पांच खलअतों का इनाम
एक रात अबुल हसन ने खुवाब मे आप हजरत सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम को देखा आपने पूछा आये अबुल हसन किया बात है तू परेशान साक्यो नजर अता है अर्ज की या रसूलुल्लाह मैं हत्ता अल मकदूर कोशिश करता हू कि अल्लाह ताला का मुकर्रब बन्दा बन सकू मगर कामयाबी नहीं होती आपने हुक्म दिया तुम अपने कपड़ों का मैल दूर करदो और हर लहज़ पाक रहो अर्ज की या रसूलुल्लाह मैं आपका मतलब नहीं समझा आपने फरमाया मैं तुम्हें पांच खलअते अता करता हू खलअते मोहब्बत खलअते मुआर्फ़त खलअते तौहीद खलअते खलअते ईमान और खलअते इस्लाम और जो शख्स अल्लाह ताला को दोस्त रखता है उसपर हर चीज आसान है,
और जो अल्लाह को पहचानता है उसकी नजर मे तमाम चीजें मामूली और हीच हैँ और जो शख्स खुदा को एक जानता है वोह किसी को उसका शरीक नहीं ठहराता और जो शख्स खुदा पर ईमान लाता है वोह हर चीज से बे खौफ हो जाता है और जो शख्स इस्लाम की रस्सी को मजबूती से पकड़ ले वोह कभी गुनाह का मूर्तगिब नहीं होता अबुल हसन साजली ने उन पांच खलअतों को हमेशा पाक वा साफ रखा और उनको गर्दे आलूद नहीं होने दिया आपके पास रफ्ता रफ्ता बहुत से लोग आना शुरू हो गये और हर कोई आपसे ईमान की दौलत और खजाने लेकर जाता था आप बख्शिशका बे बहा खजाना थे,,,
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Thanks for reading: पांच खलअतों का इनाम, Sorry, my Hindi is bad:)