आपकी करामत का इन्कार करने वालों का अन्जाम बुरा होता है
हज़रत गाज़ी अलैहिर्रहमां की करामतों का चर्चा जब दूर दूर तक फैल गया। बनारस से बड़ी तादाद में लोग एक जुलूस की शक्ल में नेज़े और निशान लिए हुए मरतों की टोली बनाकर बहराइच आ रहे थे जब जुलूस जौनपुर पहुंचा वहां से भी लोग हज़ारों की तादाद में नेज़े और निशान के साथ उस जुलूस में शामिल हो गए तमाशा देखने वालों की एक भीड़ जमा हो गयी। शहर में एक शोर मच गया मकतब में पढ़ाने वाले एक मुल्ला को जब खबर हुई तो वह अपने चन्द शागिर्दो के साथ आया और जुलूस के करीब पहुंच कर कुफ व शिर्क और बिदअत के फतवे लगाने लगा। जुलूस के लोगों ने उसकी बातों पर कोई ध्यान न दिया वह झगड़े पर आमादा हो गया। बारगाहे गैब से एक ज़ोरदार तमाचा उसके मुंह पर पड़ा जिसकी यह ताब न ला सका और गश (चक्कर) खाकर ज़मीन पर गिर पड़ा देखने वालों ने देखा कि उसका पूरा चेहरा काला पड़ गया। सच ह औलिया से अदावत रखने वालों का यही अन्जाम होता है। उस मुल्ला की सारी कोशिश औलिया ए अल्लाह की अदावत की बुनियाद पर थी इसलिए उसका यह अन्जाम हुआ।
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Thanks for reading: गाजी की करामत का इन्कार करने वालों का अन्जाम, Sorry, my Hindi is bad:)