अबु उसमान और खूबसूरत हूर सिफ़त बांदी

Hazrat abu usman aur ek Khoobsurat kanij bandi ka dil afroj waqya auliya allah
Sakoonedil

अबु उसमान और खूबसूरत हूर सिफ़त बांदी

Hazrat abu usman aur ek bandi


 एक मर्तबा निशा पुर का एक ताजिर कहीं से आया और खामोशी से आपकी मजलिस मे बैठकर आपका तकरीर सुनने लगा जब आपने तकरीर खतम किया तो उसे अपने पास बुला कर आने की वजा पूछी ताजिर ने कहा वोह तन्हाई मे आपसे कुछ अर्ज करना चाहता है चुनानचे जब सारे मुरीद बाहर चले गये तो ताजिर कहने लगा हजरत शहर असफहान मे एक वेपारी आया था उसने मुझसे कुछ माल उधार लिया था और वादा किया था कि आने वाले साल वोह इस माल की अदा कर देगा मगर एक साल गुजरने के बाद वोह अदाईगी पर अमादा नजर नहीं आता अब मुझे खबर मिली है कि वोह हरात मे आके रुका है मगर निशा पुर नहीं आना चाहता ताकि कहीं मैं उससे पैसे ना मांगलु फिर ताजिर ने कहा मेरा मसला ये है कि मैं फौरी तौर पर हरात पहुंचना चाहता हू मगर एक मजबूरी मेरी राह मे हायल है अगर आप मदद फरमाये तो मैं आपका ज़िन्दगी भर एहसान मन्द रहूँगा अबु उसमान हेरी ने पूछा कि तुम्हारी किया मज़बूरी है वोह ताजिर झिझकते हुऐ कहने लगा कुछ अरसा पहले मुझे एक कनीज पसंद आई थी जिसे मैंने खरीद लिया था मेरा मसला ये है कि अगर उस कनीज को तन्हा घरमे रखता हू तब भी खतरा रहता है और अगर उसे अपने साथ ले जाने को सोचता हू तो उस सूरत मे भी मुश्किलात नजर आती है अगर आप उस कनीज को अपने पास अमानत के तौर पर रखले तो मैं वापसी पर उसे अपने साथ लें जाऊंगा अबु उसमान ने पूछा तुम्हारी वापसी का अंदाजा कब तक है ताजिर ने बताया कि वोह ज़ियादा से ज़ियादा 3 महीने तक वापिस लौट आयेगा अबु उसमान ताजिर की बात सुनकर कुछ पल सोचते रहे और फिर ताजिर से कहने लगे उस कनीज को मेरे बीवी बच्चों के पास छोड़ दे और उसे इस बात की सख़्ती से बता दी की वोह मेरे हुजरे के पास गलती से भी ना आये अब तो ताजिर की खुशी की कोई इन्तेहा ना रही उसने फौरन कनीज को अबु उसमान के बीवी बच्चों के पास छोड़ा और खुद हरात रवाना हो गया और जब वहाँ पहुंच कर जब पता चला कि वोह ताजिर वहाँ से गजनी जा चुका है तो वोह भी उसके पीछे पीछे गजनी चला गया,



इधर उसमान हेरी इस कोशिश मे थे कि किसी भी तौर उनकी निगाह उस कनीज पर ना पड़े इसलिये वोह घरमे बहुत कम आने लगे थे दूसरी तरफ आपकी बीवी औरत होने के बावजूद कनीज की खूबसूरती से बहुत मुतासिर थी वोह अक्सर दिल मे सोचती कि ऐसी कनीज को तो किसी महल मे मलिका बन कर रहना चाहिए था एक रोज अबु उसमान की बीवी ने उनसे कहा कि आप जरा गौर से उस कनीज को देखे उसकी ख़ूबसूरती देखकर आप भी हैरत जदा रह जायेंगे मगर ये कैसे मुमकिन है? अबु उसमान ने कहा,, उसमे मुश्किल वाली कौनसी बात है कनीज घरमे मौजूद है आप जब चाहें उसे देख सकते हैँ आपकी बीवी ने एक इस तरह से आपको आजमाइश मे डाल दिया था जिसकी वजा से ला सऊरी तौर आपका धियान उस कनीज की तरफ खिच रहा था फिर अचानक एक रोज जब अबु उसमान हेरी ने कनीज को अपने हुजरे मे दाखिल होते हुऐ देखा तो हैरत जदा रह गये मगर कनीज आपको देखकर जर्रा बराबर भी परेशान ना हुई और बड़े ऐत्माद से कहने लगी किया आपही अबु उसमान हैँ?



