करामत के मुकाबले मे करामत औलिया अल्लाह
अबुल हसन खुरकानी के जमाने मे एक बुजुर्ग अबु अल उमर अबु अब्बास एक मर्तबा खुरकान आये अबुल हसन उस वक़्त तनूर पर खा रहे थे और पानी का कटोरा सामने रखा था अबु अब्बास आपके पास आकर बैठ गये और पानी के कटोरे मे हाथ डालकर एक मछली निकाल कर हजरत अबुल हसन के सामने रखदी और कहा ये मैंने अपनी करामत से आपको एक तोहफा पेश किया है उसी वक़्त अबुल हसन ने तनूर मे हाथ डाला और उसके अंदर से एक मछली निकाल दी और फरमाया अबु अब्बास पानी से मछलियां निकाल कर कोई कमाल नहीं कमाल तो ये है कि आदमी आग से मछली निकाल कर दिखाए अबु अब्बास बहुत शर्मिंदा हुऐ अबु अब्बास भी हजरत अबुल हसन की तरह हर रात बा यजीद बस्तामी के मजार पर गुजारा करते थे उनकी रोजाना ये कोशिश होती थी कि किसी तरह अबुल हसन से पहले मजारे अकदस पर पहुंच जायें मगर बावजूद पूरी कोशिश के वोह एक मर्तबा भी अपने इरादे मे कामयाब ना हो सके,
हजरत अबुल हसन की करामत
एक दफा का वाक़्या है कि हजरत अबु अली सीना आपकी खिदमत मे हाजिर थे कि एक शख्स आपके पास आया और अर्ज की मैं बादशाहे वक़्त का खास गुलाम हूँ बादशाह इस वक़्त सदीद पेट दर्द मे मुबतिला है कोई अमल ऐसा करदें जिससे बादशाह ठीक हो जाये आपने फरमाया हाजके वक़्त मौजूद है उसको ले जाओ ये सुनकर बू अली सीना बहुत शर्मिंदा हुऐ और अर्ज की हजरत आपके होते हुऐ मेरी तबाबत किस काम की लेहाजा इलाज आप फरमाएंगे मैं नहीं करूँगा आपने फरमाया ठीक है अगर मुझे इलाज करना है तो मैं जरूर करूँगा आपने अपना जूता उस शख्स को दिया और कहा इसे बादशाह के पेट पर फेर दो दर्द इंशाअल्लाह ठीक हो जायेगा वोह शख्स जूता ले गया और बादशाह के पेट पर फेर दिया फिर अल्लाह के हुक्म से बादशाह बिल्कुल ठीक हो गया,
बू अली सीना ने अर्ज की हजरत इस दुनियां मे कुछ बातें समझ मे ना आने के बावजूद हकीकत होती हैँ उनको कैसे समझा जाये आपने फरमाया इन बातों की तवज्जिया को जानने की जरुरत नहीं होती,,,
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Thanks for reading: करामत के मुकाबले मे करामत औलिया अल्लाह , Sorry, my Hindi is bad:)