का जाअम दूर करने के लिये उनको इलहाम किया गया कि तुम खुरासान जाओ वहाँ के एक रईस की बेटी जिनून मे मुबतिला है उसका इलाज करो हजरत सहल ये इलहाम होते ही खुरासान के लिये चल पड़े खुरासान पहुंच कर उन्होंने लोगों से उस रईस का पता दरियाफ्ट किया तो उन्होंने एक अलीशान महल के तरफ इशारा किया हजरत सहल महल की तरफ गये तो देखा कि वसीय वा आरीज कसर है जिसके सामने एक दिलकश बाग है और उसमे कुछ आदमी गुल गस्त मे मसरूफ हैँ हजरत सहल ने उनसे कहा कि मैं तबीब हूँ और उस रईस की दीवानी बेटी का इलाज करना चाहता हूँ अगर तुम उस रईस से मेरा ताररुफ करवा दो तो तुम्हारा एहसान होगा उन मेसे एक शख्स ने गौर से हजरत सहल की तरफ देखा और कहा मियां मालूम होता है तुम्हारा दिमाग़ चल गया है आखिर मौत को खुद दावत देने मे किया तुक है जरा उस कसर की दिवार से अन्दर झाक कर तो देखो हज़रत सहल ने उस दिवार की पल्ली तरफ नज़र डाली तो बिसयों कटे हुऐ सर नज़र आये वापस आकर उन लोगों से पूछा कि ये किया मुआमला है उन्होंने कहा कि तुझसे पहले कई तबीब आये जिन्होंने ये दावा किया कि वोह उस लड़की का इलाज करेंगे रईस ने इस सर्त पर उनको अपनी बेटी का इलाज करने की इजाजत दी कि अगर इलाज कामयाब ना हुआ तो उनका सर कलम करदिया जायेगा चुनानचे ये कटे हुऐ सर उन्हीं तबीबो के हैँ जो अपने तमाम नुस्खे आजमाने के बावजूद इलाज मे नाकाम रहे अगर तुमभी अपना सर कटवाना चाहते होतो हमें ताररुफ कराने मे कोई अजर नहीं हजरत सहल ने कहा कि मुझे सब कुछ मंजूर है बस उस रईस के पास मुझे ले चलो चुनानचे वोह लोग हजरत सहल को तसर के अन्दर ले गये और रईस से उनका ताररुफ कराया रईस उसवक़्त कुछ आदमियों के साथ बात कर रहा था उसने हजरत सहल को इशारा किया कि बैठ जाये,
जब वोह आदमी चले गये तो रईस ने हजरत सहल से पूछा कि आप यहाँ किस मकसद के लिये आये हैँ? इसके जवाब मे हजरत सहल ने कहा मैंने सुना है कि तुम्हारी एक लड़की है जो जूनून के आरजा मे मुबतिला है मैं उसके इलाज के लिये आया हूँ रईस ने कहा कि पहले मेरे महल की दिवार के अन्दर तो नजर डालो उसपर हजरत सहल ने कहा कि मैंने सब कुछ देख लिया है रईस उनका जवाब सुनकर बहुत हैरान हुआ और समझा कि ये कोई बड़ा बुलंद पाया तबीब है जो पहले तबीबो का हश्र देख कर भी इलाज पर उतरा हुआ है चुनानचे उसने जनान खाने मे पैगाम भेजा कि शहजादी को तैयार करें एक तबीब उसे देखने आया है थोड़ी देर के बाद आवाज आई कि लड़की तबीब से मिलने के लिये तैयार है चुनानचे रईस ने हजरत को अपने साथ लिया और हरम सरा मे दाखिल हुआ जब दोनो लड़की के कमरे के करीब पहुचे तो लड़की ने कनीज को आवाज दी और कहा कि मेरा नकाब लाओ ताकि मैं पर्दा करलु रईस को बड़ी हैरत हुई कि इससे पहले कितने ही तबीब आये लेकिन लड़की ने किसी से पर्दा नहीं किया इस तबीब मे मालूम नहीं किया बात है कि लड़की नकाब की जरुरत महसूस कर रही है वोह अपने ख्यालात को जब्त ना कर सका और लड़की के सामने उनका इजहार कर ही दिया लड़की ने जवाब दिया कि वोह मर्द नहीं थे मर्द ये है जवाब आया रईस लड़की का जवाब सुनकर सट पटा गया उसकी समझ मे कुछ भी ना आया,