मैं तो अबु उसमान ही हू मगर तुम यहाँ हुजरे मे किस लिये आई हो ? अबु उसमान ने पूछा,, इसपर कनीज कहने लगी मैं यहाँ आपसे ये पूछने आई हू कि वोह ताजिर जो मुझे आपके पास बतौरे अमानत रख के गया है कब तक वापिस लौट आयेगा आपने जवाब दिया कि उसने दो तीन महीने बाद आने को कहा था जो टाइम दिया था उसने वोह तो गुजर चुकी है बहरहाल उम्मीद है कि वोह जल्दी वापस लौट आयेगा,


वोह तू ठीक है बुजुर्ग वार मगर मैं किया करुँ मेरा तो यहाँ पर दम घुटने लगा है हद तो ये है कि मैं किसी से बात भी नहीं कर सकती आखिर मुझे किस जुर्म की ये सजा मिल रही है कनीज के अंदाज मे एक किसीम का सिकवा था अबु उसमान मालूम नहीं उसका किया जवाब देना चाहते थे मगर गैर इरादी तौर पर उन्होंने कनीज से कह दिया कि जब कभी तबियत मजमहिल होतो यहाँ चली आया करो मैं तुम्हारा मसला सुन लिया करूँगा जब कनीज ने ये बात सुनी जिसकी उम्मीद भी ना थी तो उसकी खुशी की कोई इन्तेहा ना रही उसने मुस्कुराते हुऐ आपका शुक्रिया अदा किया और अगले रोज आने का वादा करके चली गई मगर उसके जाते ही हजरत उसमान हेरी को अपनी गलती का एहसास हुआ खुदसे कहने लगे कि ये मैंने किया कर दिया कनीज तो एक तरह से मेरे ईमान का सौदा करके चली गई है फिर उसी रोज जिस वक़्त आप ईशा की नमाज पढ़ने का इरादा कर रहें थे तो आपको उस कनीज का ख्याल आ गया जिससे दिल वा दिमाग़ पर एक किस्म का सुरूर छा गया अल गर्ज ये कि कनीज के तसव्वर ने उनकी पुर सुकून ज़िन्दगी मे इस कदर खलल डाल दिया कि आप फौरन अपने पीर वा मुर्शिद अबु हफ़्स हुदाद की खिदमत मे हाजिर हुऐ और उन्हें सारा माजरा सुना कर कहने लगे कि कनीज ने उन्हें आजमाइश की भट्टी मे डाल दिया है आपके पिरो मुर्शिद ने पूरा वाक़्या सुनने के बाद कहा कि अब मैं तुम्हारे लिये किया कर सकता हू तुझसे किसने कहा था कि इस जहद सिकन कनीज को अपने घरमे रखे ?



अब तो अबु उसमान हेरी बच्चों की तरह रोने लगे इस कदर आंसू बहाये कि आपकी दाढ़ी भीग गई आपने मुर्शिद से कहने लगे कि अगर वोह हसीना कुछ दिन उनके यहाँ रही तो वोह तबाह और बर्बाद हो जायेंगे अबु हफ़्स हुद्दाद कहने लगे अबु उसमान मैं इस सिलसिले मे तुम्हारी रहनुमाइ नहीं कर सकता तुम रे शहर मे चले जाओ वहाँ यूसुफ़ बिन हुसैन रहते हैँ वही तुम्हारे इस मसले का हल बता सकते हैँ अब उसमान ने कहा पीरो मुर्शिद रे तो निशा पुर से बहुत ज़ियादा दूर है अबु हफ़्स हुद्दाद ने सीधा सीधा कह दिया कि कुछ भी हो अब तो तुम्हें वहाँ जाना ही पड़ेगा अबु उसमान कैसे ना कैसे रे शहर पहुंच गये और लोगों से पूछा कि यहाँ कोई यूसुफ़ बिन हुसैन रहते हैँ,



