शैख़ अबु सईद अबु अल खैर का रूहानी मर्तबा

शैख़ अबु सईद अबु अल खैर का रूहानी मर्तबा
Sakoonedil

 शैख़ अबु सईद अबु अल खैर का रूहानी मर्तबा

शैख़ अबु सईद अबु अल खैर का रूहानी मर्तबा



हजरत अबु अल हसन खुरकानी के बेटे अहमद को किसी ने कतल कर दिया जब आप उसे नेहला धुलाकर कफन पहना चुके तो हजरत अबु सईद अबु अल खैर अपने जमात के साथ ताशरीफ ले आये बेटे की लाश को एक तरफ रख दिया और खुद आपका इस्तेक़बाल किया देर से आने की वजा पूछा तो आपने जवाब दिया रास्ता भूल गये थे वरना रात को पहुंच जाते हजरत अबु अल हसन ने अपने मुरीद को बताया कि शैख़ रास्ता नहीं भूल सकते इस रास्ता की बद नसीब जमीन मुद्दत से इन बुजुर्गों के लिये चश्मे ब्राह थी इसपर आहिस्ता आहिस्ता चलना इसकी पियास बुझाना थी इसके सीना को इन बुजुर्गों के क़दमों ने रोशन कर दिया है अल्लाह ताला ने अपने फरिश्तो को भेजा था कि इस वली अल्लाह की अयाने सफर पकड़ कर इस इलाका की जमीन पर ले आये,


खरकान मे आपके लिये एक अलग कमरा मखसूस कर दिया गया हजरत अबु हसन खरकानी ने अपने मुरीदों से कहा कि हजरत अबु सईद दिलों के हालात जानते हैँ कोई बदगुमानी और बे लुतफी का इजहार ना करे हजरत अबु सईद 30 दिन तक खुरकान मे मुकीम रहे हजरत शैख़ अबु अल हसन खुरकानी बार बार अर्ज करते ताकि आप गुफ्तगू फरमाये लेकिन आप सिर्फ इतना कहते कि हम सुनाने नहीं सुनने आये हैँ हजरत खुरकानी ने कहा आप हमारी जरुरत हैँ हम ने अल्लाह ताला से अपनी जरुरत की दरखुवास्त की थी वोह चल कर हमारे घर आगई अल्लाह ताला ने अपने दोस्तों मेसे एक दोस्त भेजा ताकि मैं राजे दिल का इजहार कर सकू मैं बूढ़ा था खुद हाजिर नहीं हो सकता था आपको अल्लाह ताला ने कुव्वत दी है इज्जत दी है लेहाजा खुद तशरीफ ले आये,



इस सफर मे आपकी जौजा मोहतरमा भी साथ थी हजरत शैख़ खुरकानी हर सुबह दरवाजे के पास आते सलाम अर्ज करते और फरमाते आप एक बरगुजिदह शख्स की रफीका हयात हैँ यहाँ सिर्फ हक ही हक होता है फिर हजरत अबु सईद के दरवाजे पर हाजरी देते वोह पर्दा हटाकर अंदर आने की इजाजत तलब करते फिर अंदर तशरीफ ले जाते एक दिन शहर का काजी अल कजात सलाम के लिये आया वोह भी हजरत खुरकानी का मुरीद था उसने जब हजरत अबु सईद को बादशाहो की तरह चौकड़ी मार कर बैठे और एक दर्वेश से पाओ दबवाते देखा तो दिल मे ख्याल आया कि ये कैसी दर्वेशी है ये नाजो नअम मे आराम करने वाले फुकरा और दर्वेशी को किया जाने हजरत अबु सईद ने सर मुबारक उठाकर काजी की तरफ देखा और फरमाया जो मुशाहदा हक मे हो किया उस पर फिर्क का नाम दुरुस्त नहीं अता ये सुनना था कि काजी ने नारा मारा और बेहोश हो गया दर्वेश उसे उठाकर बाहर ले गये हजरत अबु अल हसन खुरकानी तशरीफ लाये और कहा हजरत आपने काजी पर नजरे हैबत डाली है नजरे रहमत भी डाले कियोकि वोह हाल से बेहाल हो गया है चुनानचे आपने उसे मुआफ फरमा दिया और वोह असल हालत मे आगया 

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Thanks for reading: शैख़ अबु सईद अबु अल खैर का रूहानी मर्तबा, Sorry, my Hindi is bad:)

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