हजरत शम्स तबरेजी की मौलाना रूम पर शफ़कत

हजरत शम्स तबरेजी की मौलाना रूम पर शफ़कत Islamic stories
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 हजरत शम्स तबरेजी की मौलाना रूम पर शफ़कत


हजरत शम्स तबरेजी जइफ वा नहीफ शख्स थे मगर उनके बयान मे कशिश और उनकी शख्शियत जाओबेत थी आपको दर्वेशो की मुलाक़ात का बड़ा शौख था इसके लिये आप शहर बा शहर घुमते फिरते रहे उसी शौक की तकमील के लिये आपने खुदा से दुआ मांगी थी कि इलाही मुझे ऐसा कोई बन्दा मिल जाये जो मेरी सोहबत का मुतहमिल हो सके और रब्बे जलील ने आपको रौम के शहर कोनिया मे भेजा और यहाँ उनकी मुलाक़ात मौलाना रूमी से हुई आपने मौलाना को बैत करके हल्का इरादत मे दाखिल किया आपकी मुलाक़ात के बाद मौलाना रूम मे एक इंकिलाब बरपा हो गया पहले मौलाना हर वक़्त दर्स वा तदरीस वअज व हिदायत और फतवा नवेसी किया करते थे फिर उन्होंने अपने ये सारे मामूलात तर्क कर दिये और नगमा व साज की तरफ मुत्वज्जा हो गये ताहम मौलाना रूम एक लम्हा के लिये भी शम्स तबरेजी से जुदा ना होते थे,


मौलाना ने जब अपने असगाल तर्क किये तो कौनिया के लोगों को शख्त गिला हुआ उन्होंने मौलाना के वगत व नसीहत से मेहरूमी का महरक हजरत शम्स की आमद को करार दिया कुछ लोग तो इस कदर मुश्ताअल और जज़्बाती हो गये कि वोह शम्स तबरेजी के दरपे आजार हो गये कुछ हजरत तबरेजी के साथ गुस्ताखियाँ भी करने लगे इन बातों का हजरत तबरेजी को बहुत गम हुआ और उन्होंने कौनिया को छोड़ने को इरादा कर लिया और अचानक एक दिन कौनिया से दमिस्क जा पहुचे,


मौलाना रूम को हजरत तबरेजी की जुदाई और फिराक का बड़ा सदमा हुआ वोह जब अपने पुराने असगाल यानि दर्स व तदरीस की तरफ लौटते तो उनकी हालत मुर्ग बिस्मिल की तरह हो जाती थी मौलाना हजरत तबरेजी के फिराक की शिद्दत मे रक्त आजेम शअर पढ़ा करते थे उन्होंने खाना पीना छोड़ दिया और अपने मुरीदों और ख़ादिमो से किनारा कशी इख़्तियार करली अभी फिराक व बिदाई के जांगस लम्हात मे मौलाना को हजरत तबरेजी का खत मिला जिससे उनकी आतिशे इश्क और भड़क उठी मौलाना की बेकरारी दीदनी थी आपकी तड़प देखी ना जाती थी जब आपकी जान के लाले पड़ गये तो मौलाना रूम के साहब जादे सुल्तान की सर गर्दगी मे दमिश्क़ रवाना हो गया और हजरत शम्स तबरेजी से मुआफ़ी मांगी मौलाना ने वफ़द को एक मंजूम खत और एक हजार दीनार सुर्ख भी हजरत तबरेजी के असताने पर निछावर करने के लिये भेजे मौलाना की हालत पर हजरत तबरेजी का दिल पसीज गया और उन्होंने कौनिया वापस आने की हामी भरली और जब आप कौनिया पहुंच गये तो मौलाना रूम बहुत ख़ुश हुऐ जौके शमा की महफ़िल फिरसे बपा होने लगी अहले कौनिया को हजरत शम्स तबरेजी का कौनिया मे रहना ना गवार गुजरता था लेकिन वोह खामोश रहते थे,,,

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Thanks for reading: हजरत शम्स तबरेजी की मौलाना रूम पर शफ़कत, Sorry, my Hindi is bad:)

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