एक दीनार के लिये यहया बिन मुआज के साथ पूरा बाजार रोया

एक दीनार के लिये यहया बिन मुआज के साथ पूरा बाजार रोया अल्लाह वालों की बातें
Sakoonedil

एक दीनार के लिये यहया बिन मुआज के साथ पूरा बाजार रोया

एक दीनार के लिये यहया बिन मुआज के साथ पूरे बाजार रोया


हजरत यहया बिन मुआज का वाक़्या है कि एक दिन आप बाजार मेसे गुजर रहे थे कि एक जघा आपको लोगों का बहुत बड़ा हुजूम नजर आया जब करीब पहुचे तो हुजूम के अंदर आपको एक शख्स जारो कतार रोता हुआ नजर आया आपने वहां पर मौजूद लोगों से पूछा कि ये शख्स कियों रो रहा है हुजूम मे एक बाद इखलाक मसखरी तबियत का आदमी भी मौजूद था उसने आपको तंजिया लहजे मे कहा वाह मिया जी रोने वाले शख्स से तो आप पूछ नहीं रहे और लोगों से कह रहे हैँ कि उसे किया हुआ है हजरत यहया बिन मुआज ने फरमाया मैंने किसी एक शख्स से ये सवाल नहीं किया बल्कि हुजूम मे मजूद तमाम लोगों से पूछा है कि वोह यहाँ किस लिये मजमा लगाए हुऐ हैँ अगर तुम्हें कुछ मालूम नहीं तो यहाँ पर कियों खड़े हो उसपर दूसरे शख्स ने फिर कहा हमें कुछ मालूम नहीं आप खुद उससे पूछ लें चुनानचे आपने रोने वाले शख्स से बराहे रास्त दरियाफ्ट फरमाया कि आये शरीफ इन्सान तेरी आवाज मे ये दुख दर्द और कुर्ब कैसा है किया तू हमें बताएगा कि कियों रोये जा रहा है रोने वाला शख्स चंद लम्हों तक खामोश होकर टिकटिकी बांधे आपकी तरफ देखता रहा और फिर बोला यहया बिन मुआज तुम इस हुजूम मे एक अकेले शख्स हो जो दिल की गहराइयो से मेरे दिलकी कसक समझते हो बात ये है कि मैं अपने घरसे से एक दीनार लेकर चला था जिससे मुझे कुछ जरुरी चीजे खरीदनी थी तुम ये भी जानते हो कि दीनार के वजन का एक मायार मुकर्रर है मगर जब मैंने तमाम सामान खरीद कर वोह दीनार दुकानदार को दिया तो उसने दीनार को वजन कर लिया जो मुकर्ररा वजन से कम था लेहाजा उसने मुझे वोह दीनार वापिस कर दिया और अपनी चीजें वापस लेली बस इसी बात पर मुझे रोना आरहा है,


वहां हुजूम मे शामिल तमाम लोग भी बड़े गौर से उस आदमी की बातें सुन रहे थे मगर उस वक़्त उनके हैरत की इन्तेहा ना रही जब आप भी उस शख्स के साथ रोने लगे चुनानचे लोगों ने एक ना शद दो शद का तमाशा देखा तो वोह फलक सिगाफ कह कहे लगाने लगे हुजूम मे एक बुढ़ा शख्स भी मौजूद था जिसने यहया बिन मुआज की तरफ देखा तो शख्ती से हुजूम को डांट दिया और कहने लगा लोगों ये तुम पागलों की तरह कियों हस रहे हो अपने होश वा हवाश काबू मे रखो मगर लोगों की तरफ से हंसी मजाक का सिलसिला बा दस्तूर जारी रहा बूढ़े ने जब दुबारह लोगों को हसीं से मना किया तो एक शख्स तनक कर बोला हम कियों हसना बंद करदें जब ये दो आदमी खाह मखाह रो रहे हैँ तो किया ऐसे मे हमें हसने की भी इजाजत नहीं फिर वोह बुढ़ा शख्स बोला अगर बात ये है तो मैं आपके सामने उन दोनों आदमियों से रोने की वजा मालूम करता हू चुनानचे उम्र रशिदा शख्स ने हजरत यहया बिन मुआज से दरियाफ्ट किया कि हजरत आखिर आपके रोने का सबब किया है अगर दीनार के वजन मे थोड़ी बहुत कमी हो गई है तो उसमे रोने वाली कोनसी बात है,


