बहराइच के राजाओं का पैगाम ऐ जंग

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 बहराइच के राजाओं का पैगाम ऐ जंग 

बहराइच के राजाओं का पैगाम ऐ जंग behraich ki jung


हजरत सैय्यद सालार गाजी अलैहिर्रहमा ने बहराइच आते समय पिता से यह वादा करके आये थे कि जल्द ही वापस आ जाऊंगा लेकिन हालात ने इस मोड़ पर पहुंचा दिया कि अब वापसी का ख्याल दिल से निकल गया। माता पिता के स्वर्गवासी होने और गजनी दरबार से सम्बन्ध टूट जाने के कारण वह अब और आजाद ख्याल और तब्लीग मे गुम हो गये कि बहराइच में रहना खतरनाक है या यहां से चला जाना मुनासिब है।


आप पूरी आज़ादी के साथ बेखौब व खतर बहराइच में सैर व शिकार में मसरूफ रहने लगे यह बात यहां के राजाओं को खटकने लगी कि कहीं यह नौजवान यहां पैर न जमा ले। और आगे चलकर हमारे लिए खतरा बन जाये। क्योंकि वह लोग सुल्तान महमूद गजनवी आपके पूज्य पिता और खुद आपकी वीरता से भली भांति परिचित थे और भारत के कई युद्धों में उनकी बहादुरी के जौहर देख और सुन चुके थे। इस लिए बहराइच के चारों तरफ के तमाम राजाओं ने आपस में मशवरा करके एक संयुक्त मोर्चा बनाया। और एक जुट होकर आपके पास एलची भेजा उस एलची की मुलाकात आपके एक साथी मलिक हैदर से हुई। उन्होंने उस एलची की मुलाकात आपसे करायी एलची ने राजाओं का खत आपकी सेवा में पेश किया। उन्होंने अपनी ताकत की गुरूर में लिखा था कि तुम यहां चढ़कर आये हो तुम्हें इस मुल्क का हाल मालूम नहीं यह तराई का क्षेत्र है यहां शत्रु टिकने नहीं पातें अतः खूब अच्छी तरह सोच विचार लो और यहां से जाने की फिक्र करो।


हजरत सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमा ने एलची से पूछा कि कौन-कौन से राजा जमा हैं। और उनके नाम क्या हैं। एलची ने राजाओं के नाम कुछ इस तरह गिनाए- (1) राय रायब (2) राय सायब (3) राय अर्जुन (4) राय भीखन (5) राय गंग (6) राय कल्याण (7) राय निगुरू (8) राय सिघरू (9) राय करन (10) राय बीरबल (11) राय अजय पाल (12) राय श्रीपाल (14) हरपाल (15) राय हरकुन (16) राय हरखू (17) राय निरहू (18) राय गिरजाधारी (19) राय देव नारायण (20) राय नरसिंह।


