महमान नवाजी हजरत अबुल हसन खुरकानी
अबुल हसन खुरकानी के बीवी के मुतालिक बहुत से वाक़्यात तजकरा करने वालों ने लिखे हैँ उनकी बीवी उनकी इबादत वा रियाजत से बहुत नाराज थी और अक्सर उनकी विलायत को मक्कारी और फरेब कारी कहती थी एक मर्तबा आपके दूर के बड़े बुजुर्ग शैख़ अबु सईद अपने साथियों के साथ अबुल हसन खुरकानी की खिदमत मे हाजिर हुऐ हजरत ने अपनी बीवी से कहा महमानों के लिये खाना तैयार करो बीवी ने निहायत ना गवारी से कहा घरमे कुछ होतो खाना तैयार करुँ तुम्हारे जैसे कलाश आदमी के घरमे महमान आते ही कियों हैँ अबुल हसन ने कहा आये नादान औरत आहिस्ता बोल कहीं महमान तुम्हारी गुफ्तगू ना सुनलें मगर आपकी बीवी ने आपकी एक ना सुनी और बोलती गई हजरत ने फिर कहा तुम अपनी जुबान बंद करो खाने का इन्तेजाम वोह खुद करेगा जिसने महमान भेजे हैँ,
बीवी ने तमुसखुराना अंदाज मे कहा अच्छा आज मैं भी ये तमाशा देखती हू कि तू किस तरह खाने के लिये ड्रामा करता है हजरत अबुल हसन ने ख़ादिम से पूछा कि घरमे कितनी रोटियां हैँ उसने कहा चार रोटियां हैँ आपने फरमाया ले आओँ और जब वोह ले आया तो आपने रोटियां टोकरी मे रख कर ऊपर कपड़ा डाल दिया और फिर ख़ादिम से कहा रोटियां तक्सीम करते वक़्त टोकरी के ऊपर से कपड़ा हरगिज ना उठाना और जितने लोग मौजूद हैँ उनमे रोटियां तक्सीम करो और फिर खुदा की शान देखो ख़ादिम ने हुकुम की तामील की और हैरान रह गया कि इतने महमानों ने रोटियां खाई मगर रोटियां खतम ही ना होने को आरही थी ख़ादिम ने जब अबुल हसन की बीवी को ये बात बताई तो उसने फौरन टोकरी से कपड़ा हटा दिया और कहा कहाँ हैँ रोटियां जो तुम्हारे जाली पीर ने बनाई हैँ मगर अंदर से वही चार रोटियां निकली वोह बोली मैं ना कहती थी ये झूठ है इतनी रोटियां कहाँ से आसकती हैँ हजरत अबुल हसन बोले आये अल्लाह की बन्दी अगर तू यकीन नहीं करती ना कर अल्लाह ने अपने बन्दे का भ्रम रख लिया है और महमान पेट भर खाना खा चुके हैँ बीवी पैर पटकती चली गई,,,
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Thanks for reading: महमान नवाजी हजरत अबुल हसन खुरकानी, Sorry, my Hindi is bad:)