हज़रत सय्यद मीरा हुसैन की रूहानी मदद

हज़रत सय्यद मीरा हुसैन की रूहानी मदद hazrat sayyad mira hussain janjani ki kramat ruhaniyat
Sakoonedil

 कोठ की बीमारी से शिफा

हज़रत सय्यद मीरा हुसैन की रूहानी मदद


हजरत सय्यद मीरा हुसैन जन्जानी के जमाने का वाक़्या है कि उस दौर मे लाहौर के मशरिक इलाके मे एक हिंदू राम चंद्र नामी रहता था जो बड़ा अमीर कबीर बहुत से आलीशान मकान वा जमीन का मालिक था लेकिन उसे कोठ की बीमारी थी उस बीमारी की वजा से वोह जिंदगी से बेजार हो चूका था और उसका ये हाल हो चूका था कि कपडे भी नहीं पहन सकता था जब उसने आपकी रूहानियत का चर्चा सुना तो आपकी खिदमत मे हाजिर हुआ और अर्ज की कि या हजरत मेरी हालत बेहाल आपके सामने है मुझे इस अजाब से निजात दिलाने के लिये कुछ कीजिये आपने देखा कि उसके जिस्म से बदबू आरही थी और पीप बह रही थी चुनानचे आपने उसी वक़्त थोड़ा सा पानी उसे दम करके दिया जिसे वोह आम पानी मे मिलाकर रोज नहाता और आपकी खिदमत मे हाजिर होता रहता इस पानी की तासीर और आपकी दुआ के असर से सिर्फ दस दिन मे तंदुरुस्त हो गया आपकी करामत का उसपर इतना असर हुआ कि सेहत याब होते हि इस्लाम कबूल कर लिया और आपने उसका नाम अब्दुल्लाह रखा


एक अकीदत मन्द का रूहानी मदद का वाक़्या


एक दफा एक अकीदत मन्द जो हजरत सय्यद मीरा हुसैन जंजानी के पास आता जाता रहता था और आपकी बुजुर्गी का इन्तेहाई कायल था वोह किसी काम के लिये दरियाये रावी के किनारे पर आया दरिया को कस्ती से पार किया उसके बाद एक मुकाम पर गया जहाँ उसे काम था काम करने के बाद वापिस लौटा अभी दरिया तक पहुंचने भी ना पाया था कि अचानक मौसम खराब हो गया तेज अंधी चलना शुरू हो गई साथ ही बारिश होने लगी तूफान का शमा पैदा हो गया मगर उसी खराब मौसम मे दरिया के किनारे तक वापस पहुंच गया ताकि कस्ती से दरिया को पार करके घर की राह ले लेकिन मौसम की खराबी के कारण उसी वापसी के लिये कोई कस्ती ना मिली इतने मे रात की तरीकी छा गई लेकिन जूँ जूँ रात छाना शुरू हुई जंगल की तन्हाई के खौफ बढ़ने लगा तूफान थम चुका था लेकिन अब वापसी की कोई सूरत नज़र ना आती थी मरता किया ना करता इतने मे उसने देखा कि एक जंगली दरिंदा उसकी तरफ आ रहा है उसे तो जान के लाले पड़ गये लेकिन जैसे ही जान का खतरा लाहक हुआ तो हजरत सय्यद मीरा हुसैन जंजानी को याद करने लगा और अल्लाह से फरियाद करने लगा कि अगर वाक़ई वोह तेरा वली है तो आज उसे मेरी मदद के लिये भेज उसका ये दुआ करना था कि उसने फौरन देखा कि हजरत सय्यद मीरा हुसैन जंजानी उसके सामने खड़े हैँ इतने मे वोह दरिंदा भी करीब आगया था लेकिन जब आपने अल्लाह का नाम लेकर आँखे बंद करने को कहा जैसे ही उसने आँखे बंद की और थोड़ी देर के बाद उसे कहा कि आँखे खोलो जब उसने आँखे खोली तो उसने देखा कि वोह हजरत सय्यद मीरा हुसैन जंजानी की घरमे कमरे के अंदर खड़ा है वोह अपनी जान बचने पर बहुत खुश हुआ और हजरत का बेहद शुक्र गुजार हुआ रात आपके पास ठहरा और दिन होते ही अपनी राह ली ,


अल्लाह के बन्दों की रूहानी मदद


एक दफा का वाक़्या है कि हजरत सय्यद मीरा हुसैन जंजानी किसी काम की गरज से दरियाये रावी के पार दूसरे किनारे पर जाना चाहते थे चुनानचे आपने एक कश्ती वाले मल्लाह संतुराम से कहा कि हमें कश्ती मे बिठा लो मगर हमारे पास किराया नहीं है संतुराम ने कहा कि जा बाबा काम कर अगर हम रोजाना तुम्हारे जैसे लोगों को मुफ्त दरिया पार करवाते रहे तो शाम को रोटी कहाँ से खाये आपने फरमाया कि सबके रिज्क का कारसाज तो अल्लाह है हत्ता कि कश्ती भर गई और कश्ती वाला कश्ती लेकर दरिया मे चल दिया खुदा की कुदरत दरिया मे बहुत तूफान आ रहा था और एक दम आंधी आगई कश्ती काबू से बाहर हो गई और डूबने लगी संतुराम के दिल मे आया कि काश मैं उस दर्वेश को कश्ती मे बिठा लेता तो कश्ती ना डूबती आपका ख्याल आना ही था कि संतुराम ने देखा कि अल्लाह ताला ने अपने बन्दे की ख्याल की बिना पर कश्ती को डूबने से बचा लिया इस तरह आपकी रूहानी मदद से कश्ती डूबने से बच गई उस रोज से संतुराम आपकी तलाश मे रहने लगा आखिर एक रोज आपसे मुलाक़ात हो गई और अपने किये पर मुआफी मांगते हुऐ मुसलमान हो गया आपने उसका नाम मोहम्मद जुबेर रखा 

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Thanks for reading: हज़रत सय्यद मीरा हुसैन की रूहानी मदद , Sorry, my Hindi is bad:)

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