एलची ने राजाओं के नाम गिनाने के बाद कहा कि यह तमाम राजा आठ लाख सवार और तीन लाख पैदल फौज के साथ जमा हैं और युद्ध का प्लान बना चुके हैं। आपने लिखित रूप में जवाब न दिया बल्कि एलची के साथ मलिक नेक दिल को सात सवारों के साथ राजाओं के पास भेजा मलिक नेक दिल को राजाओं के पास भेजने का एक मकसद यह भी था कि शत्रु की जंगी ताकत का अंदाजा लगाया जा सके। मलिक नेक दिल ने तमाम राजाओं के सामने रस्मी बात चीत के बाद यह कहा कि हमारे सरदार ने आपका मिजाज पूछा है। और फरमाया है कि हम तो यहां की तारीफ सुनकर शिकार खेलने के लिए आये हैं। हमें अच्छी तरह मालूम है कि यह जंगल और वीरान जगह है, हम यहां बसने के लिए नहीं आये। कुछ दिन शिकार और सैर व तफरीह करके लौट जायेंगे अगर आपलोग हमसे कोई खतरा महसूस करते हैं तो इस थोड़ी सी मुद्दत के लिए एक आरजी सुलह नामा लिखवा लिया जाये। और दोस्ताना माहौल में रहकर मुल्क को आबाद किया जाय। यह एक माकूल बात थी मगर उन राजाओं ने इस बात पर भरोसा न किया और उसके जवाब में यह कहा कि जब तक हमारे तुम्हारे बीच युद्ध न हो जाये सुलह शान्ति बेकार है तुम लोग जबरन हमारे मुल्क में आकर डेरा जमाये हो अब तक हम नजर अंदाज करते (टालते) रहे मगर अब अधिक देर तक तुम्हारा यहां रहना हमें बर्दाश्त नहीं। अगर तुम अपनी खैरियत चाहते तो अपना रास्ता लो और सर्यू नदी के उस पार निकल जाओ नहीं तो आज ही कल में जंग छिड़ सकती है उन राजाओं में राय कल्याण कुछ प्रसिद्ध बुद्धिमान और संजीदा व्यक्ति था उसने कहा हे राजों तुम्हारी मत मारी गयी है आखिर तुम लोग क्या सोच कर युद्ध के लिए बजिद हो क्या तुम लोग यह समझ रहे हो कि सैय्यद सालार मसऊद गाजी हमसे डर कर सुलह करना चाहते हैं। अगर यह सोच रहे हो तो सरासर यह भूल है यह गौर करने की बात है कि कल का लड़का जो बड़ा बीर और बहादुर है वह किसी ताकत के सामने सर झुका दे यह सम्भव नहीं क्या तुम लोगों को नहीं मालूम कि सुल्तान महमूद गजनवी की आंख का तारा होने के बावजूद जरा सी बात पर शाही ऐश व आराम को लात मारकर गजनी से चल दिया माता पिता का प्रेम भी उसे घर से निकलने से बाज न रख सका। वीरता और साहस का यह हाल कि थोड़ी सी फौज लेकर बड़ी बड़ी शक्तियों को हराता हुआ हिन्दुस्तान के अधिकांश के भाग पर कब्जा जमा लिया। पिता सतरिख में चल बसा और माता पुत्र की जुदाई का दुख सहते सहते दुनिया से चल बसी लेकिन धुन से पक्के और हिम्मत वाले इन्सान ने किसी की पर्वाह न की अगर वह हमसे सुलह की बात करता है तो केवल इंसानियत के नाते वरना में तो यही समझता हूं कि वह हम सबका मजाक उड़ा रहा है अतः मेरा यह मशवरा है कि वाकई अगर वह सुलह पर तैयार है तो हमें उसे ठुकराना न चाहिए। राय कल्याण की बातें सुनकर तमाम राजा उस पर बरहम हो गये और उसको बुजदिल ठहराने लगे उसने अधिकांश लोगों को अपने विरूद्ध पाया तो मौन धारण कर लिया अर्थात खामोशी अख्तियार कर ली। अनेक राजाओं के चिरोध के कारण सुलह की कोई राह निकलती नजर न आयी आखिर में मलिक नेक दिल को यहीं उत्तर दिया गया कि तुम अपने सालार से कह दो कि उनके लिए यही बेहतर है कि हमारे मुल्क से खामोशी के साथ निकल जायें वरना फिर हमारे और उनके दरमियान तलवार ही फैसला करेगी। मलिक नेक दिल ने उन राजाओं के नापाक इरादों को अच्छी तरह समझ लिया और आकर सैय्यद सालार सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमा को उनके विचारों से अवगत कराया।


बहराइच की धर्ती पर आपकी आमद


हिमालय की गोद में तमाम राज्यों के राजा अपनी अपनी सैनिक टुकड़ियों के साथ मोर्चा बनाकर मुसलमानों को इस संसार से मिटा देने की नियत से पूरे असलहों से सुसज्जित होकर जंगल में भखला नदी के तट पर डेरा जमा लिया।


इस्लाम की यह शिक्षा है कि जो तुम्हारे मानव अधिकार छीनने की कोशिश करे तुम पर जुल्म व सितम ढाये तुम्हारे ईमान व आस्था पर आक्रमण करे और तुम्हारी आजादी छीन ले, तुम्हें अपने धर्म के अनुसार जीवन बिताने से रोके या ऐसा करने के लिए लड़ाई पर अमादा हो कि तुम इस्लाम के मानने वाले हो तो उसके मुकाबले में हर्गिज कमजोरी न दिखाओ और अपनी पूरी ताकत उसके इस जुल्म को मिटाने में लगा दो।


