गाजी सरकार को शहीद करने की साजिश जहरीली नहरनी

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 गाजी सरकार को शहीद करने की साजिश जहरीली नहरनी


कहते हैं कि लालच इंसान को अंधा कर देती है और इस लालच में आकर इंसान घटिया से घटिया हरकतें करने में ज़रा भी हिचक महसूस नहीं करता और इन्तिहाई नीचपन पर उतर आता है। यह नाई भी इसी तरह का एक लालची तबियत का इंसान था। इनाम व इकराम की लालच में राजाओं के दरबार से घर आकर उनसे किये गये वादे के अनुसार एक नहरनी जहर में बुझाकर और खूब तेज करके अपने पास रखी और सतरिख के लिए चल दिया। इधर सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमां शिकार से वापस आकर जुहर के वक्त


सतरिख में वापस आऐ तो यह नाई भी आपकी खिदमत में पहुंचा आदार बजा लाया और आपकी खिदमत में रहने की इच्छा जताई और भेंट स्वरूप जहर में बुझी हुई नहरनी पेश की। आपने मुरव्वत नहरनी लेली और उससे पूछा कि अब तक तुम किसकी खिदमत में थे उसने कहा कि चन्द रोज तक मुसलमानों की खिदमत में था लेकिन इधर कुछ दिनों से हिन्दुओं की खिदमत में लगा हूं। आपने उसके अन्दर खुलूस का जौहर नहीं पाया। सोने के 2 सिक्के देकर उसे वापस कर दिया। उसके जाने के बाद आपने उसकी नहरनी से हाथ की उंगली के नाखून तराशना चाहा नहरनी बहुत तेज थी वह नाखून पार करके गोश्त में उत्तर गई। जख्म गहरा लगा नहरनी का जहर असर करने लगा आप सख्त बेचैन हो गये उंगली में सख्त जलन होने लगी और पूरा जिस्म बुखार से जलने लगा धीरे-धीरे जहर पूरे जिस्म में फैल गया आपके चहरे से परेशानी जाहिर हो रही थी। आपके साथी और खिदमतगार तस्वीश में पड़ गये किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर माजरा किया है। बहुत देर में हकीकत का पता चला और परेशानी व बेचैनी का सबब मालूम हुआ कि नहरनी हज्जाम दे गया था उससे आपने अपने नाखून तराशे हैं वो वास्तव में जहर में मुझायी गयी थी उंगली में जख्म आने से उसका जहर पूरे शरीर में फैल गया था। फौरन लोगों ने जहर मोहरा पानी में घोकर पिलाया आर जहर मोहरा आपके मुंह में रखा दो तीन मर्तबा उसका लुआब आपने पिया। सरीर की हसरत कम होना शुरू हुई और थोड़ी ही देर में जहर का असर जाता रहा आपको आराम मिलने पर सारे लश्कर ने खुदा का शुक्र अदा किया खुशी मनाई और सदाकात तक्सीम की ताकि उनका बुरा चाहने वालों को बदअमनी और फसाद फैलने का अवसर न मिल जाए। आपने मुंशी को हुक्म दिया कि सरहदों के अमीरों के पास खुतूत लिखकर मेरे स्वस्थ्य होने की इत्तिला दी जाये कि खुदा के फजल से मैं शत्रुओं की फितनाअंगेजी से महफूज रहा और मैं हर तरह बखैर व आफियत से हूं। खुतूत देकर कासिदों को इधर-उधर सरहदों की तरफ रवाना किये गये अपने वालिदैन के पास भी आपने कासिद भेजा।


