गाजी पाक तबलीगी मुहिम पर सालारों की रवानगी

गाजी पाक तबलीगी मुहिम पर सालारों की रवानगी gazi pak dastane gazi sarkar storie hindi tablighi jamat hindi stories
Sakoonedil

 गाजी पाक तबलीगी मुहिम पर सालारों की रवानगी

Gazi pak aur tabligh
Hindi stories


हजरत सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमा के भारत यात्रा का उ‌द्देश्य इन्सानों को ईश्वर की पूजा की दावत देना था और मजलूम इन्सानों को जालिमों के पंजे से आजाद कराना था न कि भारत पर आक्रमण करके यहां धन दौलत को लूटना। इसी कारण उन्होंने कहीं अपना शासन स्थापित नहीं किया। जबकि वो ऐसा करने में सक्षम थे। उस जमाने में इस्लाम का प्रचार व प्रसार कोई आसान काम नहीं था। हक की आवाज को बुलंद करने के लिए फौजी ताकत का इस्तेमाल भी न गुजीर था अर्थात जरूरी था इस लिए सतरिख में कयाम करने के बाद सबसे पहले आपने सालार सैफ उद्दीन थानी सुरखुरु सालार को और उनके साथ मीर सैयद नसरुल्लाह जो अपनी कौम के सरदार थे और कोतवाल लश्करे सालार रजब को आपके मिजाज सनाश, खाश खिदमतगार और बहादुरी में बेनजीर थे। एक सैनिक टुकड़ी देकर बहराइच की ओर रवाना किया और कोतवाल के ओहदे पर सालार रजब के बेटे को नियुक्त किया। हालांकि यह कम उम्र थे लेकिन बाप के तरह ही बहादुर थे, सालार सैफउद्दीन अलैहिर्रहमा ने बहराइच पहुंच कर हजरत गाजी अलैहिर्रहमा के पास यह खबर भेजी कि यहां जंगल ही जंगल है, रसद का इन्तिजाम करना बड़ा मुश्किल काम है आप वहां से गल्ले का प्रबंध करके भेज दें वरना लस्कर हलाक हो जायेगा। सैय्यद सालर मसऊद गाजी ने खबर पाते ही हुक्म जारी फरमाया कि परगनों के तमान चौधरियों और मुखियों को हाजिर किया जाय। साथ-आठ परगनों के श्रीधरी व मुखिया हाजिर हुए। नासिन नामक चौधरी सिद्धौर जिला बाराबंकी और मुजहर नामक चौधरी अमेठी हाजिर किये गये दोनों को पास बुलाया समझाया कि खेती बाड़ी में ध्यान दें उनमें उनका और प्रजा का दोनों का फायदा है और यह भी फरमाया कि हमसे रुपया लो और हमारे लिए गल्ले का प्रबन्ध करो उन्हों ने अर्ज किया कि पहले हम गल्ला ला दें फिर रूपया ले लेंगे मगर आपने मुबलिग दो लाख रूपये नकद चौधरियों को गल्ले के लिए पेशगी दे दिए और पान वगैरह से उनकी खातिर की। सैय्यद सालार मसऊद गाजी का यह बतीय न महज राजनीतिक बुद्धिमत्ता और दूरअन्देशी पर आधारित था बल्कि इससे उनकी ईमानदारी और दयानतदारी का पता चलता है। लूटमार आपका मकसद होता तो यकीनन बिना कीमत अदा किये हुए बहुत गल्ला मयस्सर हो जाता। गल्ले का वादा करके चौधरी लोग जब यापस होने लगे तो हजरत गाजी अलैहिर्रहमां ने मलिक हैदर को साथ में लगा दिया ताकि जल्द हो सके गल्ला आ जाए और मलिक फिरोज उमर को एक फौजी दस्ते के साथ दरियाए सरयू के रास्ते पर पड़ाव डालने का हुक्म दिया कि जैसे-जैसे गल्ला आता जाए बहराइच सालार सैफ उददीन सुरखुरू के पास भेजते जायें ।

Tabligh

Rate This Article

Thanks for reading: गाजी पाक तबलीगी मुहिम पर सालारों की रवानगी, Sorry, my Hindi is bad:)

Getting Info...

एक टिप्पणी भेजें

Cookie Consent
We serve cookies on this site to analyze traffic, remember your preferences, and optimize your experience.
Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.