सालार मसऊद की सीरत व एख्लाक

Salar Masud Gazi ki Sirat wa ekhlak सालार मसऊद की सीरत व एख्लाक
Sakoonedil

 सालार मसऊद की सीरत व एख्लाक

Salar masud ki sirat


हजरत सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमा पाकीजा सीरत बुलन्द एख्लाक और आली हिम्मत थे कुदरत ने बड़ी फैय्याज तबियत अता फरमायी थी हर मिलने जुलने वालों और लश्करियों व फौजियों को इनामों इकराम से नवाजते रहते कभी किसी को । महरूम न करते जरूरत के मुताबिक घोड़े , हीरे, जवाहरात, कीमती पोशाक, तलवार, खन्जर अता फरमाते। आपकी फैय्याजी देखकर लोग आपको फखरे हातिम कहते आप बहुत खुश तकरीर थे बड़े अच्छे अन्दाज में गुफ्तगू फरमाते तकवा व परहेजगारी में बेमिसाल थे। हमेशा बावजू रहते नमाजे पंजगाना उनके औकातों पर अदा करते कसरत से नवाफिल पढ़ते आपका जाहिर व बातिन बहुत पाकीजा व साफ था। मिजाज में हद दरजा नजाकत व नफासत थी बैठने उठने की जगह साफ सुथरी होती उम्दा लिबास पहनते इत्र व खुशबू व पान के शौकीन थे जमाले मुहम्मदी आपके चेहरए अनवर से टपकता था।


आपकी मुजाहिदाना जिन्दगी पर नजर डालने के बाद हर कोई यह मान लेता कि वास्तव में आप बहुत बड़े मुजाहिद और बहुत अच्छे कमाण्डर थे इतनी बड़ी फौज आपके जेरे कमान थी जिनमें अक्सर लोग उम्र में आपसे बड़े थे। लेकिन कोई एक व्यक्ति भी आपसे ब‌द्दिल नजर नहीं आता यह सब आपकी आला कायदाना सलाहियत का सुबूत है।


शुजाअत व बहादुरी


हजरत सैय्यद सालार मसऊद गाजी अलैहिर्रहमा जिस तरह अपनी दूसरी बातों में एक अलग शान रखते थे उसी तरह बहादुरी में बेमिसाल थे और ऐसा क्यों न हो यह सब तो अपने पूर्वज हजरत शेरे खुदा फातेह खैबर अली मुर्तुजा रजी० से वर्सा में मिली थी किसी ने क्या खूब कहा है-


अली का घर भी वह घर है जिस घर का एक बच्चा । जहां पैदा हुआ शेरे खुदा मालूम होता है।


आप एक महान हुकमरां सुल्तान महमूद गजनवी के भांजे और उनकी सेना के एक बड़े कमाण्डर साहू सलार के इकलौते बेटे थे कितने नाज व नेअमत में आपकी परवरिश हुई होगी। यह कोई ढकी छुपी बात नहीं आप चाहते तो पूरा जीवन एक शहजादे की तरह गुजारते कदम कदम पर नौकर चाकर हाजिर रहते ऐश व इश्रत के तामाम सामान फराहम होते और जवानी की उमंगों में डूब कर जीवन बिताते लेकिन आपने इसे पसन्द न फरमाया यह सब बाते आपके मिजाज के खिलाफ थीं। कुदरत ने आपके सीने में एक मुजाहिद और गाजी का दिल देकर पैदा किया था। ऐश व इश्रत की जिन्दगी क्यों कर रास आती 13-14 साल की उम्र में गजनी सलतनत से मुंह मोड़ कर परेशानियों व मुसीबतों की पर्वाह किये बगैर बीहड़ रास्तों और जंगलों, पहाड़ों, खतरनाक दरियाओं, लम्बे चौड़े सफर को तय करते हुए कदम कदम पर दुश्मनी ताकतों से टकराते हुए आगे बढ़ते और इस्लाम का झण्डा लहराते हैं।


