हजरत सिर्री सकती और एक नौजवान का वाक़्या wali Allah Ka Waqia
Hindi StoriesWali allah waqia
हज़रत सिर्री सकती फरमाते हैँ कि एक रोज मदिना मुनव्वरा की जामा मस्जिद मे बैठा हुआ मैं कुछ बातें कर रहा था कि एक नौजवान खूबसूरत लिबास फाखरा पहने हुऐ आया और साथ मे उसके कुछ यार दोस्त थे मैंने वाज कहा और वाज मे ये भी बयान किया कि बड़े ताज्जुब और अफसोस की बात है कि जईफ कवि की ना फरमानी करता है ये सुनते ही उसका रंग जर्द हो गया और उसी वक़्त वोह चला गया फिर अगले रोज आकर अव्वल सलाम अलैक की और फिर दो रकात नफल पढ़कर मेरी मजलिश मे बैठ गया और कहने लगा कि अये सिर्री मैंने कल तुमसे ये सुना था कि तुमने कहा था कि जईफ कवि की ना फरमानी करता है तो उसका मतलब किया है? मैंने कहा मौला (यानि खुदा वन्द करीम ) से जियादा कोई कवि नहीं और बन्दे से जियादा कोई जईफ नहीं लेकिन ये फिर भी उसकी ना फरमानी किये जाता है ये सुनकर वोह उस रोज तो चला गया अगले रोज आया तो फकत दो सफ़ेद कपडे पहने हुऐ था दोस्तों मे से भी कोई साथ ना था मुझसे पूछा कि अल्लाह के पास पहुंचने का कौनसा रास्ता है?
मैंने कहा कि अगर तुम इबादत करना चाहते हो तो दिन को रोजे रखो और रातों को नमाज पढ़ो और अगर महज अल्लाह को चाहते होतो उसके सिवा हर चीज को छोड़ दो और मस्जिदों या वीरान जघा या कब्रिस्तान मे रहा करो चुनानचे वोह ये कहता हुआ खड़ा हो गया कि कसम है खुदा की मैं मुश्किल ही से रास्ता को तैं करूँगा थोड़े दिनों के बाद मेरे पास चंद लड़के आये और पूछने लगे अहमद यजीद कातिब को किया हो गया मैंने कहा मैं तो उसको जानता भी नहीं हूँ हाँ एक ऐसी ऐसी सिफ़त का आदमी मेरे पास आया था (ना मालूम कौन था ) और ऐसी ऐसी चंद बातें मुझसे पूछकर चला गया अब उसका हाल मुझे भी नहीं मालूम (कि कहाँ है )कहा अच्छा हम तुम्हे अल्लाह की कसम दे जाते हैँ कि जब तुम्हे उसका हाल मालूम हो हमें जरूर खबर कर देना उसके बाद एक साल तक मुझे उसकी बिलकुल खबर ना लगी एक रोज इशा की नमाज के बाद मैं अपने घरमे बैठा हुआ था कि यकाएक किसी ने दरवाजा की कुण्डी खट खटाई मैंने अन्दर आने के लिये पुकारा तो वही जवान आ निकला और मेरी पेशानी पर बोसा देकर कहा कि अये सिर्री जैसा अल्लाह ने दुनिया की गुलामी से मुझे आज़ाद कर दिया है ऐसा ही हमें दोजख की आग से हमें आजाद करदे,
मैंने उसे देखकर अपने एक दोस्त को इशारा कर दिया कि अब उनके घर जाकर उनको खबर कर आओ( कि तुम्हारा आदमी आगया है ) वोह उसी वक़्त गया उसको जाते ही उसकी बीवी बाल बच्चों को लिये हुऐ आई उसका एक बच्चा जेवर वगैरह पहने हुऐ था उस बच्चा को उसकी गोद मे डालकर कहने लगी कि अये मियां तुमने अपने जीते जी हि मुझे रांड बना दिया और इन बच्चों को भी यतीम कर दिया उस जवान ने मेरी तरफ देखा और कहा कि अये सिर्री तुमने ये किया बे वफाई की फिर बीवी बच्चों से कहा कि कसम है खुदा की बेशक़ तुम मेरे दिलके फल और मेरे दिली मेहबूब और पियारे हो मेरी औलाद मुझे तमाम मखलूक से जियादा पियारी है लेकिन किया करू इस सिर्री रजि अल्लाहु ताला अन्ह ने मुझसे कहा कि अगर तुम अल्लाह को राजी रखना चाहते होतो उसके सिवा तमाम अश्या से कते ताल्लुक करलो ये कहकर बच्चा पर जो जेवर वगैरह था उतार लिया और बीवी से कहा कि ये जेवर वगैरह तो भूखे नंगो को देदो और मेरी कमली मेसे थोड़ा सा फाड़ कर इसके बदन पर डाल दो बीवी ने कहा कि अल्लाह की कसम मैं अपने बच्चा को ऐसी हालत मे देखना नहीं चाहती और बच्चा को उससे छीन लिया,
