तस्लीम वा रजा की हकीकत अबुल हसन शाजली
hindi Storiesहजरत अबुल हसन शाजली का बयान है कि इबतेदाये हाल मे मुझे तरद्दुद था कि लोगों के साथ मिल जुल कर रहूँ या उनसे अलग थलग शहर मे रहूँ या जंगल मे चला जाऊ मुझे खबर मिली कि एक पहाड़ की चोटी पर एक खुदा रशीदा बुजुर्ग रहते हैँ मैं उनकी मुलाक़ात के लिये गया और रात को वहाँ पंहुचा ख्याल आया कि रात के वक़्त उनके पास जाना ठीक नहीं दिन निकलने पर जाऊंगा चुनानचे मैं गार के दरवाजे पर ही सो रहा अंदर से मैंने अवाज सुनी कोई दुआ मांग रहा है खुदाया तेरे कुछ बन्दे ऐसे भी हैँ जो तुझसे चाहते हैँ कि खलक उनसे मुसख्खर हो जाये और तूने खलक को उनके लिये मुसख्खर कर भी दिया और वोह लोग तुझसे राजी भी हो गये मगर मैं चाहता हू कि लोगों को मेरे लिये बदखूंर करदे ताकि तेरी बारगाह के सिवा मेरे लिये और कोई जाये पनाह ना रहे,
शैख़ फरमाते हैँ कि ये सुनकर मैंने अपने आप से कहा कि जरा सुन ये शैख़ किस्से किया कह रहे हैँ जब सुबह हुई तो मैं उनकी खिदमत मे गया और सलाम अर्ज किया उनकी हैबत वा जलाल से मेरे बदन के रोगटे खड़े हो गये मैंने उनका मिजाज पूछा फरमाने लगे जिस तरह तू खुदाये पाक की गर्मी तदबीर वा इख़्तियार की शिकायत करता है मैं उसकी खनकी तस्लीम वा रजा की शिकायत करता हू इसवक़्त मेरी यही हाल है मैंने दरियाफ्ट किया कि तस्लीम वा रजा की खनकी किया होती है और आप उसकी शिकायत कियों करते हैँ फरमाया मैं डरता हू कि मुझे इसकी हलावत कहीं खुदाये पाक से हटाकर अपनी तरफ मशगूल ना करे मैंने अर्ज किया रात मे मैंने आपको ये कहते सुना है कि खुदाया कुछ ऐसे बन्दे हैँ जो तुझसे चाहते हैँ कि खल्क उनसे मुसख्खर हो जाये तूने खल्क को उनसे मुसख्खर कर भी दिया और वोह तुझसे राजी हो गये शैख़ ये सुनकर मुस्कुरा दिये और फरमाया आये फर्जन्द अल्लाहुम्मा सख्खिरली के बजाए अल्लाहुम्मा कुनली कहा करो किया तुम ख्याल करते हो जिसके लिये खुद खुदाये ताला हो जाये वोह किसी और शै का मोहताज रह सकता है कियों अपना दिल बुरा करते हो,,,
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Thanks for reading: तस्लीम वा रजा की हकीकत अबुल हसन शाजली , Sorry, my Hindi is bad:)