हजरत अबु अली दकाक का अमल
हजरत अबु अली दकाक से मरवी है फरमाते हैँ कि एक दफा बशर हाफी एक दफा एक तरफ से गुजरे जहाँ कुछ लोग बैठे थे वोह लोग आपस मे कह रहे थे कि ये शख्स रात को तमाम रात जगता है और तीन दिन मे एक मर्तबा इफ्तार करता है ये सुनकर हजरत अबु अली दकाक रोने लगे और कहने लगे कि मुझे याद नहीं कि मैं कभी सारी रात जागा हू और जब कभी रोजा रखता हू तो उसी दिन शाम को इफ्तार कर लेता हू इसके बाद उन्होंने भी शब बेदारी इख़्तियार की और कई कई दिन बाद रोजा इफ्तार करने लगे,
तवक्कल की तारीफ
हजरत अबु अली दकाक का वाक़्या है कि एक बूढ़े आदमी ने बयान किया कि वोह एक दिन आपकी मजलिश मे इस ख्याल से गया कि मतुकलु की कैफियत से मुताल्लिक कुछ दरियाफ्ट करे आपने तब्रिस्तान का बना हुआ खूबसूरत इमामा जेब सर किया हुआ था बूढ़े ने सवाल किया कि त्वक्कल अली अल हक किया चीज है फरमाया कि लोगों की पगड़ियों को लालच की नजर से ना देखने को तवक्कल कहते हैँ ये कहा और पगड़ी उतार कर बूढ़े आदमी के सामने रखदी,,,
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Thanks for reading: हजरत अबु अली दकाक का अमल, Sorry, my Hindi is bad:)