जब इश्क फकीरी से हो जाये तो बादशाही किया

जब इश्क फकीरी से हो जाये तो बादशाही किया darvesh aur fukra ki zindagi auliya allah
Sakoonedil

जब इश्क फकीरी से हो जाये तो बादशाही किया

जब इश्क फकीरी से हो जाये तो बादशाही


एक मर्तबा जब शाह सजाह निसार पुर जा रहे थे तो अबु उस्मान भी उनके साथ हो लिये निशार पुर के मोहल्ला हेरी मे अबु हफस ने शाह सजाह के हमराह जब एक अजनबी को देखा तो दरियाफ्ट फरमाया कि ये कौन है शाह शजा ने जवाब दिया उनका नाम अबु उस्मान है उनका ताल्लुक मरु के एक नवाब खानदान से है अगर चे उन्हें हर तरह से दुनियाबी अशाइश मयस्सर है मगर ये रूहानी सुकून की तलाश मे मेरे पास आये हैँ शाह सजा की बात सुनकर अबु हफस ने नवाब जादा को तीखी नजरों से देखा और फिर शाह शजा साहब से कहने लगे कि अगर आप मुनासिब फरमाये तो तो नवाब जादा को कुछ दिनों के लिये मेरे पास छोड़ जाये कियोकि मुझे उनके एक मुकम्मल बा अमल दर्वेश नजर आता है फिर वोह खुदही नवाब जदा से पूछने लगे आये सईद किया आप मेरे पास रहना पसंद करेंगे नवाब जदा ने फौरन हाँ मे जवाब दिया इसपर अबु हफ़्स कहने लगे ये मेरे पास आपके जरिये आये हैँ इसलिये आपका नाम उनसे हमेशा मनसूब रहेगा नवाब जदा ने अबु हफस से दरखुवास्त की कि अगर आप इजाजत दें तो मैं शाह शजा की खिदमत भी कर लिया करुँ अबु हफ़्स ने इसकी इजाजत देदी,



चुनानचे शाह शजा तो कुछ दिनों बाद वापिस आगये और नवाब जदा अबु हफ़्स के पास ही रह गये अब आपका वास्ता अबु हफ़्स हुदाद से था उन्होंने नवाब जदा से पूछा कि तुम्हारी बीवी बच्चे कहाँ हैँ नवाब जदा ने जवाब दिया कि मेरी बीवी और बच्ची दोनों मरू मे रहती हैँ और वाल्देन भी वही रहते हैँ फिर अबु हफ़्स हुदाद कहने लगे एक बार फिर सोच लो सईद अगर तुम मेरे साथ निशा पुर मे रहोगे तो तुम्हें बेपनाह मुश्किलात और परेशानियों का सामना करना पड़ेगा ये बहुत बड़ी आज माइश होंगी किया तुम इसपर पूरा उतर सकोगे नवाब जदा ने जवाब दिया कि मैं हर कठिन और परेशानी का सामना करने के लिये तैयार हू अगर मेरे वाल्देन और बीवी मेरी राह मे आने की कोशिश करेंगे तो मैं उन्हें भी छोड़ दूंगा



नहीं ऐसा हरगिज ना करना अबु हफ़्स हुदाद ने नवाब जादा को टोक दिया सईद सायद तुम ये नहीं जानते कि हुकूक अल इबाद से कोताही करने वाले कभी भी डरवेशी की राह नहीं पा सकते अबु हफ़्स की नसीहत सुनकर नवाब जादा साहब फौरन घर वापस आये आपकी बीवी काफी परेशान थी लेकिन माँ बाप इसके लिये राजी हो गये थे कियोकि उन्हें जिस बात का डर था बिलकुल वैसा ही हो चुका था और उनको मालूम था कि उनका बेटा अब डरवेशी की राह से वापस नहीं लौट सकता लेकिन आपकी बीवी ने रोते हुऐ कहा कि मेरे मालिक अब आप मेरे साथ ही रहें अगर आपने मेरी बात ना मानी तो आप अपने हुकूक से ग़फ़लत मे पड़ेंगे जो कि अल्लाह ताला के नजदीक एक ना पसंददीदा अमल है जब कि आप डरवेशी की राह पर अल्लाह की तस्लीम वा रजा के लिये चल रहे हैँ नवाब जदा ने बीवी से कहा अगर ऐसा ही है तो तू भी मेरे साथ निशा पुर चल जिस जिंदगी की तू बात करती है उसमे सिवाये शर्मान्दगी और नदामत के कुछ नहीं है लेकिन इस जिंदगी से निजात का और फ़लाह का रास्ता नहीं मिलता अगर तू मेरे साथ ये सारी तकलीफ बर्दास्त कर सकती है तो मैं तुम्हें अपने साथ लेकर जाने को तैयार हू



