दस्ते गैब से रिज्क मिलने का वाक़्या
हज़रत सय्यद मीरा हुसैन जंजानी का वाक़्या है कि एक मर्तबा आपके हकीकी भाई हजरत सय्यद याकूब जंजानी आपसे मिलने के लिये आपके पास ताशरीफ लाये अगर चे अक्सर आपकी उनसे मुलाक़ात होती रहती थी लेकिन उस रोज हजरत याकूब जंजानी काफी देर तक बैठे रहे इतने मे रात छा गई आप चाहते थे कि उनकी महमान नवाजी करें लेकिन आपके पास उस वक़्त खाने की कोई चीज मौजूद ना थी दोनों हजरात ने मिल कर मगरिब की नमाज अदा की और उसके बाद अंदर कमरे मे बैठ गये हजरत याकूब जंजानी जाने लगे तो आपने उन्हें मशवरा दिया कि रात ठहर जाये रात का अंधेरा छा चुका था और अब जाने मे तकलीफ होगी लेहाजा वोह रुक गये आपके दिल मे ख्याल पैदा हुआ कि आज कुछ होता तो मैं भाई साहब को खिलाता ख्याल का आना ही था कि एकदम आपके कमरे बाहर निकले अचानक आपने देखा कि एक नौजवान हाथ मे खाना उठाये हुऐ खड़ा है उसने खाना आपको पकड़ाया और गायब हो गया आप फौरन समझ गये कि ये तो अल्लाह की तरफ से है आपने वोह खाना हजरत याकूब जंजानी के सामने खाने के लिये रखा और फिर दोनों भाइयो ने खूब खाया खूबी की बात ये है कि खाना बिल्कुल ताज़ा और ग्रम था जैसे किसी ने अभी अभी पकाया हुआ हो दस्ते गैब से रिज्क मिलने के कई वाक़्यात आपके सामने पेश आये जिन मेसे एक वाक़्या ये है
हज़रत सय्यद मीरा हुसैन जन्जानी की करामत
हजरत सय्यद मीरा हुसैन जंजानी के जमाने का वाक़्या है कि शहर के अंदर एक औरत रहती थी जिसका नाम ब्लूनत कौर था जो हिन्दू धर्म की थी शादी के बाद काफी अरसे तक उसके घर औलाद ना हुई उसने अपने अकीदे के मुताकिब उस जमाने के बड़े बड़े मशहूर बाबा जोग्यो से तावीज गन्डे करवाये लेकिन कुछ ना बना आखिर कार किसी से आपकी बुजुर्गी का चर्चा सुनकर आपकी खिदमत मे हाजिर होकर अपना सारा माजरा बयान किया आपने निगाहेँ बाटिन से लोहे महफूज पर देखा तो उसके मुकद्दर मे औलाद ना थी आपने उसे कहा कि तुम्हारे मुकद्दर मे औलाद नहीं उसने कहा इसी लिये तो आपकी खिदमत मे आई हू कि आप भगवान के हुजूर मेरे लिये दुआ फरमाये ताकि मेरी झोली औलाद से कुशल हरी भरी हो आपको उस औरत की हालत पे रहम आया और आपने अल्लाह के हुजूर उसके लिये दुआ की बरगहे इलाही मे आपकी दुआ कबूल हुई तो उस औरत को कुशखबरी कि जाओ अल्लाह तुम्हें बेटा अता फरमायेगा और वोह कलमा पढता हुआ नज़र आता है यानि वोह मुसलमान होगा आखिर वोह औरत आपकी दुआ लेकर चली गई कुछ अरसा के बाद उसे औलाद की उम्मीद वारी हो गई और वक़्त मुकर्ररा पर उसके घर बेटा पैदा हुआ कुशल औलाद मिलने पर बहुत खुश हुई जब बच्चा कुछ महीने का हुआ तो उसे लेकर आपकी खिदमत मे सलाम की गर्ज से आई और आपकी दुआएँ लेकर वापिस लौटी लेकिन अल्लाह को मंज़ूर ही ऐसा था कि कुछ समय के बाद बलूनत कौर मर गई बच्चा पलटा रहा बच्चे को किया मालूम था कि वोह किसी अल्लाह वाले की दुआ से पैदा हुआ है जब बच्चा जवान हुआ तो एक रात उसने खुवाब मे देखा कि अल्लाह का एक बुजुर्ग उसे कलमा पढ़ा रहा है और खुवाब ही मे आपके हाथे हक पर इस्लाम पाया जब वोह बेदार हुआ तो बड़ा हैरान हुआ कि उसके जहन पर गहरा असर हुआ और खुवाब की ताबीर मे गुम सा रहने लगा आखिर एक दिन ऐसा हुआ कि आप शहर के अंदर तब्लीग कर रहे थे कि वोह लड़का भी उसी तरफ आ पंहुचा उसने जब आपको देखा तो उसे याद आया कि ये तो वही बुजुर्ग हैँ जिन्हे मैं खुवाब मे देखा था आगे बढ़ा तो आपने फौरन गले लगा लिया और आपके हाथ पर इस्लाम पाया और आपके आखरी दम तक आपकी खिदमत करता रहा
Auliya kramat
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Thanks for reading: दस्ते गैब से रिज्क मिलने का वाक़्या, Sorry, my Hindi is bad:)