(कुरआन की एक आयत का अनुवाद)


जो लोग तुमसे लड़ते हैं उनसे खुदा की राह में जंग करो मगर लड़ने में हद से त्जाऊस न करो यानि जुल्म पर न उतर आओ।


हजरत सैय्यद सालार सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमा ने इसी इस्लामी जंगी तालीम के पेशे नजर जब आपकी सुलह की तजवीज को ठुकरा दिया गया और जंग की धमकी दी गयी तो आपने सुरक्षात्मक युद्ध के लिए आपस में सलाह मशवरा किया। तमाम अमीरों के सामने आपने एक छोटा सा भाषण देते हुए कहा कि शत्रु हमसे लड़ाई पर आमादा है और हमें संसार से मिटा देने के लिए तैयार बैठे हैं। उन्होंने हमारी सुलह की बात ठुकरा दी है और हमें युद्ध के लिए मजबूर कर रहे हैं। अब हमारे पास इसके सिवा कोई चारा नहीं कि अपनी सुरक्षा के लिए युद्ध करें आप लोग अपनी अपनी राय दीजिए कि जंग कैसे लड़ी जाये क्या हम अपने ठिकाने ही को युद्ध का मैदान बनायें या शत्रु पर चढ़ कर हमला करें ? कुछ अमीरों ने मशवरा दिया कि दुश्मन को और आगे बढ़ आने का मौका दिया जाय मगर अधिकांश लोगों की राय हुई कि दुश्मन को आगे बढ़ने का अवसर दिये बगैर चढ़कर हमला कर दिया जाये । सब इस पर राजी हो गये और लश्कर को तैयार होने की आज्ञा दे दी गई।


शत्रु सेना भखला नदी के किनारे डेरा डाले थी, इस्लामी लश्कर शाम को मगरिब की नमाज अदा करने के बाद भखला नदी की ओर चल पड़ी । रातों रात सफर करके प्रातःकाल उनके मुकाबले में पहुंच गये। इस्लामी लश्कर थका हारा था राजाओं ने उनकी थंकन से फायदा उठाया और उसी समय मुकाबले केलिए डट गये। सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमां भी जंग के लिए तैयार हो गये जबकि युद्ध के


नियम के अनुसार दिन और रात गुजार कर मुकाबला होना चाहिऐ था मगर वो लोग जो एक खुदा के बन्दे हों और उसके प्रचार के लिए सर पर कफन बांधकर निकले हों उनको रात दिन जंगल और रेगिस्तान सब एक जेसे लगते हैं।


दश्त तो दश्त है, दरिया भी न छोड़े हमने

बहरे जुलमात में दौड़ा दिऐ घोड़े हमने


युद्ध तो होना ही था क्योंकि शत्रु उनको मैदान में बुला रहा था। एक रात क्या हजारों रातों के जागे और लगातार सफर किए हुऐ होते तो भी जंग से मूंह ना मोड़ते।


सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमा ने लश्कर को कुछ इस तरह तरतीब दिया कि सालार सैफुददीन सुरखुरु को हरावल दस्ता दिया और अमीर नसर उल्लाह व सालार रजब नसीर उददीन, बहाउददीन, अमीर खिज को मुकदगतुल जैश बनाया और स्वंय बीच की कमान हाथ में लेकर हमला कर दिया।


सालार सैफुददीन सुरखुरू से दो घंटे तक मुकाबला होता रहा कभी शत्रु पक्ष का पल्ला भारी पड़ता, मुसलमानों को पीछे हटना पड़ता और कभी मुसलमान आगे बढ़ जाते और उन्हें पीछे हटना पड़ता। हार जीत के आसार नज़र नहीं आ रहे थे तो सालार रजब, अमीर नसर उल्लाह और अमीर खिज ने दाहिनी ओर से और अमीर अहमद, अमीर मोहम्मद बल्खी, अमीर तुर्क व अमीर जाफर बाजैद ने बायीं तरफ से घोड़े बढ़ा दिये और एक साथ एक बड़ा हमला कर दिया फिर तो घमासान का युद्ध होने लगी


