जब एक अल्लाह वाले दर्वेश को चोरी का हुक्म हुआ
हजरत अहमद खिजरोया की खिदमत मे एक मर्तबा एक शख्स हाजिर हुआ और कहने लगा कि मैं मजबूर दर्वेश हू मुझे कोई तरीका बताइये कि मेरी मुश्किल आसान हो हजरत ने फरमाया कि तमाम पेशो(काम धंधे अच्छे हों या गंदे )का नाम लिख कर एक थैली मे रख कर मेरे पास ले आ चुनानचे उसने ऐसा ही किया हजरत ने थैली मेसे हाथ डाल कर एक कागज निकाला उसपर पेशा चोरी लिखा हुआ था आपने उसे फरमाया कि तुम्हें चोरी करनी चाहिए वोह शख्स हैरान रह गया कि शैख़ मुझे चोरी का हुक्म दें रहे हैँ लेकिन उसके सिवा और कोई चारा ना था चुनानचे वोह चोरो के सरदार के पास गया और कहा कि मुझे तुम्हारे साथ काम करना है मुझे अपने गिरोह मे शामिल करलो सरदार ने कहा अच्छा लेकिन तुम्हें हमारा हुक्म बजा लाना पड़ेगा चुनानचे उन्होंने हामी भरली और गिरोह मे शामिल हो गये कुछ दिनके बाद चोरो ने एक काफिले को लूटा और एक शख्स को जिसके पास बहुत सा माल था पकड़ लिया और ले आये सरदार ने हुक्म दिया कि इस नो पेशीया शख्स से कहो कि इस सौदागर को क़त्ल करदे नौ पेशीया ने दिल मे सोचा कि इस चोरों के सरदार ने ना जाने कितने बेगुनाहो को कतल किया होगा अगर मैं इसे कतल करदू तो ये सौदागर के कतल करने से बेहतर होगा अभी वोह यही सोच रहे थे कि सरदार ने उनसे कहा कि अगर तुम ये काम करने आये होतो करो वरना कोई और काम करो नो पेशा ने सोचा कि अगर ताबेदारी करनी है तो हक ताला की ताबेदारी सबसे अफजल है ये सोचते ही उन्होंने फ़ौरन तलवार निकाली और सरदार को कतल कर दिया दूसरे चोर खौफ जदा होकर भाग गये और सौदागर ने खुलासी पाई और उसे तमाम माल वापस मिल गया उस सौदागर ने दर्वेश को इतना माल इनाम मे दिया कि वोह अपनी बाकी जिंदगी के लिये अमन हो गये और हक ताला की इबादत मे मशरूफ हो गये,
तजकिया नफ़्स
हजरत अहमद खिजरोया अपने नफ़्स पर बेहद जबर से काम लेते थे एक मर्तबा लोग जिहाद पर गये तो आपके नफ़्स ने भी जिहाद का तकाजा किया लेकिन आपको ये ख्याल हो गया कि नफ़्स का काम तरगिब इबादत नही है इस लिये मुझे किसी मक्र मे मुंबतिला करना चाहता है और शायद इसकी तर्गीब का मकसद हो कि दौराने शफ़र रोजे नहीं रखने पड़ेंगे रात को इबादत से छुट्टी मिल जायेगी और लोगों से मिलने जुलने का मौका मिल जायेगा मगर नफ़्स ने उन चीजों से इंकार करते हुऐ कहा कि उन मेसे कोई बात नहीं है फिर जब आपने ये दुआ की कि आये अल्लाह हमको नफ़्स के मकरो फरेब से महफूज रख तो अल्लाह ताला ने नफ़्स का फरेब जाहिर फरमा दिया कि नफ़्स का ये फरेब था कि चुकि आजतक मेरी कोई खुवाहिश पूरी नहीं हुई लेहाजा मैं जिहाद मे शरीक होकर शहीद हो जाऊ और तमाम झंझटो से छुटकारा मिल जाये ये सुनकर आपने उस दिन से नफ़शी कशी मे और भी इजाफा कर दिया,
चोर की इबादत का सिला
एक मर्तबा हजरत अहमद खिजरोया के यहाँ चोर आ गया लेकिन जब खाली हाथ जाने लगा तो आपने फरमाया कि मेरे साथ रात भर इबादत करो और उसका जो कुछ भी सिला मुझको मिलेगा वोह मैं तुम्हें दें दूंगा चुनानचे वोह रात भर आपके साथ इबादत करता रहा और जब सुबह किसी दौलत मन्द ने बतौर नजराना 100 दीनार भेजे तो आपने उस चोर को देते हुए फरमाया कि ये तो सिर्फ एक रात की इबादत का मुआवजा है ये सुनकर चोर ने कहा कि मैंने आजतक उस खुदा को फ्रामोश किये रखा जिसकी एक रात इबादत करने का ये सिला मिलता है फिर तोबा करके आपके इरादत मन्दों मे शामिल हो गया और बहुत बुलंद मर्तबा हासिल किया
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Thanks for reading: जब एक अल्लाह वाले दर्वेश को चोरी का हुक्म हुआ , Sorry, my Hindi is bad:)