महमूद गजनवी और सोमनाथ मंदिर Mahmud Ghaznavi Battle Somnath Story
Hindi Storiesहजरत सय्यद सालार मसूद गाजी रजि अल्लाह अन्ह के कहिलर पहुंचने के कुछ अरसा बाद हजरत सुल्तान महमूद गजनवी खुरासान की मुहिम सर करके गजनी मे आये तो उन्होंने सिपह सालार लस्कर हजरत सालार साहू अलैहिर्रहमा को एक फरमान लिख कर रवाना किया कि तुम चंद मुअतबर और तजुर्बा कार लोगों को किला कहिलर मे छोड़ कर और फर्जन्द अर्जमंद मसूद को साथ लेकर मेरे पास आ जाओ फरमान शाही के मुताबिक सालार साहू हजरत मसूद गाजी और उनकी वालदा को साथ लेकर गजनी रवाना हो गये हजरत महमूद गजनवी का खुद बयान है कि मैंने सालार साहू की बहादुरी से हिंदुस्तान को फतेह किया और हजरत सालार मसूद गाजी की जवां मरदी से सोमनाथ की जुल्मत मिटाई फतेह सोमनाथ मे हजरत सालार मसूद गाजी की शिरकत के सबब मुख़्तसर हाल नाजरीन के पेश खिदमत है,
सोमनाथ जंग और फतेह Somnath Ki Jung Aur Fateh
कुतुब तारीख मे लिखा है कि एक दिन महमूद गजनवी ने सालार साहू से मशवरा किया कि मेरा इरादा सोमनाथ फतेह करने का है आप किया कहते हैँ ? उन्होंने जवाब दिया बिस्मिल्लाह ज्जाकअल्लाह अल्लाह ताला आपके इरादे को कामयाबीयो की मंजिल से हिमकिनार फरमाये सुल्तान महमूद गजनवी ने सालार साहू को हुकुम दिया कि आप कहिलर तसरीफ ले जायें ताकि वहाँ किसी किस्म का फतूर ना हो सालार साहू सुल्तान के हुकुम से कहिलर चले आये और फर्जन्द मसूद को सुल्तान महमूद की खिदमत मे छोड़ अये-
रोजता अल सिफा मे तहरीर है कि सुल्तान महमूद गजनवी 10 शाबान 415 हिजरी को 30 हजार का लशकरे जर्रार लेकर सोमनाथ आये सब बुतों का सरदार सोमनाथ था साहब हबीब अल सेर का बयान है कि सोमनाथ बुत का नाम है और तारीख मे बुत खाना का नाम सोम और बुत का नाम नाथ आया है और कुतुब ब्रह्मा मे तहरीर है कि इस्लाम से चार हजार साल पहले कृष्ण के जमाने मे ये बुत आया था बहर हाल उसी बुत के नाम से पुरे शहर का नाम सोमनाथ हुआ अल मुख्तसर दरिया के किनारे एक अजीमुशशान मंदिर था जो सोमनाथ का मकान था हिन्दू रात को पूजा करने आते थे इस मंदिर के नीचे एक तहखाना था जिसमे मेहनत रहता था बुत के हाथ मे एक कील लगी थी जिसमे एक डोरी बँधी थी जब वोह मेहनत डोरी हिलाता था तब बुत दुआ वे वास्ते दोनों हाथों को उठाता था जिससे आने वाले हिन्दुओ का ऐतकाद था कि ये हमारे वास्ते भलाई की दुआ कर रहा है हजरत शैख सादी अलैहिर्राह्मा ने इस बुत को तोड़ कर ये कील पाई तो बुस्ता के आठवे बाब मे इस हिकायत को तहरीर फरमा दिया,
दो हजार कसबो का खराज बुत खाना मे आता था ज्वाहरात ग्रा बहा का अम्बार था एक जंजीर दोसो मन पुख्ता सोने को जवाहर बेबहा से मरसा आवेजा और सैकड़ो घंटे लटकते थे दो हजार ब्राह्मण रात व दिन इन को बजाकर पूजा मे सर पटकते थे 500 गाने बजाने वाली औरते और तीन सो मर्द मुलाजिम थे पुजारियों के सर और दाढ़ी मुड़ने के लिये 300 हजाम मौजूद थे और राजाओं की जवान लड़किया नाचने गाने पर मामूर और अनगिनत देव दासिया थी दरियाये गंगा जो शहर सोमनाथ से 600 कोस की दूरी पर है वहाँ से हर रोज ताज़ा पानी आता था जिससे बुत को नहलाते थे,
