मसूद गाजी सरकार शेर से मुकाबला

मसूद गाजी सरकार शेर से मुकाबला masud gazi sarkar sher se mukabla gajnavi empire
Sakoonedil

 मसूद गाजी सरकार शेर से मुकाबला

Gazi sarkar aur sher


सतरिख में कयाम के दौरान हज़रत सालार शाहू रहमतउल्लाह अलैह और सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमां घोड़े पर सवार हो कर शैर व शिकार पर निकले। शिकार खेलने के बाद नमाज़े जोहर अदा करके बाप-बेटे दोनों अपनी क्याम गाह की तरफ लौट रहे थे कि सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमां की नज़र एक शेर पर पड़ी जो एक पेड़ के नीचे बैठा था आपने शेर के बारे में पिता से कुछ न कहा और उन से कहा कि आप कयाम गाह पर तशरीफ ले चलें मैं अभी थोड़ी देर में आ रहा हूं ।जब पिता जी आगे बढ़ गए तो आप तेज़ी से घोड़ा बढ़ाकर शेर की और चले जब आप शेर के निकट पहुंचे तो उससे आंखें चार हुई शेर आप को देखकर गुर्राया और जोरदार गरज के साथ छलांग मार कर आप पर ज्यों ही हमला किया आपने बड़ी बहादुरी और हुनर मन्दी से उस शेर पर ऐसा वार किया कि पलक झपकते ही शेर दो टुकड़े होकर जमीन पर ढेर हो गया। शेर की दहाड़ सुनकर सालार शाहू अलैहिर्रहमां पलट कर अपने पुत्र के करीब आए तो देखा कि शेर दिल बेटे ने एक शेर बबर को पछाड़ा है।


वह बहुत खुश हुए और उनकी बहादुरी की बड़ी तारीफ की।


हजरत सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमां की वीरता का यह एक छोटा करिश्मा है वरना तो आपका पूरा जीवन बहादुरी के कारनामों से भरा पड़ा है वीरता और बहादुरी तो आपको अपने पूर्वज हज़रत शेरे खुदा अली मुर्तुजा रजी० से विरासत में मिली थी किसी ने क्या खूब कहा है।


अली का घर ही वो घर है कि जिस घर का हर एक बच्चा। जहां पैदा हुआ शेरे खुदा मालूम होता है।


उस समय सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमां कि आयु लगभग 18 साल थी।


हज़रत सैफुद्दीन सुरखुरू सालार रहमतुल्लाह अलैह की दरख्वास्त


सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमां ने सुल्तान महमूद गज़वी से ये वादा करके भारत आए थे कि सैर व शिकार से दिल बहला कर बहुत जल्द वापस आ जाऊंगा किन्तु भारत आने के बाद तबलीगी मिशन का सिलसिला तूल पकड़ गया और हालात ने वापसी का मौका ही नहीं दिया इसके बाद माता का स्वर्गवास और पिता की आमद वापसी के ख्याल पर प्रभाव डालने लगे और भारत में लगातार तबलीग का ख्याल दिलों में समा गया भारत में आपकी मंशा केवल दीन की तबलीग थी। तबलीग के सिलसिले में आपने कभी तलवार उठाने में पेश कदमी नहीं की मगर जब आपके तबलीगी मिशन को धमकी या लड़ाई से रोकने की कोशिश की गई तो आपने और आपके साथियों ने अपनी रक्षा के लिए तलवार उठाई और हमले किए।


इसी लिए जब कटरा और मनिकपुर के राजाओं ने। बहराइच के राजाओं को हमले के लिए उकसाया तो आपने जंगी मसलिहत के पेशे नज़र (तौर पर) बहराइच के राजाओं की हरकतों पर नज़र रखने और पेश कदमी रोकने की गरज़ से सैफुद्दीन सुरखुरू सालार अलैहिर्रहमां को एक फौजी दस्ता देकर बहराइच रवाना किया था।


