गाजी सरकार को जहर देकर मारने की कोशिश Gazi Sarkar Aur sajish
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जब हजरत सालार शाहू रह० ने काहिलर जीत लिया। और उसका सारा इलाका आपके अधीन हो गया और जीत सुल्तान के आदेशानुसार आपने यहां कयाम किया तो आपने अपने सुपुत्र हजरत मसूद गाजी रह० और बीमी सतरे मुअल्ला को काहिलर बुलाया सैयद सालार मसूद गाजी रह० अपने पिता की आज्ञा पाकर अपने विशेष सैनिक टुकड़ी और वफादार सेवकों के साथ अपने माता को लेकर दूसरे दिन वे काहिलर को रवाना हुये। आप शैर व शिकार के बहुत। शौकीन थे रास्ते में सैर करते शिकार करते और सफर की मुसीबतें झेलते हुए रावल क़स्बा पहुंचे यहां आपको एक बहुत ही खतरनाक साजित का सामना करना पड़ा।
ख्वाजा अहमद इब्ने हसन मेमन्दी जो सुल्तान महमूद गजनवी का खास वजीर था सलतनत के तमाम कामों में उसका बड़ा प्रभाव था वह मन ही मन आपसे जलता था वह समझता था कि इनके रहते हुए शासन में अधिक समय तक टिक पाना मेरे लिए असम्भव है। यही कारण था कि बाप बेटे दोनों के विरूद्ध वजीर और उसके दूसरे संबन्धियों के सीनों में हसद (ईष्या) की ज्वाला धहकने लगी और वोह सदैव आपको हानि पहुंचाने और आपको नीचा दिखाने की फिक्र में रहने लगा । कस्बा रावल का बदनियत वजीर उनके दो साले शिव कर और विष्णु के आधीन था यह दोनों सैयद सालार मसऊद गाजी रह० की बारगाह में आये और उनसे विनती की कि हुजूर कस्बे के अन्दर हमारे गरीब खाने पर चलकर आराम के साथ विश्राम करें। और हमें मेहमान नवाजी का मौका दें हम आपका बड़ा सम्मान करते हैं और आपकी सेवा करना चाहते हैं। किन्तु आपकी दिव्य दृष्टि ने उन दोनों का फरेब पहचान लिया और साथ वहां जाने से इनकार कर दिया।
रात कस्बा रावल से बाहर ही गुजारी और सुबह को काहिलर का रुख किया हजार इन्कार के बावजूद वहां से रवानगी समय उन दोनों ने 2 सौ मन मिठाइयां आपके साथियों के हवाले कर दिया। और कहा की यदि आप इन मिठाइयों को कबूल नहीं करेंगे तो हमारा दिल टूट जायेगा। हजरत सैयद सालार मसऊद गाजी रह० ने उनकी चालें अच्छी तरह समझते थे कि मिठाइयों की आड़ में क्या साजिश रची जा रही है। मसलहतन उन्होंने मिठाइयां कुबूल की और आपने अच्छे अखलाक का प्रदर्शन करते हुए उन्हें रवाना किया उन दोनों के जाने के बाद आपने अपने साथियों को सख्त ताकीद की कि खबरदार मिठाइय को इस जबान पर मत रखें। कस्बा रावल से चलकर जब अगली मन्जिल पर पड़ाव डाला तो मिठाई एक कुत्ते को खिलाई गई कुत्ता फौरन ही मर गया। सारे काफिले वालों पर यह बात खुल गई कि अहमद बिन मेमन्दी उन बदनियत अजीजों ने सैयद सालार मसऊद गाजी रह० के साथ धोखा और फरेब करके कत्ल करने की साजिश की। मगर जिसे अल्लाह रखे उसे कौन चखे। किसी कवि ने ठीक ही कहा है।
फानूस बनके जिसकी हिफाजत हवा करे।
वह शम्मा क्या बुझे जिसे रौशन खुदा करे ।।
इतनी बड़ी खतरनाक साजिश पर प्रतिक्रिया होनी जरूरी थी आपके जानिसारे वफादारों ने गम व गुस्से की लहर दौड़ गई उन सबने यह फैसला किया कि ऐसे गद्दारों के साथ रहम करना और उनको यूंहि छोड़ देना मुनासिब नहीं वह रात लोगों ने बड़ी बेचैनी से गुजारी और सुबह को बदला लेने की भावना से सैयद सालार मसऊद गाजी रह० के साथ लश्कर लेकर रावल पहुंचे शिवकन्द को जब यह सूचना मिली तो वह भी अपनी सेना लेकर युद्ध के मैदान में आ डटा। दोनों ओर की सेनाओं ने जोर दार मुकाबला हुआ बहुत से लोग हताहत हुए। शिवकन्द की हार हुई और उसे गिरफतार करके आपके सामने पेश किया गया। आपने उसे सम्बोधित करते हुए कहा क्यों? शिवकन्द शेर के बच्चे से बाजी गिरी करता है क्या तुझे नहीं पता मैं असद उल्ला का पुत्र हूं। उस वक्त आपकी आयु केवल 10 वर्ष की थी यह उनके युद्ध का पहला अवसर था। जिसे आपने बड़ी बहादुरी व सफलता के साथ अन्जाम दिया। आपकी माता सतरे मुअल्ला ने खुदा का शुक्र अदा किया और अल्लाह के नाम पर खूब सदका खैरात किया। सेना को घोड़े व कपड़े धन दौलत इनाम में दिये गये।
सुल्तानुस्शोहदा ने इस घटना को विस्तार के साथ लिख कर एक एलची के द्वारा सुल्तानर के दरबार में भेजा और स्वयं काहिलर की तरफ कूच किया सुल्तान के पास एक एलची (पत्रवाहक) के पहुंचने के पहले शिवकन्द का भाई युद्ध भूमि से भाग कर गजनी अपने बहनोई वजीर अहमद बिन हसन मेमन्दी के पास पहुंचा और उसके सामने अपनी आप बीती दास्ताने गम से सुल्तान को सूचित किया कि सालार मसऊद ने बे कुसूर हमारे शहर और घर बार को लूट लिया। शिकन्द और उसकी पत्नी व बेटों को कैद कर लिया। यह समाचार सुनकर सुल्तान असमन्जस्य में पड़ गया। उसकी समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाये। इसी बीच आपका एलथी दरबार में पहुंच गया और सैयद सालार मसऊद गाजी रह° द्वारा लिखा हुआ पत्र पेश किया जब सुल्तान हकीकत से आगाह हुआ तो उसकी आंखे खुल गयीं सख्त अफसोस किया सुल्तान ने सालार मसऊद को शिवकन्द के भाई द्वारा दी गयी जानकारी के बारे में सूचित किया और यह भी लिखा कि आपके पत्र से मेरी सारी गलत फहमी दूर हो गयीं गद्दारों द्वारा रची गयी साजिश से मुझे बड़ा दुख पहुंचा अब जब शिवकन्द और उसके स्त्रिी व बच्चों को लेकर आओगे तो इसका न्याय होगा सुल्तान का यह पत्र आपको काहिलर पहुंचने से पहले रास्ते में मिला आप बेहद खुश हुए उधर हसन मेमन्दी के घर में शोक छा गया क्योंकि उसकी चाल उल्टी पड़ गयी और वह जो फूट डालना चाहता था उसमें कामयाब न हो सका।
हजरत सालार शाहू रह० अपने इस नेक और बहादुर पुत्र से मुलाकात के लिए बेचैन थे और चाहते थे कि जल्दी मुलाकात हो जाये। जब लगभग एक कोस का फासला रह गया तो पिता ने खुद आगे बढ़ कर अपने बेटे से रास्ते में मुलाकात की बेटे की नजर जैसे ही अपने पिता पर पड़ी तो फौरन ही अपने घोड़े से उतर कर और अपने पिता के पैर छुए। सालार शाहू ने भी घोड़े से उतर कर पुत्र को गले लगाया था। चूमा और उसे युवराज घोषित किया। शाही वस्त्र पहनाये हीरे मोतियों से जड़ी टोपी सर पर रखी। सोने का पटका कमर पर बांधा और एक विशेष ईराकी घोड़ा सवारी के लिए भेंट किया। फिर पिता और पुत्र दोनों सवार होकर घर की और रवाना हुए। रास्ते मे चलते हुए। लोगों की निगाहें उन पर पड़ती उनकी सुन्दरता पर मुग्ध हो जाते । लोगों को ऐसा प्रतीत होता था कि जैसे ईसाई धर्म प्रर्वतक हजरत ईत्ता अलै० आकाश से धरती पर उत्तर आये है अथवा मोहम्मद मेहन्दी जिनका संसार के अन्तिम दिनों में जहूर होना है कहीं यह वही तो नहीं। आखिर ऐसे सुन्दर चहरे वाले इस लड़के का सारा जहां दीवाना है। घर पहुंच कर कई दिनों तक खुशियां मनाई गई एवं खैरात बांटी गई और सेना को पुरस्कृत किया गया।
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Thanks for reading: गाजी सरकार को जहर देकर मारने की कोशिश Gazi Sarkar Aur sajish, Sorry, my Hindi is bad:)