सुल्तान महमूद गजनवी के बारहवे हमले 415 हिजरी मे जब लशकरे इस्लाम सोमनाथ आया तो एक किला दरियाये अमान के किनारे पाया दरिया किले की फसेल तक मौजे मारता था सब किले से फौज का नजारा करने लगे खौफ व दहसत से बेचैन थे हर एक सोमनाथ के पास जाकर कहता था कि खुदा वन्द सोमनाथ के गजब से सब थोड़ी देर मे गर्क हो जायेंगे ज़िन्दा ना बचने पाएंगे गर्ज कि दूसरे दिन लशकरे गजनवी ने किले के नीचे शाम तक लड़कर रात वही गुजारी सुबह खुद सुल्तान महमूद गाज्याने इस्लाम के साथ सीढ़ी लगा कर किले मे दाखिल हो गया फिर तो हर एक अपनी ज़िन्दगी से ना उम्मीद होकर सोमनाथ की सिल बगल मे दबा कर जार जार रोता था तीसरे दिन बैरम देव नाम के एक राजा ने बे शुमार फौज लाकर सोमनाथ को मदद दी सुल्तान ने घबराकर बाद फतेह सोमनाथ सब माल गनीमत मोहताजो को देने का इरादा किया फिर हजरत शैख अबु अल हसन अल खरकानी रजि अल्लाहू ताला अन्ह का खुरका मुबारक हाथ मे लेकर फतेह की दुआ की और एक हमला किया फ़ौरन एक आवाज रअद की बहुत खौफ नाक आई और ऐसा शख्त अंधेरा छा गया कि राजा का लश्कर अँधेरे मे आपस मे लड़कर 50 हजार से जियादा खतम हो गये बाकी चार हजार ने कश्तीयो पर सवार होकर राहे फरार इख़्तियार किया गाज्याने इस्लाम ने उन्हें भी मारकर फतेह का नगारा बजाया और इस्लाम का फरीरा किले की चोटी पर नस्ब कर दिया,
सोमनाथ के मरातिब को ज्वाल हो गया सोमनाथ की ताईफा रकासाये इस्लाम का दम भरकर कलमा पढ़ने लगी उसी रात को हजरत अबु अल हसन खरकानी ने खुवाब मे फरमाया कि अये महमूद तुमने फतेह सोमनाथ पर बस थोड़ी सी बात पर हमारे खुरके की आबरू पर धब्बा लगा दिया खुदा की कसम अगर पुरे रोये जमीन के हक मे दुआ करता तो खुदाये ताला सबको इस्लाम की दौलत से माला माल फरमा देता, अल मुख्तसर सालार मसूद ने भी इस मुआरके मे बड़े बड़े कारहाये नुमाया अंजाम देकर रब्बे कायनात की खुशनूदी हासिल की और सुल्तान को अपने जौहर दिखलाये फिर सुल्तान मंदिर मे तशरीफ़ ले गये सोमनाथ पर गर्ज लगाकर अपने हाथ से उसका सर फोड़ा और बुत तोड़ कर जमीन मे बोस कर दिया ये बुत खाना गोया कारून का खजाना था जिसकी छप्पन सतून तलाई लइल वजर से मरसा थी जर्रे सुर्ख के अम्बार लगे थे सोमनाथ पत्थर की मूरत थी चांद जैसी सूरत थी जिसकी लम्बाई पांच गज थी जिसमे से दो गज जमीन मे गड़ा था और तीन गज जमीन के ऊपर खड़ा था उसको उखाड़ लिया और गुरदो नवाह के किले पर भी कब्ज़ा कर लिया,
हजरत सुल्तान महमूद गजनवी ने चाहा कि हजरत सालार मसूद को गजनी देकर पहली दारुल सल्तनत बनाये लेकिन आराकेन दौलत ने मशवरा ना दिया गर्जकी तस्लीम नामी शहजादा को नवाह सोमनाथ का हाकिम बना कर मुनासिब खराज बुत प्रस्ती से इंकार और इताअत इस्लाम का वादा लेकर गजनी चले गये,,,
Battle Of Somnath
Mahmud Ghaznavi Battle Somnath Story
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Thanks for reading: महमूद गजनवी और सोमनाथ मंदिर Mahmud Ghaznavi Battle Somnath Story, Sorry, my Hindi is bad:)