उस बुजुर्ग कि बात सुनकर यहया बिन मुआज ने जवाब मे फरमाया इस अजनबी ने हमें जो कुछ बताया है उसमे हमारे लिये इब्रत का सामान है बुजुर्ग आदमी ने फिर कहा ब्राये महेरबानी आपने जवाब की जरा मजीद वजाहत करदें कियोकि हम अभी तक ठीक से आपकी बात समझ नहीं पाए आपने जवाब दिया बुजुर्गवार्या रमज के बातें हैँ अगर बातें असर कर गई तो गोया हम अपने मकसद मे कामयाब वा कामरान हो जायेंगे बुजुर्गो ने इसरार करते हुऐ कहा कि अब आप हमें जो कुछ बताएँगे हम बा हैसियत एक रासिख अल अल अक़ीदा मुसलमान इसको सही मानो मे दूसरों तक पहुचायेंगे हजरत यहया बिन मुआज ने कहा मैंने इस शख्स से जब रोने की वजा दरियाफ्ट की तो उसने मुझे बताया कि वोह घरसे जो सोने की दीनार लेकर चला था बाजार मे पहुंचते उसकी कीमत कम हो गई और वोह चल ना सका यानि मतलब ये हुआ कि घरकी बात बाजार आने आने तक बे ऐतबार हो गई उसमे सोचने वाली बात ये है कि हमारे सारे आमाल और इस दुनियां की सारी बातें कयामत के रोज अगर इसी तरह बे ऐतबार हो गई तो तो हमारा फिर किया अन्जाम कार होगा बस यही बात सोचकर मेरी आँखों से आंसू बहने लगे,


यहया बिन मुआज की बात से मुतमइन होकर बुजुर्ग ने फिर उस शख्स से रोने का सबब पूछा जिसके दीनार का वजन कम हो गया था उसने जवाब दिया कि मेरे रोने की वजा यही है कि यहया बिन मुआज रोशन जमीर इन्सान हैँ अब बुजुर्ग की समझ मे सारी बात आचुकी थी उसने लोगों से कहा तुमने उन दोनों का जवाब सुन लिया अब जरुरत इस अमर कि है कि तुम भी सब मिलकर रोना शुरू करदो कियोकि तुम अपनी आख़िरत से ग़ाफ़िल हो चुके हो अब तो मजमा पर एक खौफ सा तारी हो चुका था बहुत से लोगों की आँखों मे नमी आचुकी थी ऐसा महसूस होता था कि यहया बिन मुआज की बातों ने उनपर गहरा असर छोड़ा है इस मौके पर यहया बिन मुआज ने लोगों से खताब होते हुऐ कहा आये खुदा के बन्दों यकीन जानो तुम मेसे जो शख्स अल्लाह ताला को जान लेगा उसपर कभी आजाब नहीं आएगा और जो खुदा सनासी मे नाकाम रहेगा तो समझ लो कि उसपर जहन्नम के दरवाजे खोल दिए जायेंगे अब तुम्ही बताओ लोगों कि मैं इससे कियों कर ग़ाफ़िल हो जाऊ जो मुझसे एक लम्हे के लिये भी ग़ाफ़िल नहीं होता मैं जानता हू कि जिसने अपने माबूदे हकीकी को पहचान लिया वोह खुद डोजख की आग के लिये एक आजाब बन जायेगा लेकिन जिसने अल्लाह ताला को पहचानने मे कोताही की डोजख का आग उसका मुकद्दर बन जायेगा,


कहते हैँ कि यहया बिन मुआज की इस ईमान अफरोज तकरीर ने पुरे मजमा को रुला कर रख दिया और सबकी आँखों से अश्कों का शैलाब बह निकला और उस वक़्त मजमे मे जितने भी लोग मौजूद थे वोह महेज आपकी तकरीर की वजा से हमेशा हमेशा के लिये नेकी की तरफ लौट आये,

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Thanks for reading: एक दीनार के लिये यहया बिन मुआज के साथ पूरा बाजार रोया , Sorry, my Hindi is bad:)

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