मुफलिस गरीब की तलाश गौस आजम
एक दफा हजरत सय्यद अब्दुल कादिर जीलानी हज पर रवाना हुऐ रास्ते मे हिला नामी एक कस्बे मे कयाम किया फरमाया जहाँ मुफलिसी के ऐतबार से एक बूढ़ा शख्स कुछ ज़ियादा ही अबतर हालत मे था आप सीधे उसके मकान पर तसरीफ ले गये जो कि एक खस्ता हाल कट साथी जिसकी दीवारे गिर चुकि थी और परदे के लिये बोसीदा चादर लटकी हुई थी उस झोपड़ी मे तीन अफराद पर मुस्तमिल कुम्बा रहता था यानि एक बूढ़ा खुद था दूसरी उसकी बीवी और तीसरी उनकी बेटी थी आपने साहबे खाना से मकान मे रहने की इजाजत तलब फरमाइ जैसा की रिवायत है कि अरब के लोग कस पुरसी की हालत मे भी मेहमानों का दिल से इस्तेक़बाल करते हैँ,
बूढ़े बे भी अहलन वा सहलन कहा और यूँ शैख़ उनकी कुटिया नुमा मकान मे ठहर गये इधर उसी दौरान तमाम इलाके मे आपके आमद की खबर फैल गई और तमाम एहले इलाका तहाइफ वगैरह लेकर आपकी खिदमत मे हाजिर हुऐ कई आमीर लोगों ने आपको अपने यहाँ चलने की दावत दी लेकिन आपने मुआजरत जाहिर की लेकिन उन्होंने सोना चांदी मवेसी और ग़ल्ला वगैरह की सूरत मे जो नजराने आपको पेश किये आपने वोह सब अपने मेजबान की नजर कर दिये फिर उसके अगली रात आप मक्का मुअज्जमा रवाना हो गये कहा जाता है कि चन्द ही सालों मे वोह बूढ़ा शख्स अपने इलाके का अमीर कबीर और अहले शरुत शख्स बनकर सामने आया इस वाक़्या से हमें दर्स मिलता है कि आपने अमीर के घर को छोड़ कर गरीब के घरको पसंद फरमाया ताकि रब राजी हो,,,
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Thanks for reading: मुफलिस गरीब की तलाश गौस आजम, Sorry, my Hindi is bad:)