आपका पूरा जीवन हिम्मत व बहादुरी जवां मर्दी और साबित कदमी की जिन्दा मिसाल है। बहराइच के युद्धों से इसका अन्दाजा अच्छी तरह लगाया जा सकता है। पूरा मन्जर निगाहों में लाइये तो दिल लरज उठता है। तमाम जांनिसार साथी बेयारों मददगार वतन से दूर दुश्मनों की तीरों की बौछारों से एक-एक करके शहीद हो जाते हैं। उनकी बेगौर व कफन लाशें आपकी निगाहों के सामने पड़ी है किस कदर दिल दहला देने वाला कयामत खेज मन्जर है आपके दिल पर क्या गुजरी होगी। फिर भी आपकी हिम्मत मे जरा भी कमी नहीं आयी। आप साबित कदम रहे पूरे अज्मो हिम्मत के साथ हालात का मुकाबला करते हैं और अपना फर्ज अन्जाम देते हैं। आपको लालथ छू भी नही गया था आपके बड़े फैय्याज आली ज़फ मुहब्बत और हुस्न व एखलाक के पैकर थे यही वजह थी कि लोग आपको दिलो जान से चाहते थे।


गजनी सलतनत से कोई सहायता लिए बिना जब आप हिन्दुस्तान जिहाद के लिए निकले तो हजारों लोग बिना दुनियाबी फायदा सोंचे बगैर आपके साथ हो गये।


आपकी ईमानदारी, इंसाफ और हक गोई समझने के लिए यह काफी है कि जब आपको अनाज की जरूरत महसूस हुई तो मुफ्त नहीं लिया बल्कि उसकी पूरी कीमत अदा की और जमीदारों के इन्कार के बावजूद बतौर पेशगी वाजबी कीमत अता की।


आप अमन पसन्द और सुलहजूह थे कभी भी जंग के लिए पेश


कदमी नहीं की  जब बहराइच के राजाओं ने आप पर जोर डाला कि बहराइच छोड़ कर चले जायें वरना फिर जंग के लिए तैयार हो जायें। इसके जवाब में आपने सुलह व शान्ति के लिए आरजी सुलह की पेशकश की जिसे कबूल नहीं किया गया। मेरठ और कन्नौज के राजाओं ने अच्छे बर्ताव का सुबूत दिया तो आपने भी उनसे किसी किस्म की छेड़-छाड़ न की। उनको उनके हाल पर छोड़ कर आगे बढ़ गये आपकी मुरव्वत और रवादारी की यह भी एक मिसाल है कि कोहे जुम्ला के राजाओं जोगी दास और गोविन्द दास ने आपसे मुलाकात की ख्वाहिश जाहिर की तो आपने जवाबन कहला भेजा कि मैं मुलाकात से रोकता नहीं मगर जहमत उठाने से क्या फायदा आप लोग मेरी तरफ से मुतमीन रहें लेकिन जब आपको बहुत अधिक मजबूर किया गया तो सियासी जरूरतों और इंसाफ की बिना पर अपने या अपने साथियों के साथ ज्यादती और सख्ती करने वालों को सजा जरूर दी। जैसा कि आपने कस्बा रावल के राजा शिवकन्द के ऊपर चढ़ाई करके उसे उसके किये की सजा दी वरना माफी और दर गुजर आपकी आम पोलिसी थी। जैसा कि जहरीली नहरनी पेश करने वाले हज्जाम को माफ कर देने से होती है। आपने वालिदे मोहतरम से कहा कि इसने दूसरे के बहकावे में आकर यह जुर्म किया है इसे माफ कर दिया जाये। आप इस्लाम के उसूल व कानून के पाबन्द थे। इस्लाम ने जुल्म व ज्यादती और दीन में जब्र व जुल्म की हर्गिज इजाजत नहीं दी। 


