सुल्तान सुबुक्तगीन हालाते ज़िन्दगी sabuktagin zindagi life Story
sabuktaginतारीख मे आया है कि इनका ताल्लुक जमाना कदीम से शाही खानदान से था मगर गर्दिश लैल वा निहार ने उसे जर खरीद गुलाम बना दिया था फिक्र मुआश से दो चार ना मुआफिक हालात से परेशान रोजी की तलाश मे घोड़े पर सवार होकर जंगल की तरफ निकल जाता और हिरन वगैरह का शिकार करके अपने पेट की आग बुझाता था उसकी सारी पूंजी वही वफादार घोड़ा था जिसके जरिया से वोह अपनी रोजी हासिल करता था,
एक दिन हस्बे मामूल घोड़े पर सवार होकर जंगल की खाक छान रहा था और अपने शिकार की तलाश मे सर गर्दा था कि अचानक एक तरफ निगाह पड़ी तो देखा कि एक हिरनी चर रही है साथ मे उसका नन्हा सा बच्चा भी है सुबुक्तगीन ने कमान संभाली और हिरन की तरफ घोड़े को दौड़ा दिया हिरनी शायद पहले से तैयार थी इसलिये तेज रफ्तारी के बावजूद घोड़ा उसे ना पा सका मगर उसका नन्हा और खूबसूरत बच्चा जरूर हाथ आगया सुबुक्तगीन ने बच्चे को उठाया और घोड़े पर रखा और शहर की जानिब चल पड़ा,
माँ की मोहब्बत भी अजीब होती है खालिके कायनात ने माओं के दिलों मे उनकी औलाद की ऐसी बे लूस मोहब्बत वा दाय्यत फरमाइ है कि जिसकी मिशाल इस दुनिया मे नहीं मिलती, जब हिरनी ने देखा कि उसकी गोद का हसीन बच्चा शिकारी का कैदी बन कर जा रहा है तो वोह तड़प उठी उसका दिल बेकरार हो गया उसकी ममता जाग उठी और अपनी जान से बेनियाज होकर बच्चे की मोहब्बत मे घोड़े के पीछे पीछे चली आ रही है,
कुछ दूर चलने के बाद जब सुबुक्तगीन ने पीछे मुड़ कर देखा तो हैरत मे पड़ गया उसने देखा कि हिरनी सर झुकाये हुऐ उसके पीछे पीछे चली आ रही है और उसके चहरे पर गम के बादल छाये हुऐ हैँ वोह अपने लखते जिगर की मोहब्बत मे ऐसी सरसार हो गई कि उसे अपनी जान की भी परवाह नहीं है गोया उसके चहरे की उदासी जुबाने हाल से कह रही थी कि सुबुक्तगीन जब तूने मेरे बच्चे को ग्रिफ्तार कर लिया है तो मुझे भी अपनी ग्रिफ्ट मे ले ले कियोकि बच्चे के बगैर मेरी जिन्दगी अधूरी और और बेकार है मोहब्बत का ये मनजर देख कर सुबुक्तगीन का दिल रहेम वा करम के जज्बात से लबरेज हो गया और उसने बच्चे को आजाद कर दिया हिरनी बच्चे को पाकर ख़ुशी से झूम उठी और दीवानगी के अंदाज मे बच्चे को चूमने चाटने लगी और आसमान की तरफ चेहरा उठाकर दुआये देती हुई जंगल की तरफ चली गई,
सुल्तान सुबुक्तगीन को बसारत Sultan subuktagin Ko Badshahi Ki Bsarat
उस हिरनी की दुआओं मे माँ की ममता और बेलोष मोहब्बत वा खुलूस शामिल था कि उधर हिरनी के दिल की मोहब्बत आमेज जज्बात दुआ बनकर मुँह से निकले उधर रब की बारगाह मे कबूलियत का शर्फ हासिल करते हुऐ सुबुक्तगीन की किस्मत मे चार चाँद लगा दिया सुबुक्तगीन जब रात को सोया तो उसकी किस्मत बेदार हो गई उसका नसीबा जाग उठा उसके गरीब खाना के दरो दिवार महक उठे रहमतों का सवेरा हुआ गुले कुदस की खुश्बू ने पूरी फिजा को मुआत्तर कर दिया गम की तारीकी दूर हुई सुबुक्तगीन की खुश बखतियों की रोशन सुबह नमुदार हुई यानी खुवाब मे हुजूर सरवरे कौनैन सल्लल्लाहू अलैहे वसल्लम की जियारत हुई,
सारी कैनात के लिये रहमत बनकर आने वाले आका जुबाने फैज तरजुमान से ये मुकद्दस कलमात जारी हुऐ कि अये सुबुक्तगीन चुंकि तुमने एक बे जुबान जानवर पर रहम किया है इस पर हम बहुत खुश हुऐ हैँ अल्लाह ताला तुम्हे इसके एवज बादशाही अता फरमायेगा मगर याद रखना जिस तरह तूने इस जानवर पर तरस खाया है उसी तरह बादशाह होने के बाद भी अपने रीआया पर भी रहम करते रहना और जुल्म वा सितम से हमेशा परहेज करना सुबुक्तगीन का ये मुबारक खुवाब बर आई उसने तरक्कीयों की मंजिले तै करना शुरू कर दिया पहले फ़ौजी सिपाही बना फिर तरक्की करके फौज का सिपह सालार बन गया उसने जंगो मे बहादुरी के ऐसे जौहर दिखाये कि बादशाह अलप्तगीन ने खुश होकर अपनी लड़की की शादी उस्से करदी और फिर जब बादशाह अलप्तगीन के शहजादे अबु इसहाक का इन्तेकाल हो गया तो हुकूमते गजनवी के जिम्मेदारों ने हिजरी 366 मुताबिक 977 ईस्वी मे सुबुक्तगीन को गजनी के तख़्त पर बिठा कर अपना बादशाह करार दिया सुबुक्तगीन का शाही नाम सुल्तान नासिरुद्दीन रखा गया हजरत सुल्तान महमूद गजनवी रहमा तुल्लाह अलै आप ही के शहजादे हैँ सुल्तान के घर एक सआदत मंद बेटी पैदा हुई जिन का नाम मुबारक सतरे मुअल्ला रखा गया उन्हीं के मुबारक शिकम से हजरत सय्यदना सालार मसूद गाजी रजि अल्लाहू अन्ह पैदा हुऐ,
Sultan sabuktagin
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Thanks for reading: सुल्तान सुबुक्तगीन के हालाते ज़िन्दगी Sultan subuktagin zindagi Story, Sorry, my Hindi is bad:)