आपकी बीवी ने चन्द लम्हे मौजूदा अय्याशियों और दर्वेशी की राह मे आने वाली परेशानियों दुशवारियों को ना देखा और फिर इन्तेहाई पुख्ता इरादा के साथ नवाब जदा से बोली कि वोह उनके साथ ही जायेगी नवाब जदा बीवी के इस फैसले से बहुत मसरूर हुऐ फिर उन्होंने माँ बाप को भी बीवी के इस फैसले से खबर किया माँ तो ये सुनकर बहुत परेशान हुई मगर बाप उन्हें समझाते हुऐ कहने लगा कि शरीफ औरत गम जदा होने की जरुरत नहीं मैंने तो बहुत पहले अंदाजा लगा लिया था कि मेरा बेटा जिन राहों पर चल निकला है वोह खुदा सनासी की तरफ जाती है जब अरफो की तारीख लिखी जायेगी तो उसमे मेरे बेटे का जिक्र भी होगा और बहुत मुमकिन है कि हमारा ये दर्वेश बेटा कयामत के रोज हमारी निजात का सबब बन जाये ये सुनकर नवाब जदा के आँखों से आंसू जारी हो गये मगर उनके इरादे मे कोई नरमी ना आई उसी वक़्त आप अपनी बीवी और बच्ची के साथ निशा पुर रवाना हो गये अबु हफ़्स हुद्दाद ने उन्हें निशा पुर मे ही रहने के लिये एक मकान दे दिया नवाब जदा साहब भी अपने मुर्शिद अबु हफ़्स हुद्दाद के साथ लोहे का काम करने लगे उसी जघा अल्लाह ताला ने आपको एक बेटा अता किया अबु हफ़्स ने नवाब जदा सईद के उस बेटे का नाम उस्मान तजवीज किया और उसी निस्बत से नवाब जदा सईद अबु उसमान के नाम से मशहूर हुऐ


आपके मुर्शिद अबु हफ़्स ने एक रोज फरमाया मैं भी कितना खुश नसीब हू कि जिसको मैंने अबा मे तलाश किया उसको मैंने अपनी कबा मे मौजूद पाया अबु हफ़्स का ये इशारा शाह शजा करमानी और अबु उसमान की तरफ था कि जिन्होंने बादशाही को ठुकराकर गदाई का लिबास औठ लिया हजरत अबु उसमान एक रोज अपने वक़्त के अजीम जय्यद और आलिम यहया बिन मुआज के पास चले गये यहया बिन मुआज ने उनसे पूछा कि अब तक वोह उनसे कियों दूर रहे अबु उसमान ने जवाब दिया कि आला हजरत मैं तो आपके पास आने के लिये काफी अरसा से बेताब था मगर कुछ ताकतें मुझे आपके पास आने से रोक रही थी मगर अब गैबी ताकत ने मेरी मदद और रहनुमाइ की है जिसकी वजा से मैं आपके पास पहुंचने मे कामयाब हुआ इसपर यहया बिन मुआज फरमाने लगे अबु उसमान तुम जैसे शान रखने वाले फकीर इस दुनियां मे बहुत कम पैदा होंगे आपने कुछ अरसा तक यहया बिन मुआज के यहाँ क्याम किया और फिर वापस अबु हफ़्स की खिदमत मे हाजिर हो गये 

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Thanks for reading: जब इश्क फकीरी से हो जाये तो बादशाही किया, Sorry, my Hindi is bad:)

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