दोनों और के बीर अपनी वीरता के जौहर दिखा रहे थे। अन्त में मुसलमानों की फतह हुई. शत्रु हारे और उनमें भगदड़ मच गई कई राजाओं ने जब अपनी फौज के पांव उखड़ते देखे तो स्वंय तलवारें ले-लेकर मैदान में आ डटे, किन्तु कोई भी चाल उनके काम न आ सकी और उखड़े हुए पांव पुनः जमा न सके। फतह मुसलमानों के हाथ लगी एक लाख से अधिक लाशें छोड़कर शत्रु सेना भागने पर मजबूर हो गई लगभग पचास हजार मुसलमानों ने भी जाने शहादत नोश फरमाया। इतने साथियों का प्रदेश में छूट जाना कुछ कम दुखः की बात न थी मगर वह खुदा ही राह में शहीद हुए थे। एक साथ इतने लोगों का शहीद होना मुसलमानों के लिऐ इतना बड़ा और शदीद गम होना फितरी बात थी लेकिन इस बात से खुदा की राह में मरने या शहीद होने वाले मरकर मिटटी में नहीं मिलते बल्कि वह अपनी कबरों में जिन्दा रहते हैं और खुदा उनको रोजी देता है जिसकी शहादत कुरआन ने दी है। यही बातें सोचकर उन्हें कुछ सुकून मिलता था।


सैय्यद सालार मसूद गाजी अलैहिर्रहमा ने एक सप्ताह तक मैदान ही में ठहर कर शहीदों की लाशों को दफनाया और आठवें रोज बहराइच वापस हुऐ गर्मी का पौसम था गरम हवा चल रही थी और सुबह से एक लम्बा सफर तय करने के लिऐ चल रहे थे थकान का काफी एहसास हो रहा था लिहाजा सूरज कुष्ठ तालाब के निकट आकर एक महुये के वृक्ष के नीचे आराम करने के लिए ठहर गऐ आपको यहां कुछ सुकून महसूस हुआ और आप कुछ देर उसी महुये यो पेड़ के नीचे आराम फरमा रहे । वहां बैठते ही आपने फरमाया कि इस ड्राख्त की छाय मुझे बहुत भली मालूम होती हैँ लेहाजा हुक्म दिया कि सूरज कुंड के इर्द गिर्द के तमाम पुराने ड्राख्त सिवाये इस महुवे के पेड़ के जिसके नीचे मै बैठा हूँ सब काट डाले जाये और एक खूबसूरत बाग लगाया जाये चुनानचे सालार रजब को इस काम पर मुकार्रर करके खुद बहराइच तशरीफ़ ले आये सालार रज्जब ने लश्कर के बेल दारों को बुलाया और कहा कि सिवाये इस ड्राख्त के तमाम जंगली ड्रख्त झाड़ी झंडी काट डालो और जमीन साफ करदो चुनानचे बेल दारों ने तीन चार दिनमे तमाम ड्रखतो और जंगलो को काट कर तालाब इर्द गिर्द तक़रीबन 500 बेख जमीन बराबर करदी फिर हजरत सय्यद सालार मसूद गाजी रजि अल्लाहु अन्ह को इत्तेला दी आपने खुदहि तशरीफ़ लाकर मुलाखत किया और फरमाया कि कुछ ऐसे आदमियों को मुकर्रर करदो जो हर किसिम के पाऊदे बाग के लिये मुहय्या करें चुनानचे बेला चमेली गुलाब केवड़ा वगैरह वगैरह हर किसिम के पौदे जमा किये गये और एक खूबसूरत बाग तैयार किया गया नेज उसी महुवे के ड्रख्त के नीचे आपके बैठने के लिये एक बड़ा चबूतरा बनाया गया फिर उसके बाद आप बहराइच चले गये,,, 

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Thanks for reading: बहराइच के राजाओं का पैगाम ऐ जंग, Sorry, my Hindi is bad:)

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