आपकी वालिदा मोहतरमा का इन्तिकाल पुरमलाल यानी माता का स्वर्गवास


जब एलची आपका पत्र लेकर सालार शाहू के पास पहुंचा तो उसे देखकर सालार शाहू बहुत खुश हुए। और एलची को गले लगा कर खुशी का इजहार किया। किन्तु जब उन्हें आप पर नाई की जहर आलूद अर्थात विषैली नहरनी के जहरीले असर और आपकी तकलीफों की खबर हुई तो उन्हें बहुत कष्ट हुआ। और उनपर बेहोशी तारी हो गई कुछ समय बाद जब आप को होश आया और घर के अन्दर जाकर बेटे का हाल मां को सुनाया तो वो भी बेहोश होकर गिर पड़ीं इस सदमे से हजरत बीबी सतरे मुअल्ला की अजीब कैफियत हुई बार बार खत पढ़वाती थी गसी पर गसी तारी होती थी जब ज़रा होश आया तो सालार शाहू ने तसल्ली देते हुए फरमाया कि इस कदर परेशान होने की जरूरत नहीं है। जहर का असर विल्कुल खत्म हो चुका है। खुदा ने जान बचाई है ऐसे मौके पर सदका देना रवां है और हमारा बेटा कुशल से है वोह रोकर जवाब मे फरमाती थी कि जब तक मैं अपने लखते जिगर मसूद को अपनी आँखों से ना देखलूँगी उस वक़्त तक मुझे चैन ना आएगा । किन्तु बेटे की जुदाई मे बहुत ज़ियादा गमगीन रहने लगीं और इतना ज़ियादा गम लाहक हुआ कि उसी सदमे ने उन्हें हमेशा के लिए मरीज बना दिशा। समान दवा इलाज के बावजूद कुछ फायदा ना हुआ आखिर बारहवे रोज फर्जन्द अर्जमंद की जुदाई के सबब 420 हिजरी मे इन्तेकाल कर गई यानी 1029 ई० में इस संसार से रुखसत हो गई ।


इन्ना लिल्लाहि वा इन्ना इलैहिर्राजीऊन 


(देखा इस बीमार-ए- दिल ने आखिर काम तमाम किया)


 सालार साहू को सदमा कमाल हुआ जनाजा पढ़ कर पूरे सम्मान के साथ आप के जनाज़े को महमूद गजनवी के पास गज़नी भेज दिया गया। और यहीं पर उन्हें दफन किया गया। हज़ार हजार रहमतें नाज़िल हो उस अजीम मां पर जिसने अपनी आगोश में एक ऐसे बच्चे को पाल पोस कर बड़ा किया। जिसने अपने सर घड़ की बाज़ी लगा कर हिन्दुस्तान में इस्लाम का दीपक रौशन कर दिया।


सालार शाहू का सतरिख आगमन


हज़रत बीबी सतरे मोअल्ला के इन्तिकाल के कुछ ही दिन बाद सुल्तान महदूद गजनवी का इन्तेकाल बाकौल फरिश्ता और रौजातुस्सफा वगैरह के अनुसार रबीउलआखिर 421 हिजरी यानी सन् 1030 में हुआ और सालार शाह अपनी धर्म पत्नी के इन्तेकाल के बाद अपने लश्कर को लेकर सालार मसूद से मिलने सतरिख मे चले आये । इस लिए अनुमान यह है कि सुल्तान महमूद गजनवी के इन्तेकाल से कुछ दिन या बाद में सतरिख आए।


हजरत सालार मसूद सतरिख मे अपनी वालदा मुकर्रमा की वफात की खबर सुनकर सख्त बेचैन हो गए खूने दिल ने जोश मारा मोहब्बत मादरी ने बेहोश कर दिया जब बेताबी की वजा से घबराते थे तो ये जुमला जुबान पर लाते थे कि मखदूमा आलम ने हमारी बीमारी की खबर सुनकर जान देदी लेकिन मुझे खबर भी ना की अब हर दम मेरा नाज कौन उठायेगा ? मेरे सीने पर दस्ते शफकत कौन फेरेगा ऐसे दर्द भरे कलाम फरमाते थे कि सुनने वालों के दिल फ़टे जाते थे,,,

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Thanks for reading: गाजी सरकार को शहीद करने की साजिश जहरीली नहरनी, Sorry, my Hindi is bad:)

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