अल्लाह की रजा की खुवाहिश
हजरत अली दकाक ने फरमाया कि मैंने एक वीरान मस्जिद मे ऐसे जइफ अल उमर शख्स को बेक़रारी के साथ गिरया वजारी करते देखा कि उसकी आँखों से आँसू के बजाये खून बह रहे थे जिससे मस्जिद का फर्श भी खून आलूदा हो चुका था मैंने उसके नजदीक पहुंच कर दरखुवास्त की कि अपने हाल पर रहम खाते हुऐ इस कदर ना रोवो उसने मेरी तरफ देखते हुऐ कहा कि जवान मैं बता नहीं सकता कि मेरी कुव्वत उसकी खुवाहिश दीद मे खतम हो चुकि है ये कहने के बाद उसने एक वाक़्या बयान किया कि किसी गुलाम से उसका आका नाराज हो गया और उसे अपने पास से निकाल दिया लेकिन लोगों की सिफारिश पर उसका कुसूर माफ कर दिया उसके बावजूद भी वोह गुलाम हर वक़्त गिरया वजारी करता रहता और जब लोगों ने उससे पूछा कि अब तो आका ने तेरा कुसूर माफ कर दिया है फिर कियों रोता रहता है लेकिन गुलाम ने कोई जवाब नहीं दिया फिर आका ना कहा कि अब इसको मेरी रजा की खुवाहिश है कियोकि ये अच्छी तरह समझ चुका है कि मेरे बगैर इसका कोई चाराकार नहीं है,
अल्लाह अपने बन्दों के लिये काफी है
हजरत अबु अली दकाक ने फरमाया कि एक मर्तबा मेरी आँखों मे ऐसा शदीद दर्द उठा कि मैं उसकी अजियत से मुजतर्ब वा बेचैन हो गया और उसी हालत मे मुझे नींद आगई और खुवाब मे मैंने किसी कहने वाले की ये आवाज़ सुनी, किया अल्लाह अपने बन्दों के लिये काफी नहीं है और जब मेरी आंख खुली तो दर्द खतम हो चुका था जिसके बाद से फिर कभी मेरी आंख मे कोई तकलीफ नहीं हुई,,,
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Thanks for reading: अल्लाह अपने बन्दों के लिये काफी है, Sorry, my Hindi is bad:)