अबुल हसन खुरकानी को बायजीद बस्तामी जैसा मर्तबा चाहिये था
एक दिन हजरत अबुल हसन खुरकानी रोज की तरह खेती बाड़ी करके रात को बायजीद बस्तामी के मजार पर गये उस रोज आपने सुबह से रात तक कुछ ना खाया आपकी भूक अनका हो गई थी जब बायजीद के मजार पर पहुचे तो वहाँ आप कई घंटो तक गिरिया वजारी करते रहे आपने साहबे मजार को मुख़ातिब करके अर्ज की पीरो मुर्शिद मैं बीस साल से आपकी खिदमत मे हाजिर हो रहा हूँ और मैंने सिर्फ एक दुआ मांगी है कि मुझे अल्लाह ताला वोह मर्तबा अता फरमा दे जो आपको अता किया है अगर मेरी दुआ कबूलियत के लायक नहीं तो मुझे बतला दिया जाये ताकी मैं खामोश हो जाऊ मगर एक बात है दुआ मेरी वही रहेगी कि मर्तबा हासिल करूँगा तो बायजीद आप जैसा वरना खामोश होकर बैठा रहूँगा,
अभी ये गिरिया वजारी जारी थी कि अबुल हसन खुरकानी को यूँ महसूस हुआ जैसे मजार के अंदर कोई और भी है पहले उन्होंने इसको वहम जाना जब ये यकीन कर लिया किसी और की आहट है मगर दिखाई नहीं दे रहा तो आपने कहा तुम जो शख्स भी हो मेरे सामने आजाओ हिजाब की किया जरुरत है जवाब मिला तेरी दुआ खुदा ने कबूल करली है आपने फरमाया तू है कौन मेरे सामने कियों नहीं अता जवाब मिला मैं बायजीद बस्तामी हूँ और आये अबुल हसन तू खुश हो जा कि तेरे दौर का आगाज हो रहा है अबुल हसन ने अर्ज की आये पीरो मुर्शिद मैं बिल्कुल अनपढ़ हूँ शरियत का इल्म तो छोड़ दो मैं तो क़ुरआन मजीद भी नहीं पढ़ा हुआ,
बायजीद ने जवाब दिया तुम मत घबराओं तुम्हारी तालीम का मुकम्मल इन्तेजाम किया जायेगा तुम आज खुरकान जाओ और वहाँ बकायदगी से क़ुरआन मजीद पढ़ो तुम खुद बा खुद पढ़ते जाओगे अबुल हसन ने हस्बे इरशाद खुरकान जाकर कुरआन मजीद खोला तो गैब की तरफ से आपकी मदद हुई और कुदरत ने ऐसी रहनुमाइ की आपने चौबीस दिन के अंदर क़ुरआन मजीद मुकम्मल पढ़ लिया आपको रियाजत व मुजाहदात के दौरान सारे उलूम सीखा दिये गये आपकी बैत भी गैबी तौर पर बायजीद बस्तामी से हुई थी आपने रिज्क हलाल पर बड़ा जोर दिया है आपने हमेशा अपनी मजदूरी से अपना और अपने अहल व अयाल का पेट पाला और रफ्ता रफ्ता आपकी शोहरत इतनी आम हुई कि दूर दूर से लोग आपकी जियारत को आते और फैज याब होते थे
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Thanks for reading: अबुल हसन खुरकानी को बायजीद बस्तामी जैसा मर्तबा चाहिये था, Sorry, my Hindi is bad:)