सालार शाहू की अजमेर यात्रा Salar Sahu Ki Ajmer Yatra

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 सालार शाहू की अजमेर यात्रा Salar Sahu Ki Ajmer Yatra

सालार शाहू की अजमेर यात्रा Salar Sahu Ki Ajmer Yatra

Hindi Stories


हजरत सालार शाहू अलैहिर्रहमा युद्ध कौशल में बड़े माहिर थे। वह गजनवी सेना के एक बहादुर सिपहसालार थे। सुल्तान को उन पर बड़ा भरोसा था। और यह उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखता था। सुल्तान महमूद गजनवी ने अजमेर का फतह करने के बाद वहां का प्रबन्ध मुजफ़्फर खां, 2 के सुपुर्द कर दिया था। लेकिन पास पड़ोस के राजाओं की बार बार चढ़ाई और कूटनीतिक चालों से मुजफ्फर खां तंग आ गया और मजबूर होकर अपने आपको किले के अन्दर सुरक्षित कर लिया तथा सहायता के लिए चार लोगों का दल गठित करके सुल्तान की सेवा में गजनी भेजा। इन चार सदस्य दल ने यहां पहुंच कर बगावत तथा कूटनीतिक चाल चलने वालों के अत्याचारों की मुकम्मल कहानी सुल्तान को सुनाई और बताया राय भैरोन और सौभकरन ने अपने 44 बहादुर सदरारों के साथ मुजफ़्फर खां को किले में घेर रखा है तथा मुसलमानों को हलाक व बर्बाद कर देने के दर पे हैं। यह सुनकर सुल्तान की रंगे हमियत भड़क उठी और उसने वहां पहुंचे दल को भरपूर इत्मिनान दिलाया और मुजफ्फर खां की सहायता का पक्का वादा किया। सुल्तान ने अपने एक खास मन्त्री हसन मेमन्दी और दूसरे सलाहकारों से मशविरा के बाद साज हजार दक्ष बहादुर सेना की एक बड़ी टुकड़ी हजरत सालार शाहू के अधीन करके और अच्छी तथा विशेष तलवारें, खन्जर और ईराकी घोड़े हिन्दुस्तान की तरफ रवाना किया।


हजरत सालार शाहू गजनी से कन्धार आये और सेना की यह बड़ी टुकड़ी लेकर नवीं जिलहिज्ज चार सौ एक हिजरी ठठ् के रास्ते चलते हुए अजमेर का रूख किया और मन्जिल व मन्जिल तय करते हुए जब अजमेर के निकट पहुंचे तो तीन मन्जिल के फासले पर एक नदी के किनारे डेरा डाला।


नदी के किनारे डेरा डालने के बाद हजरत सालार साहू की मुलाकात हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम से हुई उसी मुलाकात मे हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम ने उन्हें बसारत दी कि अल्लाह ताला आपको दो नियामते अजीमा से सरफराज फरमायेगा पहली ये हैँ कि आपको एक ऐसा फर्जन्द अता फरमायेगा कि जिससे कयामत तक आपका नाम रोशन रहेगा और दूसरी ये है कि हिंदुस्तान की फतह और वहाँ का कुफ्र वा शिर्क आपके नूरे नजर से दूर हो जायेगा इसके बाद हजरत खिज्र ने फरमाया कि दो रकात नमाज नफल इस तरह अदा कीजिये कि हर रकात मे सूरह फातिहा के बाद 11बार, इजा जाआ नसरुल्लाही, आखिर तक पढ़कर रुकू से फारिग होकर जब सजदे मे जायें तो, सुब्बूहुन कुद्दूसुन रब्बुना वा रब्बुल मलाई कती वररूह, पढ़िये फिर तीन बार दरूद शरीफ पढ़कर खुदाये पाक से अपनी मुराद मांगे इंशाअल्लाह दुआ कबूल होगी और तमन्नाये दिल पूरी होगी,


हुक्म की तामील के बाद हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम ने उन्हें एक शेब अता फरमाया और इरशाद फरमाया कि जब आपकी अहलिया मोहतरमा तशरीफ़ लाये तो आधा आधा आप और वोह खा लें,


हजरत सालार शाहू जब खिज्र अलै० से मुलाकात के बाद अपने खेमें में आये और उधर मुजफफर खां को हजरत सालार साहू के आने की सूचना मिली तो उसके हौसले बढ़ गये और खुशी के नक्कारे बजवाये।


शत्रु की सेना जिसने मुजपफर खां को किले में घेर रखा था समझा कि सुलतान महमूद आ पहुंचा है इस तरह दो तरफा हमले का खतरा महसूस करते हुए राय भैरोन और सोमकरन किले के घेरे से अपनी सेना हटा ली और सात कोस की दूरी पर खोकरह पहाड़ की आड़ में मोर्चा जमा लिया!


मुजपफर खां ने हजरत सालार शाहू का जोरदार स्वागत किया। हजरत सालार शाहू अपनी सेना के साथ हौजे बहकर के किनारे पड़ाव डाला गुजफफर खां से राय-मशवरा के बाद शत्रु के मुकाबले में सेना को मैदाने जंग में उतारा। तीन दिन तक घमासान जंग होती रही। दोनों ओर के हजारों लोग हताहत हुए! अन्त में मुसलमानों ने इतना जोरदार हमला किया कि शत्रु सेना के छक्के छूट गये। शत्रु सेना को हारकर पीछे हटना पड़ा। राय भैरोन और सोमकरन के पैर उखड़ गये और अन्य राजा महाराजा जो राजा भैरोन व राजा सोमकरन की सहायता के लिये आये थे उन्हें भी मुंह की खानी पड़ी और मैदाने जंग से भागना पड़ा ईश्वर ने साथ दिया सफलता पर सफलता मिलती गयी शत्रु पक्ष का बहुत सा माल व दौलत सालार शाहू के हाथ लगा जीत के बाद हजरत ने अपने शहीद जांबाजों को दफन किया फातिहा पढ़कर रात को अपने खेमे में आराम किया और सुबह को अजमेर आ गये। इसके बाद सबसे पहले जो काम किया यह यक कि किले के सामने एक आलिशान मस्जिद बनवाई खुतबे में सुलतान का नाम शामिल किया उसके नाम का सिक्का चलाया फिर अजमेर फतह करने की खुशखबरी सुनाने के लिए सुल्तान के पास दूत भेजा। अजमेर को फतह कर लेने की खुशखबरी सुनकर सुलतान बहुत खुश हुआ और दूतों के द्वारा बहुत सा इनाम-व- इकराम कुछ ईराकी घोड़े कपड़े और बहुत सी चीजें सालार शाहू के लिए भेजा और आपके नाम विलायता हिन्दी का फरमान जारी किया और बीवी सतरे मोअल्ला शाही सुरक्षा में उनके पति हजरत सालार शाहू के पास अजमेर भेज दिया! चुनानचे 8 सव्यालुल मुकर्रम 404 हिजरी को सतरे मोअल्ला अजमेर पहुंच गयीं!

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Thanks for reading: सालार शाहू की अजमेर यात्रा Salar Sahu Ki Ajmer Yatra, Sorry, my Hindi is bad:)

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