लोग आपके इस सवाल से बहुत हैरान हुऐ और कहने लगे कि आप यूसुफ़ बिन हुसैन ऐसे जनदीक के पास किया लेने जायेंगे उसको तो पूरे शहर ने छोड़ रखा है वहाँ पर मौजूद एक शख्स ने कहा जनाब आप तो खुद शकल से बुजुर्ग मालूम होते हैँ मगर जब अबु उसमान हेरी यूसुफ़ बिन पर मिलने पर जिद करने लगे तो एक शख्स आपको यूसुफ़ बिन हुसैन के घर तक पहुंचाने के लिये आपके साथ चल दिया आपको साथ ले जाने वाले शख्स ने आपको एक दुकान मे खड़ा किया और आपको खामोशी से एक खिड़की के रास्ते दुकान के अंदर देखने का इशारा किया अबु उसमान ने देखा कि अंदर एक शख्स एक खूबसूरत लड़के के साथ बैठा हुआ है और पास ही शराब की सुराही रखी हुई है ये मंजर देख कर अबु उसमान ने खिड़की से निगाह हटा ली और दिल मे सोचने लगे ये शख्स भला मेरी किया रहनुमाइ करेगा आपको साथ लाने वाले शख्स ने कहा अब फरमाइये ऐसे शख्स से आप किया हासिल कर सकते हैँ अबु उसमान ने कहा मैंने सब कुछ देख लिया है मैं अभी निशा पुर वापस लौट जाऊंगा,


निशा पुर वापस आकर अबु उसमान हेरी ने जब ये वाक़्या अबु हफ़्स हुद्दाद को सुनाया तो वोह बहुत गुस्सा हुऐ और कहने लगे कि रे के लोगों ने तुम्हें वर्ग लाया है और एक सच्चे खुदा रशीदा शख्स से तुम्हें मिलने नहीं दिया गया जब मैंने तुम्हें खुद कहा था तुम्हारे मर्ज का इलाज यूसुफ़ बिन हुसैन के पास है तो फिर तूने मेरी बात कियों ना मानी अब बेहतरी यही है कि तुम दुबारा जाओ और यूसुफ़ बिन हुसैन से मिलो अबु उसमान वापस रे जाने ही वाले थे कि घरसे एक मुरीद ने आकर कहा कि हजरत घर वाले बहुत परेशान हैँ आप फौरन घर तसरीफ लें चले आपने मुरीद से कहा मैं दुबारा रे जा रहा हू तुम मेरे घर वालों को खबर कर देना मुरीद ने दुबारा मौका पाकर धीरे से आपके कान मे कहा कि वोह रश्के हूर कनीज आपको बेहद याद करती है मुरीद की बात सुनकर आपको एहसास हुआ कि जैसे शैतान आपको एक बार फिर वर्गला p है आपने लाहौल पढ़ी और दुबारा निशा पुर से रवाना हो गये,



रे मे रुकने के दौरान आपकी उसी शख्स से दुबारा मुलाक़ात हो गई उसने भी आपको पहचान लिया और इन्तहाई ख़ुशी के आलम मे बोला आप फिर आगये, आपने जवाब हाँ मैं यूसुफ़ बिन हुसैन से लाजमी तौर पर मिलना चाहता हू वोह शख्स अफ़सोस के आलम मे कहने लगा आप फिर इस जनदीक से मिलने आगये हैँ काश आपमें अकल होती और मैं आपको समझा सकता बहर हाल उस शख्स ने आपको यूसुफ़ बिन हुसैन के पास भेज दिया आपको देखते ही यूसुफ़ बिन हुसैन बोले अबु उसमान तुमने खिड़की के पास खड़े होकर दुकान के माहौल का जाइजा लिया था और मुझसे कोई बात किये बगैर वापिस लौट गये थे ये सुनकर अबु उसमान हेरी काफी शर्मिंदा हुऐ यूसुफ़ बिन हुसैन ने पूछा मेरा दोस्त अबु हफ़्स हुद्दाद कैसा है आपने जवाब दिया वोह बिल्कुल ठीक हैँ और आपको सलाम कहते हैँ फिर वोह अबु उसमान से कहने लगे कि अब अपने आने की वजा बताओ,