हजरत सहल लड़की के करीब गये और सलाम अलैकुम कहा रईस जादी ने सलाम का जवाब देते हुऐ सपरे खास का लफ्ज इस्तेमाल किया इसपर हजरत सहल ने कहा अये लड़की तूने कैसे समझा है कि मैं सपरे खास हूँ इसपर रईस जादी ने कहा जिसने तुमको यहाँ भेजा उसने मुझको भी खबर कर दिया है तुम्हे अल्लाह ने ऐसी नियामत से नवाजा है जिससे रूह को तसकीन मिलती है इसी वजा से मैं खजालत महसूस कर रही हूँ रईस ये गुफ्तगू सुनकर आलमे तहीर मे खो गया और साकित वा सामत देखने लगा कि अब किया होता है उधर हजरत सहल समझ गये कि लड़की को जूनून नहीं बल्कि कुछ और शै है उन्होंने क़ुरआन हकीम की एक आयेत पढ़ी कि शायद इसमें इलाज हो और लड़की को सुकून मयस्सर हो जाये रईस जादी ने जैसे ही ये आयेत सुनी गश खाकर गिर पड़ी थोड़ी देर बाद जब होश मे आई तो हजरत सहल ने उससे मुख़ातिब होकर कहा कि आ तुझे सर जमीन इस्लाम मे ले जाऊ,
रईस जादी: सर जमीन इस्लाम मे किया शै है जो यहाँ नहीं
हजरत सहल : अर्जे इस्लाम मे काबा मुआज्जम है
रईस जादी : नादान अगर तू काबा को देखे तो उसे पहचान लेगा
हजरत सहल हाँ:
रईस जादी: मेरे सर के ऊपर निगाह करो
हजरत सहल ने ऊपर नजर उठाई तो एक अजीब मनजर दिखाई दिया उनकी नजर के सामने काबा तुल्लाह मौजूद था जो लड़की के सर के गिर्द तवाफ करता मालूम होता था हजरत सहल ये नजारा देखकर शशर्द रह गये और फिर बेहोश हो कर गिर पड़े थोड़ी देर के बाद होश मे आये तो रईस जादी से पूछा कि तूने ये मर्तबा कैसे हासिल किया,
रईस जादी: नादान तुम्हे मालूम होना चाहिए कि जो शख्स अपने पाओं के साथ काबा जाता है वोह काबा का त्वाफ करता है और जो अपने दिल के साथ काबा जाता है काबा उसका तवाफ करता है और तुझे ये भी जान लेना चाहिए कि तू अभी खुदा से एक कदम दूर है अगर तुम्हारी खुवाहिश होतो मैं तुम्हारे लिये इस राज को फास कर देती हूँ, जल्द बताओ जानना चाहते हो या नहीं,
हजरत सहल: मेरी जान तुमपर कुर्बान जल्द कहो वर्ना मैं दीवाना हो जाऊंगा,
रईस जादी: जिसने अपने नफ़्स को पहचान लिया उसने अपने रब को पहचान लिया( अल क़ुरआन)
रईस जादी के जवाब सुनकर हज़रत सहल तस्तरी के सारे हिजाबात दूर हो गये और उन्हें मालूम हो गया कि इस दुनिया मे अल्लाह के बहुत से ऐसे बन्दे हैँ जो उनसे कहीं बुलंद मर्तबा पर फायज हैँ चुनानचे उनके दिल से अपनी विलायत और बड़ाई का ख्याल यक्सर जाता रहा इस तरह अल्लाह ताला ने इस वाक़्या के जरिये उनको तंबिया करके गुमराह होने से बचा लिया,
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Thanks for reading: हजरत सहल और एक रईस जादी sahel aur rais jadi, Sorry, my Hindi is bad:)