जब जवान ने देखा कि उसकी बीवी ने मुझसे मुँह चढ़ा लिया है फ़ौरन खड़ा होगया और कहने लगा कि इस रात को तुमने मुझे अपने अल्लाह की याद भी ना करने दी फिर उसी वक़्त निकल कर चल दिया और घरमे रोने पीटने का शौर मच गया फिर उसकी बीवी (जाते हुऐ )कह गई कि अबकी फिर अये या तुम कहीं खबर सुनो तो मुझे जरूर इत्तेला कर देना मैंने कहा इंशाअल्लाह ताला (अगर कहीं मालूम हुआ तो खबर करा दूंगा) एक अरसा बाद दरवाजे के पास एक बुढ़िया मेरे पास आई और कहा अये सिर्री मुकाम शोनेज ये मैं एक लड़का हुजूर को पूछता था मैं गया तो वही जवान पड़ा हुआ था सर के नीचे एक कच्ची ईंट रखी हुई थी मैंने सलाम अलैक की सुनकर फ़ौरन आँखे खोलदी और कहने लगा अये सिर्री तुम्हारा किया ख्याल है कहा (अल्लाह के यहाँ ) मेरी खताये मुआफ़ हो जाएंगी मैंने कहा हाँ कहा किया मेरे जैसो की भी मगफिरत हो जाती है? मैंने कहा हाँ कहा मैं तो गुनाहों मे गर्क हूँ मैंने कहा वोह गर्क होने वालों को भी बचा देता है कहा मेरे जिम्मा बहुत जुल्म और लोगों के भी हक हैँ मैंने कहा हदीष शरीफ मे ये आया है कि खुद जिसने तौबा करली कयामत के दिन उसे और उसके हक दारों को बुलाया जायेगा और उन्हें ये हुक्म होगा कि तुम उसे छोड़ दो और उसकी तरफ से अल्लाह मुआवजा देगा फिर उसने कहा अये सिर्री सकती मेरे पास कुछ गुठलीयों की चंद दिरहम हैँ जिस वक़्त मैं मर जाऊ तो जिस चीज की मेरे वास्ते जरुरत हो उसी मेसे खरीद कर कफन दफ़न कर देना,
और मेरे घर वालों को खबर ना करना वर्ना वोह हराम की कमाई मेसे मेरा कफन खरीद कर मेरा कफन बदल देंगे मैं उसके पास थोड़ी देर बैठा रहा उसने आँखे खोले रखे और ये पढ़ा, अमल करने वालों के लिये ऐसे हि अमल के अजर करने चाहये, फिर मर गया मैंने वोह दिरहम लिये और जिस जिस चीज की जरुरत थी खरीदने गया अभी वापस आरहा था मैंने देखा कि लोग घबराये आरहे हैँ मैंने कहा खैर तो है? कहा एक वली अल्लाह का इन्तेकाल हो गया है हम उसकी जनाजे की नमाज पढ़ने जा रहे हैँ खैर मैंने आकर उसे ग़ुस्ल दिया और हम सब ने नमाज पढ़कर दफ़न कर दिया एक मुद्दत दराज के बाद उसके घर वाले खबर लेने को मेरे पास आये मैंने उसका मरना उनपर जाहिर कर दिया उसी वक़्त उसकी बीवी रोने पीटने लगी मैंने उसका सारा हाल उनसे बयान किया कहा खैर मुझे उसकी कबर दिखला दो उसपर मुझे अनदेसा हुआ कि कहीं अब ये उसका कफन ना बदल दे(और उसपर भी ये बात जाहिर करदी ) उसने कहा वल्लाह ऐसा नहीं होगा (आप इतमेनान रखे ) खैर मैंने उसे क़ब्र दिखा दी फिर उसने दो गवाह बुलवाये और उनके रूबरु अपनी सब लौडिया आजाद करदी और जमीन वक्फ और माल खैरात कर दिया और अपने मरने तक उस क़ब्र को ना छोड़ा आखिर वहीं इन्तेकाल हो गया,
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Thanks for reading: हजरत सिर्री सकती और एक नौजवान का वाक़्या wali Allah Ka Waqia, Sorry, my Hindi is bad:)