इस्लाम की तालीम है (एक कुरआन की आयत का तर्जुमा) दीन में कोई जोर जबरदस्ती नहीं सच्चा और नेक रास्ता गुमराही से मुम्ताज य अफजल है। कुछ लोगों का यह कहना है कि जंग और मुहब्बत में सब कुछ जायज है मगर इस्लाम की यह तालीम है कि तुम किसी कौम की अदावत में इतना आगे न बढ़ जाओ कि इन्साफ न कर सको और उसकी अदावत तुम्हें हद से गुजार दे और तुम परहेज गारी से दूर हो जाओ।


इस्लाम में तबलीग या धर्म प्रचार पर जोर दिया गया है मगर इस हुक्म के साथ कि तुम लोगों को अपने रब के रास्ते की तरफ अकलमन्दी और अच्छी-अच्छी बातों के जरिए बुलाओ और बहुत मुनासिब तरीकों से बहस करो ताकि लोग तुम्हारी तरफ मायल हौं।


रसूल अल्ला सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम और सहाबा इकराम


रजी अल्लाहु ताला अन्हुम की जिन्दगी में भी इन तालीमात की भरपूर अम्ली नमूने मौजूद हैं। रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के कब्जे में जब पूरा आ गया तो नजरान के ईसाइयों के साथ आपका पहला मुआमला हुअ आपने उनको यह अधिकार दिये कि नजरान और उसके चारों तरफ के बासिन्दों की जानें उनका धर्म, मजबह उनकी जमीनें, उनका माल, उनके काफिले, उनकी औरते बच्चे अल्लाह की अमान और उसके रसूल की जमानत में है उनकी मौजूदा हालत में कोई बदलाव न किया जाए और न उनके हुकूक में से किसी हक में दस्त अन्दाजी की जाए। कोई साहिब या पादरी को उनके ओहदे से न हटाया जाए उनके जमाने जाहिलियत के किसी जुर्म या खून का बदला न लिया जायगा न फौजी खिदमत जी जाएगी न उन पर टैक्स जगाया जायगा और न इस्लामी फौज उनकी जमीन को पामाल करेगी न उन पर जुल्म होगा जब तक वह मुसलमानों के खैर खुवाह रहेंगे उनके साथ किये गये सारे वादों की पावन्दी की जाएगी उनके। जुल्म से किसी बात पर गजबूर न किया जाएगा।


हजरत अबू बकर सिद्दीक रजी० के ज़माने में जब हज़रत

खालिद बिन वलीद ने हैरा को फतेह किया तो हैरा वालें को यह ज़मानत दी गयी कि उनकी खानकाहें और गिरजे ढाए नहीं जाएंगें और न उनके ईद (त्योहार) के दिन उनको शंख बजाने और सलीबें निकालने से रोका जाएगा (किताबुल खिराज पृष्ठ संख्या 84)


हज़रत उमर रज़ी० ने जब बैतुल मुकद्दम फतेह किया तो वहां के ईशाइयों को यह हुकूक (अधिकार) दिए कि उनकी जान की अमान (सुरक्षा) होगी उनके गिरजों में सुकूनत अख्तियार न की जाएगी न वह गिराए जाएंगे और न उनको न उनके अहातों को नुकसान पहुंचाया जाएगा न उनकी सलीबों और न उनके माल में कुछ कमी की जाएगी न मज़हब के मामले में उनपर जब्र किया जाएगा। न उनको किसी किस्म का नुकसान पहुंचाया जाएगा। (तिबरी जिल्द पांच पृष्ठ संख्या 2405) उन्ही इस्लामी तालीमात का (शिक्षा) प्रभाव था कि आपने बालार्क मूर्ति तोड़ने से मना फरमाया। आपकी रवादारी भेदभाव और तअस्सुब से पाक अमल व किरदार का नमूना है।

Salar Masud Gazi ki Sirat wa ekhlak

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Thanks for reading: सालार मसऊद की सीरत व एख्लाक, Sorry, my Hindi is bad:)

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