हजरत शैख़ अबु सईद के बचपन का वाक़्या
हजरत शैख़ अबु सईद के बचपन का वाक़्या है कि एक दिन आप नमाजे जुमा के लिये वालिद के साथ तसरीफ ले जा रहे थे कि रास्ते मे हजरत अबु अल क़ासिम बशर यासीन से मुलाक़ात हो गई आप बड़े बुलंद वली अल्लाह थे कमसिन शैख़ अबु सईद को देखा तो पूछा अबु अल खैर किया ये तुम्हारा बच्चा है हाँ मे जवाब सुनकर आप अपना चेहरा अकदस हजरत अबु सईद के चेहरे के करीब ले गये और फिर आँखों मे आँसू आगये फिर बाबा अबु अल खैर से मुख़ातिब होकर फरमाया मैं ऐसी हालत मे दुनियां से कैसे रुखसत हों सकता था कि मुकामे विलायत खाली रह जाता तेरे बच्चे को विलायत मे से काफी हिस्सा मिलेगा उसे नमाज के बाद मेरे पास लाना
नमाज के बाद हजरत अबु अल खैर हजरत अबु अल क़ासिम बशर के दौलत खाने पर तशरीफ ले गये हुजरे मे एक बड़ा ताक्यह था हजरत अबु अल खैर से फरमाया बेटे को कंधे पर बिठा कर ऊचा करो ताकि वहाँ पर रखी हुई जौ की एक टिकिया को उतारे हजरत अबु सईद ने जब उस टिकिया को पकड़ा तो वोह गरम थी हजरत अबु अल क़ासिम बशर यासीन ने वोह टिकिया हाथ मे पकड़ ली और फरमाया अबु अल खैर इस टिकिया को ताकचे मे रखे हुऐ 30 साल हो गये हैँ मुझसे ये वादा किया था कि ये टिकिया जिसके हाथ मे पहुंच के गरम हों जायेगी उसकी बरकत से एक जहाँ जिन्दा हों जायेगा और वोह अपने वक़्त का बहुत बड़ा वली कामिल होगा ये कहकर आपने उस टिकिया के दो हिस्से किये एक हिस्सा हजरत अबु सईद को खाने के लिये दिया और दूसरा खुद खालिया इसके बात कुछ दुआ पढ़ने की तलकीन फरमाइ जिसके पढ़ने से आपको अनगिनत फायदे हासिल हुऐ आपने मुजाहदा के लिये फरमाया और नसीहत की कि लेन देन से तमा को निकाल दो कियोकि दौलते इखलास तमा वा लालच की मौजूदगी मे हाथ नहीं आती इसलिये कि अमल तमा के साथ मजदूरी और इखलास के साथ बन्दगी कहलाता है
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Thanks for reading: हजरत शैख़ अबु सईद के बचपन का वाक़्या, Sorry, my Hindi is bad:)