कटरा और मानिकपुर के राजाओं की गिरफ्तारी से आस-पास के राजाओं में बेचैनी फैल गई उन्हें फिक्र हुई कि मुसलमान गैर मुल्क से आकर हमारे मुल्क में आकर तब्लीग का काम कर रहें है हमारे लिए मुस्तकिल खतरा बन चुके हैं उन्हें यहां से भगाना आवश्यक है। चुनान्चे तमाम राजा अपनी-अपनी सैनिक टुकड़ियों के साथ बहराइच पहुंचे और चारों तरफ से सैफुद्दीन सुरखुरू सालार रह० को घेर लिया। सुरखुरू सालार रह० ने सतरिख सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमां की खिदमत में कहला भेजा कि दुश्मनों ने चारों तरफ से घेर लिया है। हमारे बचने की कोई राह निकालिए और हमारी सहायता कीजिए अब सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमां के पास इसके सिवा और कोई चारा न था कि आप खुद बहराइच जाएँ।


सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमां की बहराइच आमद


हज़रत सुरखुरु सालार रहतुल्लाह अलैह के प्राथना पत्र पर विचार करने के बाद सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमां ने यही फैसला लिया कि ऐसी खतरनाक सूरते हाल से निपटने के लिए मेरा खुद बहराइच जाना जरूरी है पिता से इजाजत चाही और बहराइच की सूरते हाल से बा खबर करते हुए इजाज़त चाही पिता को एक छण के लिए भी बेटे की जुदाई गवारा न थी उन्होंने अपने सीने से लगाया और फरमाया कि तू मेरी जान है तुम्हारा बूढा बाप अब इस दुनियां मे चंद दिनों का मेहमान है इस लिये जुदाई गवारा ना करो और मेरे क्लब वा जिगर को पारा ना करो सालार मसूद अपने वालिद माजिद की दर्द भरी बातें सुनकर तड़प उठे आँखे अश्क़बार हो गईं जब थोड़ा सम्भले तो आपने अर्ज किया कि बाबा जान अभी फिलहाल जाने की इजाजत दे दीजिये और मुआरका सर करके बहुत जल्द आपके पास चला आऊंगा हालांकि गैब के हालात से अच्छी तरह वाकिफ थे कि हमारा यही आख़री दीदार है और यही मशीय्यत ऐजदी है बाप के गले लगे मुशफिक बाप ने मुकद्दस बेटे की पेशानी को बोसा दिया और अश्क़बार आँखों से अलविदा कहा बहराइच की खतरनाक सूरते हाल के कारण पिता ने उन्हें बहराइच जाने की आज्ञा दे दी पिता से आज्ञा पाकर 27 रमजान 423 हिजरी मे आप बहराइच तशरीफ़ लाये उस वक़्त आपकी उम्र 18 वर्ष 2 माह थी ।


जंग के बादल छंट गये


सैय्यद सालार मसकर गाजी अलैहिर्रहमां अपने पिता से आज्ञा लेकर हजरत सैफुद्दीन सुरखुरू सालार रहमतुल्लाहे अलैह की सहायता के लिए एक विशेष सैनिक टुकड़ी लेकर बहराइच पहुंचे जब आपकी बहराइच पहुंचने की सूचना उन राजाओं को मिली जिन्होंने हजरत सैफुद्दीन सुरखुरू सालार रहमतुल्लाहे अलैह को घेर रखा था उनके दिलों पर पहले से ही आपकी बहादुरी और रोब का दबदबा छाया हुआ था आपके मुकाबले से उनकी हिम्मत जवाब दे गई बिना युद्ध किए


मैदान छोड़कर अपने-अपने इलाकों की ओर वापस हो गए। बहराइच जंगली इलाका था यहां शिकार की कमी न थी आप शिकार के शौकीन थे बे फिक्र हो कर सैर व शिकार में मशगूल हो गए। मौजूदा दरगाह शरीफ के पास एक महुवे का ड्राख्त था जिसके निचे आप अक्सर आराम फरमाते थे और इरशाद फरमाते कि इस जमीन मे इखलास की खुसबू आती है,,,

Rate This Article

Thanks for reading: मसूद गाजी सरकार शेर से मुकाबला, Sorry, my Hindi is bad:)

Getting Info...

एक टिप्पणी भेजें

Cookie Consent
We serve cookies on this site to analyze traffic, remember your preferences, and optimize your experience.
Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.