इलहाम और वस्वसे मे फर्क
हजरत शैख़ अबु सईद का वाक़्या है कि एक मर्तबा आप निशा पुर से तोस तशरीफ ले जा रहे थे शैख़ अबु मुस्लिम फ़ारसी आपके साथ थे सर्दी बहुत थी अबु मुस्लिम के दिल मे ख्याल आया कि अपनी कमर की पेटी के दो टुकड़े करके हजरत के पाए मुबारक मे लपेट दूँ मगर दिल ने दूसरे लम्हे मुख़ाल्फत की और वजा पेश किया कि ये बड़ी कीमती है एक रोज तोस मे महफ़िल बरपा थी शैख़ अबु मुस्लिम फ़ारसी ने अर्ज किया या शैख़ वसावस शैतानी और इलहाम मे किया फर्क है इसके जवाब मे फरमाया कि इलहाम वोह है जिसमे तुझे कहा गया कि कमर की पेटी काट कर मेरे पैरों को सर्दी से मेहफूज कर और शैतानी वसवसा वोह था जिसने तुझे इस काम से रोका,
खुद सरी का बेहतरीन इलाज
हजरत शैख़ अबु सईद के मुरीद खास खुवाजा हसन मोद्दिब का वाक़्या है कि वोह बड़ा साहबे सरूत था जब हजरत सईद अबु अल खैर का मुरीद हुआ तो सारा माल आपकी नजर कर दिया आपने माल को हाजत मंन्दों मे तक्सीम फरमा दिया और हसन को साआदत और रियाजत मे लगा दिया लेकिन उन मुजाहदात के बावजूद उसके अंदर खुवाजगी की बू मौजूद थी एक दिन उसे आवाज़ दी और फरमाया कि मकर मान्यो के चौक से जानवरों की कुछ ओझडया वगैरह खरीद लाओ हसन ने खरीद कर उन्हें पुस्त पर लाद लिया खून और नजासत उसके कपड़ो पर बह रहा था उसे ये काम बड़ा गिराँ गुजरा और लोगों से मुँह छीपाये शर्मिंन्दगी से चला आरहा था कियोकि वोह हमेशा खुश पोश रहता था उसे खुवाजगी और ईमारत के एहसास से दस्तबरदारी बड़ी मुश्किल थी आपने फरमाया कि मेहबूबे किबरिया का इरशाद आलिया है कि सदईन के दिमागो से जो चीज सबसे आखिर मे निकलती है वोह हुकमरानी की मोहब्बत और खुद सरी की बू है हजरत शैख़ की भी यही तमन्ना थी कि हसन के दिमाग़ से ये बातें निकल जाये और ऐसा ही हुआ,
जरीफ का मतलब
एक मर्तबा सरखिस के लोगों ने हजरत शैख़ अबु सईद से पूछा कि या हजरत जरीफ का मतलब किया है आपने जवाब दिया कि मेरे ख्याल के मुताबिक तुम्हारे शहर मे लुकमान को जरीफ कहते हैँ लोगों ने फिर अर्ज किया या हजरत हमारे शहर मे तो उससे ज़ियादा संजीदा इन्सान नहीं मिलता आपने फरमाया तुम्हें भूल हुई है जरीफ तो पाकीजा चीज को कहते हैँ जो किसी दूसरे चीज से मिली हुई ना हो और किसी दूसरी चीज से उसकी पेवंदकारी ना हुई हो
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Thanks for reading: इलहाम और वस्वसे मे फर्क, Sorry, my Hindi is bad:)