आपने फरमाया कि जो शख्स तार्रूफ के बगैर मेरा नाम पुकारे और मेरे पीरो मुर्शिद अबु हफ़्स हुद्दाद के बारे मे बताये उसे मैं जुबान से किया बताऊ उस वक़्त भी वोह नौजवान लड़का यूसुफ़ बिन हुसैन के पास बैठा था करीब ही सुराही भी रखी हुई थी उसने सुराही को एण्डा और रंगीन पानी पी लिया अबु उसमान को कराहत हुई लेकिन मुँह से कुछ ना बोले उसी दौरान यूसुफ़ बिन हुसैन कहने लगे वोह ताजिर अभी वापस नहीं आया तुम खूबसूरत कनीज को अपने पास कब तक रखोगे अब तो अबु उसमान का पैमाना सब्र से लबरेज हो गया वोह यूसुफ़ बिन हुसैन से कहने लगे हजरत एक तरफ तो आप इतने रोशन जमीर हैँ और दूसरी तरफ ये बुरी आदते मैं कुछ समझा नहीं यूसुफ़ बिन हुसैन ने पूछा की ये आपने किया कह दिया है कैसी बुरी आदतें अबु उसमान ने लड़के और फिर सुराही की तरफ इशारा किया इसपर यूसुफ़ बिन हुसैन कहने लगे ये मेरा बेटा है इसकी माँ का इन्तेकाल हो गया है इस लिये इसे मैं हर वक़्त अपनी नजरों के सामने रखता हू और खुदही इसे पढ़ाता हू रही ये सुराही तो इसको मैं बट्टी से निकाल कर लाया हू और इसे पाक साफ करके अपने काम मे लाता हू अब तुम पूछोगे कि सुराही के अंदर किया है तो वोह कोई नापाक चीज नहीं बल्कि रंज दार मीठा सरबत है उनकी हकीकत जान कर अबु उसमान हैरत जदा रह गये और अपनी सोच पर बहुत शर्मिंदा हुऐ फिर यूसुफ़ बिन हुसैन ने मुस्कुराते हुऐ अबु उसमान ने कहा कि वोह निशा पुर वापस चले जाये कियोकि जिस मकसद के लिये आप दुबारा यहाँ आये हैँ वोह पूरा हो चुका है,


अबु उसमान ने पूछा मगर वोह किस तरह इसपर यूसुफ़ बिन हुसैन बोले कि आपने पहली बार यहाँ आने पर 30 दिन बर्बाद किये फिर वापस गये और दुबारा आगये अब फिर आप वापस जायेंगे तो जरा खुद हिसाब लगाकर बताये कि कितने दिन हुऐ ये वादा और इन्तेजार 90 दिन का था और उन 90 दिनों को सफर मे निकाल दिया गया अब आप निशा पुर वापस लौट जाये और आइंदा खुदको आजमाइश की भट्टी से दूर रखे यूसुफ़ बिन हुसैन के बताने से अबु उसमान वापिस निशा पुर चले आये और अबु हफ़्स को सारा वाक़्या सुना दिया अबु हफ़्स के होंटो पर मुस्कुराहट फैल गई और वोह कहने लगे हाँ उसमान वादे और इन्तेजार के 90 दिन किसी ना किसी तरह गुजारने ही थे लेहाजा अब तुम घर जाओ अबु उसमान जब घर पहुचे तो बीवी ने बताया कि ताजिर आया था वोह अपनी कनीज को वापिस ले गया है,,,

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Thanks for reading: अबु उसमान और खूबसूरत हूर सिफ़त बांदी , Sorry, my Hindi is bad:)

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